हैजा में लाभदायक हैं इस पेड़ के पत्ते, जानिए इसके फायदे और इस्तेमाल का तरीका
बरसात में दूषित पानी से कॉलरा जिसे हैजा भी कहते हैं तेजी से फैल रहा है। यहां हैजा का इलाज और इससे बचाव के तरीके।
मानसून अपने साथ कई गंभीर बीमारियां भी लेकर आता है। देश के अलग अलग हिस्सों में बारिश के कारण बाढ़ जैसे हालात हैं, जिसके कारण कई संक्रामक बीमारियां फैल रही हैं। दूषित पानी के कारण फैलने वाले हैजा के मामले भी बढ़ रहे हैं। हैजा विब्रियो कॉलेरी बैक्टीरिया (Vibrio cholerae) से फैलता है, इस बैक्टीरिया से दूषित भोजन या पानी पीने से लोग इससे संक्रमित हो सकते हैं। कुछ लोगों में हैजा के कम लक्षण देखने को मिलते हैं लेकिन कभी कभी ये संक्रमण गंभीर और जानलेवा साबित होता है। हैजा की बीमारी में शीशम की पत्तियां फायदेमंद (health benefits of sheesham) साबित होती हैं।
हैजा के लक्षण (cholera symptoms)
हैजा से संक्रमित व्यक्ति में दस्त, उल्टी, मतली, सुस्ती, डिहाइड्रेशन, मांसपेशियों में ऐंठन और पल्स तेज होने जैसे लक्षण देखने को मिलते हैं। हैजा में उल्टी और दस्त के कारण मरीज डिहाइड्रेशन का शिकार हो जाता है, जिसके कारण वजन भी कम होने लगता है। हैजा के लक्षणों को नजरअंदाज करना सेहत पर भारी पड़ता है।
शीशम के पत्तों से हैजा का इलाज (Sheesham Leaves Benefits in Cholera)
आचार्य बालकृष्ण ने हैजा के इलाज में शीशम के फायदों के बारे में बताया है। इसके लिए 5 ग्राम शीशम के पत्ते में 1 ग्राम पिप्पली, 1 ग्राम मरिच तथा 500 मिलीग्राम इलायची मिलाएं। इन सभी को साथ में पीसकर पेस्ट से गोलियां बना लें। हैजा होने पर पीपल के पत्तों से बनी ये 2-2 गोलियां सुबह और शाम लेने से फायदा होता है।
औषधीय गुणों से भरपूर शीशम जलन की शिकायत में भी फायदेमंद है। शीशम का तेल जलन वाली जगह लगाने से शरीर की जलन ठीक हो सकती है। इसके अलावा पेट की जलन के लिए 1 से 2 चम्मच शीशम के पत्तों का रस पिएं। इसे पीने से पेट की जलन शांत हो सकती है।
(ये आर्टिकल सामान्य जानकारी के लिए है, किसी भी उपाय को अपनाने से पहले डॉक्टर से परामर्श अवश्य लें)
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