कई सारी ऐसी बीमारियां होती हैं जिनके बारे में शायद हमें जानकारी ही नहीं होती है। इन्हीं में से एक है रूमेटाइड अर्थराइटिस। रूमेटाइड अर्थराइटिस सिर्फ जोड़ों के दर्द तक ही सीमित नहीं है, अगर समय पर इसका इलाज ना कराया जाए तो ये न केवल जोड़ों और हड्डियों को नुकसान पहुंचाता है। बल्कि आंखों, त्वचा और फेफड़ों जैसे कई अंगों को भी प्रभावित कर सकता है। इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को जोड़ों में दर्द, सूजन और जलन की शिकायत होती है। रूमेटाइड अर्थराइटिस में हड्डियों का क्षरण होने लगता है साथ ही में जॉइन्ट्स का आकार बदलने लगता है, जिससे पैर व हाथ या उंगलियां टेढ़ी होने लगती हैं।
क्या है रूमेटाइड आर्थराइटिस?
इसे रूमेटी गठिया, आमवातीय संध्यार्ति या आमवातीय संधिशोथ के नाम से भी जाना जाता है। आमतौर पर आर्थराइटिस में जोड़-संबंधी परेशानी देखने को मिलती है, लेकिन बात की जाए रूमेटाइड अर्थराइटिस की तो इसमें जोड़ों के साथ-साथ शरीर के दूसरे अंगों, जैसे कि त्वचा, आंख, फेफड़े, दिल, किडनी, और खून की धमनियों पर भी गलत असर पड़ सकता है। यह एक ऑटोइम्यून डिस्ऑर्डर है। ऐसी परिस्थति तब होती है जब हमारा इम्यून सिस्टम गलती से हमारे ही शरीर के टिशू पर हमला कर देता है।
यह समस्या शरीर के किसी भी जोड़ में दर्द व सूजन पैदा होने का कारण बन सकती है। ऐसा होने पर जोड़ों का मूवमेन्ट कम होने की संभावना बढ़ जाती है। रूमेटाइड आर्थराइटिस शरीर के दोनों तरफ के जोड़ों पर अपना असर डाल सकता है, जैसे कि दोनों घुटनों, कलाइयों या हाथों में। यह बीमारी किसी भी उम्र के व्यक्ति के साथ हो सकती है।
रूमेटाइड आर्थराइटिस के लक्षण-
जोड़ों, पीठ व मांसपेशियों में दर्द
जोड़ों में अकड़न, कमजोरी व सूजन
बहुत ज्यादा थकान महसूस होना
चलने-फिरने में दिक्कत आना
उंगली पर गांठ या सूजन
चुभन महसूस होना या बहुत ज्यादा मुंह सूखना
क्या रूमेटाइड अर्थराइटिस का इलाज है?
आज प्रभावी इलाज का विकल्प उपलब्ध है, जो इंजेक्शन की बजाए खाने वाली दवाओं के रूप में मौजूद है। आरए के मरीजों को अपनी प्रोग्रेस की निगरानी के लिए नियमित रूप से अपने डॉक्टर से जांच करानी चाहिए और मूल्यांकन करना चाहिए कि इलाज कितना अच्छा काम कर रहा है। प्रभावी इलाज केवल तभी संभव है, जब रोगी अपने लक्षणों को मैनेज करना सीखे, निर्धारित इलाज का पालन करे और अपने डॉक्टरों के साथ बातचीत करे।आमतौर पर रूमेटाइड अर्थराइटिस के उपचार के लिए एक डिजीज मॉडिफाइड एंटी-रूमेटिक ड्रग(डीएमएआरडी) दी जाती है। इसके अलावा नॉन-स्टेरायडल एंटी इंफ्लेमेटरी ड्रग(एनएसएआईडी) या लो डोज कॉर्टिकोस्टेरॉइड का उपयोग डीएमएआरडी के साथ किया जा सकता है। अगर डीएमएआरडी आरए सूजन को नियंत्रित नहीं करते हैं, तो रुमेटोलॉजिस्ट इससे संबंधित दवाई दे सकता है।
Disclaimer: यह जानकारी आयुर्वेदिक नुस्खों के आधार पर लिखी गई है। इंडिया टीवी इनके सफल होने या इसकी सत्यता की पुष्टि नहीं करता है। इनके इस्तेमाल से पहले चिकित्सक का परामर्श जरूर लें।
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