गर्भावस्था के 9 महीने एक महिला के लिए काफी मुश्किल होते हैं। इस दौरान कई बार मूड स्विंग्स होते हैं, शरीर को एक नन्ही जान को अपने अंदर रखने के लिए तैयार होना पड़ता है। हार्मोंस में बदलाव आते हैं। कई बार इतनी उल्टी होती हैं कि कुछ भी खाने पीने की इच्छा नहीं करती, लेकिन ये सारे कष्ट एक महिला उस सुखद क्षण को याद कर भूल जाती है जब कोई उसे प्यार से मां कहेगा। मां बनने का अहसास इस मुश्कल सफर को आसान बना देता है। लेकिन प्रेगनेंसी के शुरूआत के 3 महीने काफी रिस्की होते हैं। कहते हैं कि अगर किसी महिला ने यह सफर पार कर लिया, तो आने वाले 6 महीने आसानी से निकल जाते हैं। इन 3 महीनों में न सिर्फ शारीरिक और मानसिक समस्यांए पैदा होती हैं बल्कि मिसकैरेज का खतरा भी काफी रहता है। जानिए ऐसा क्यों होता है और शुरुआत के 3 महीने किन बातों का ख्याल रखें।
शुरुआत के 3 महीने क्यों रहता है गर्भपात का खतरा
डॉक्टर्स की मानें तो मिसकैरेज के ज्यादातर मामले पहले ट्राइमेस्टर में ही आते हैं। यानि शुरुआत के 13 सप्ताह एक प्रेगनेंट महिला के लिए काफी मुश्किल होते हैं। कई महिलाओं में ऐसी समस्या देखी जाती है। मिसकैरेज से एक महिला को शारीरिक और मानसिक तनाव से गुजरना पड़ता है। ऐसे में ये बहुत जरूरी है कि आाप उन बातों को जान लें कि आखिर पहले 3 महीने में मिसकैरेज होने के क्या कारण हैं?
डॉक्टर्स का कहना है कि पहली तिमाही में गर्भपात का खतरा इसलिए ज्यादा रहता है क्योंकि गर्भ में पल रहे शिशु का विकास ठीक तरीके से नहीं हो पाता है। पहले तीन महीने में मिसकैरेज को दो स्थितियों से जोड़कर देखा जाता है। जब भ्रूण में एक्स्ट्रा या मिसिंग क्रोमोसोम है। इससे बच्चे के विकास पर असर पड़ता है। अगर विकास ठीक से नहीं हो पा रहा है तो मिसकैरेज का खतरा बढ़ जाता है।
मिसकैरेज के कारण
डायबिटीज कंट्रोल न होना
किसी तरह का संक्रमण
हार्मोनल प्रॉब्लम
सर्विक्स या यूट्रस से जुड़ी परेशानी
थायराइड होना
ज्यादा मोटापा होना
मिसकैरेज के लक्षण
- अलग अलग केस में अलग अलग लक्षण नजर आ सकते हैं, लेकिन ज्यादार मामलों में ब्लीडिंग होने लगती है।
- कई बार तेज दर्द का अहसास हो सकता है और कई बार बिना दर्द के भी ब्लीडिंग हो सकती है।
- कुछ लोगों को पेल्विक एरिया और पीठ के निचले हिस्से में दर्द की समस्या हो सकती है।
- फ्लूइड या टिश्यू का बहना या हार्ट बीट बहुत तेज हो जाना भी लक्षण हैं।
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