Uric Acid: गठिया का आधुनिक चिकित्सा विज्ञान में नाम है 'गाउट'। गाउट वह अवस्था है जिसमें कि शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा सामान्य से अधिक हो जाए। आयुर्वेद में इस समस्या को 'वातरक्त' कहते हैं। इस रोग में शरीर के छोटे जोड़ों में दर्द और सूजन होती है। यदि रोगी असावधानी बरतें तो यह आगे चलकर जोड़ों में सूजन और लाल रंग का घाव उत्पन्न कर देता है। यह मुख्यतः हाथों और पैरों की उंगलियों में होता है। आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ अबरार मुल्तानी से जानिए कैसे आयुर्वेदिक उपायों से यूरिक एसिड कंट्रोल कर सकते हैं।
आयुर्वेदिक के अनुसार चिकित्सा और सावधानी
पीपल की छाल का काढ़ा बनाकर पीना इस रोग में अमृत है। इसके लिए पीपल की छाल 10 ग्राम लेकर 250 एमएल पानी में मंदी आंच पर पकाएं जब तक कि यह आधा ना रह जाए। फिर इस काढ़े को छानकर दो हिस्सों में बांट लें और इसे सुबह-शाम पियें।
रात को सोते समय आधा चम्मच हरड़ के चूर्ण को खाकर एक कप दूध में 2 चम्मच अरंडी का तेल पीने से भी गठिया में बहुत आराम होता है।
गठिया के उपचार में चिकित्सा के साथ साथ परहेज भी जरूरी है। रोगी को ठंड और ठंडी चीजों से पूरी तरह बचना चाहिए। नहाने के दौरान गर्म पानी का इस्तेमाल करें और सूजन वाले स्थान पर बालू की थैली या गर्म पानी के पैड से सेंकाई करें।
यूरिक एसिड के मरीज न करें इन चीजों का सेवन
गठिया के मरीजों के लिए डाइट पर ध्यान देना बहुत जरूरी है। अधिक तेल व मिर्च वाले भोजन से परहेज रखें और डाइट में प्रोटीन की अधिकता वाली चीजें जैसे नॉनवेज और दालें आदि न लें।
इन चीजों का करें सेवन
भोजन में बथुआ, मेथी, सरसों का साग, पालक, हरी सब्जियों, मूंग, मसूर, परवल, तोरई, लौकी, अंगूर, अनार, पपीता, आदि का सेवन फायदेमंद है।
Disclaimer: यह जानकारी आयुर्वेदिक नुस्खों के आधार पर लिखी गई है। इंडिया टीवी इनके सफल होने या इसकी सत्यता की पुष्टि नहीं करता है। इनके इस्तेमाल से पहले चिकित्सक का परामर्श जरूर लें।
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