सांपों में पाया जाने वाला कीड़ा पहुंचा इस महिला के ब्रेन तक, पैरासाइट इंफेक्शन का मामला देख दुनियाभर के डॉक्टर हैरान
दुनिया के पहला ऐसा मामला आया है जब एक जिंदा कीड़ा महिला की ब्रेन तक पहुंच गया है। खास बात ये है कि ये कीड़ा असल में सांप के पेट में पाया जाता है।
पिछले कई सालों में जानवरों से फैलने वाली बीमारियां तेजी से फैली हैं। इन्हें मेडिकल टर्म में जूनोटिक बीमारियां कहते हैं यानी कि वो बीमारियां जो जानवरों से इंसानों तक फैले। अब शोधकर्ताओं को ऐसा मामला मिला है जिसमें एक जिंदा राउंडवॉर्म (Roundworms) महिला के मस्तिक में मिला है। ये असल में दुनिया का पहला पैरासिटिक इंफेक्शन का मामला है जिसमें कोई रेंगने वाला कीड़ा ब्रेन तक पहुंच गया है। ओफिडस्करिस रोबर्टसी नेमाटोड (Ophidascaris robertsi nematode species) प्रजाति के लार्वा का ब्रेन तक पहुंच जाने वाला यह मामला, चिकित्सा इतिहास में एक अनोखी घटना के रूप में देखा जा रहा है। आइए, जानते हैं इस पूरे मामले को विस्तार से।
सांपों में पाया जाने वाला कीड़ा है ये
ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी और कैनबरा अस्पताल के शोधकर्ताओं का कहना है कि 64 वर्षीय महिला ने अजगरों से भरी पास की झील से वार्रिगल ग्रीन्स, एक पालक जैसा देशी पौधा खाना बनाने के लिए इक्ट्ठा किया और फिर इसे बनाकर खाया। इसके बाद महिला में निमोनिया, पेट दर्द, दस्त, सूखी खांसी, बुखार और रात को पसीना आने जैसे तमाम लक्षण दिखने लगे। फिर जब उनका एमआरआई किया गया तो, ये पूरा मामला सामने आया। जहां ये राउंडवॉर्म महिला के ब्रेन तक पहुंच चुका था वहीं, महिला पैरासाइट इंफेक्शन (parasitic infection) की शिकार हो चुकी थी। इसके बाद डॉक्टरों ने इनका इलाज शुरू किया।
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बरॉबर्टसी राउंडवॉर्म आमतौर पर अजगर के अन्नप्रणाली और पेट में रहता है और सांप के मल के माध्यम से अपने अंडे देता है। सांपों के साथ कोई सीधा संपर्क नहीं होने के बावजूद, ऐसा माना जाता है कि महिला सीधे परजीवी से संक्रमित हो गई थी या तो पौधे को छूने से या अनजाने में उसके अंडे खाने से उन्हें ये इंफेक्शन हुआ। यह दुनिया का ओफिडास्करिस (Ophidascaris) का पहला मामला है। इस घटना को इमर्जिंग इंफेक्शियस डिजीज जर्नल में प्रकाशित किया गया है।
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महिला में इस राउंडवॉर्म (Roundworms) को निकालने के बाद एंटीपैरासिटिक दवाओं और डेक्सामेथासोन के साथ इलाज किया गया। बता दें कि इस तरह के ओफिडास्करिस लार्वा (Ophidascaris larvae) लंबे समय तक जीवित रहने के लिए जाने जाते हैं और कभी-कभी चार साल से अधिक समय तक जिंदा रह सकते हैं। ऐसे में शोधकर्ताओं का कहना है कि यह मामला जूनोटिक रोगों से उत्पन्न संभावित खतरों को उजागर करता है और इस पर आगे शोध करना जरूरी है।