अल्सर, कब्ज जैसी पेट संबंधी बीमारियों से हैं परेशान? स्वामी रामदेव के बताए 7 योगासन से दूर हो जाएगी हर समस्या
अल्सर, कोलाइटिस, कब्ज जैसी कई बीमारियां पेट को परेशान करती हैं। स्वामी रामदेव के अनुसार अगर योगासन रोजाना करें तो उससे पेट से संबंधित सभी बीमारियों से छुटकारा मिल जाएगा।
कोरोना काल में इम्युनिटी के साथ-साथ पाचन तंत्र को दुरुस्त बनाए रखना बेहत जरूरी है। कई मरीजों में संक्रमण से ठीक होने के बाद आंत से जुड़ी परेशानियां देखने को मिल रही हैं। हाजमा ठीक रखने का सबसे अच्छा साधन है योग। अल्सर, कोलाइटिस, कब्ज जैसी कई बीमारियां पेट को परेशान करती हैं। योग करने से पाचन तंत्र अच्छा होगा, साथ ही किसी तरह की बीमारी नहीं होगी। स्वामी रामदेव ने पेट से संबंधित समस्याओं से छुटकारा दिलाने के लिए योग द्वारा कुछ पाचन फॉर्मूला बताए हैं। स्वामी रामदेव के अनुसार अगर कोई इसे रोजाना करें तो उसकी पेट से संबंधित सभी बीमारियों से छुटकारा मिल जाएगा।
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पेट की बीमारियों के लिए रोजाना करें ये 7 योगासन
योगिक जॉगिंग
- वजन कम करने में मददगार
- बॉडी फ्लेक्सिबल बनती है
- पाचन क्रिया ठीक रहती है
- पेट की समस्याओं में राहत मिलती है
ताड़ासन
- बल्ड सर्कुलेशन अच्छा होता है
- रोज अभ्यास से लंबाई बढ़ती है
- घुटने, टखने मजबूत बनते हैं
तिर्यक ताड़ासन
- मन शांत होता है
- दिल को मजबूत बनाता है
- वजन घटता है
- लंबाई बढ़ती है
- दिल को मजबूत बनाता है
- शरीर लचीला होता है
- मन शांत होता है
पाचन तंत्र ठीक रखने के लिए योगासन
भुजंगासन
- रीढ़ की हड्डी मजबूत होगी
- पाचन ठीक होगा
तिर्यक भुजंगासन
- किडनी को स्वस्थ बनाता है
- लिवर से जुड़ी दिक्कतें ठीक होती हैं
- फेफड़ों को मजबूत बनाता है
- किडनी को स्वस्थ बनाता है
- तनाव, चिंता, डिप्रेशन दूर रखता है
कब्ज को दूर रखने के लिए योग
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योगमुद्रासन
- पाचन की परेशानी दूर होती है
- कब्ज की समस्या दूर होती है
- गैस से छुटकारा मिलता है
वक्रसान
- कब्ज ठीक होती है
- पाचन क्रिया ठीक रहती है
प्राणायाम भी होंगे फायदेमंद
अनुलोम विलोम
- सबसे पहले आराम से बैठ जाएं और आंखें बंद कर लें। ध्यान रहे कि इस मुद्रा में आपकी रीढ़ की हड्डी एकदम सीधी होनी चाहिए।
- अब बाएं हाथ की हथेली को ज्ञान की मुद्रा में बाएं घुटने पर रखें।
- इसके बाद दाएं हाथ की अनामिका यानि कि हाथ की सबसे छोटी उंगली को मिलाकर बाएं नथुना पर रखें। अब अंगूठे को दाएं वाले नथुना पर लगा लें। इसके बाद तर्जनी और मध्यमा को मिलाकर मोड़ लें।
- अब बाएं नथुना से सांस भरें और उसे अनामिका और सबसे छोटी उंगली को मिलाकर बंद कर लें। फौरन ही दाएं नथुना से अंगूठे को हटाकर सांस बाहर निकाल दें।
- अब दाएं नथुना से सांस भरें और अंगूठे से उसे बंद कर दें। इस सांस को बाएं नथुना से बाहर निकाल दें। अनुलोम विलोम का यह पूरा एक राउंड हुआ। इसी तरह के कम से कम 5 बार ऐसा करें।