A
Hindi News हेल्थ Pancreatic Cancer Awareness Month: क्या है पैंक्रियाटिक कैंसर? जानिए इसके के लक्षण और बचाव

Pancreatic Cancer Awareness Month: क्या है पैंक्रियाटिक कैंसर? जानिए इसके के लक्षण और बचाव

हर साल नवंबर के महीने को पैंक्रियाटिक कैंसर अवेयरनेस मंथ के तौर पर मनाया जाता है। इसका उद्देश्य पैंक्रियाटिक कैंसर के शुरुआती लक्षणों के साथ-साथ निवारण के उपायों को जन-जन पहुंचाना है। आइए जानते हैं इसके लक्षण और बचाव के बारे में।

पैंक्रियाटिक कैंसर अवेयरनेस मंथ- India TV Hindi Image Source : INDIA TV पैंक्रियाटिक कैंसर अवेयरनेस मंथ

Pancreatic Cancer Awareness Month: हर साल नवंबर के महीने को पैंक्रियाटिक कैंसर अवेयरनेस मंथ के तौर पर मनाया जाता है।  इसकी शुरुआत साल 2000 में की गई थी। नेशनल और इंटरनेशनल लेवल पर इस विषय पर जागरूकता अभियान चलाए जाते हैं। तो वहीं नवंबर महीने का तीसरा गुरुवार पैंक्रियाटिक कैंसर दिवस के तौर पर जाना जाता है। इसका उद्देश्य पैंक्रियाटिक कैंसर के शुरुआती लक्षणों के साथ-साथ निवारण के उपायों को जन-जन पहुंचाना है, जिससे कि विश्व भर में कैंसर से पीड़ित रोगियों की संख्या को नियंत्रण में लाया जा सके। साल 2000 से जब पैंक्रियाटिक कैंसर अवेयरनेस मंथ की शुरुआत हुई तो उसी साल से वायलेट कलर के रिबन के साथ मेडिकल कैलेंडर पर पैंक्रियाटिक कैंसर को दर्शाया जाने लगा। इसकी थीम "इट्स अबाउट टाइम" है

Protein: मसल्स बनाने के लिए कितने प्रोटीन की होती है जरूरत, यहां जानें

पैंक्रियाटिक कैंसर के लक्षण 

पैंक्रियाटिक कैंसर ग्लूकागन और इंसुलिन से रिलेटेड एंडोक्राइन और एक्सोक्राइन लक्षण को जन्म देते हैं, जिससे भोजन को पचाने वालो एंजाइमों पर प्रभाव पड़ता है। वैसे तो शुरुआत में इसके लक्षण को समझना मुश्किल है लेकिन ट्यूमर के विकास के दौरान नीचे बताए गए लक्षण दिखाई दे सकते हैं। 

  1. वजन कम होना -अगर पाचन एंजाइम काम करना बंद करने लगेगा तो सबसे पहले भूख लगना कम हो जाएगा और फिर वजन कम होने लग जाता है। 
  2. थकान होना - बेवजह ही थकान लगता रहता है। आराम करने के बाद भी थकान कम नहीं होता है।
  3. पैर और तलवों में सूजन - अव्यवस्थित थक्के की वजह से ऐसा हो सकता है। ये शुरुआती लक्षणों में से एक है। फेफड़े की तरफ क्लॉट के जाने से परेशानी बढ़ सकती है।  
  4. पेट का बड़ा होना - इसके शुरुआती लक्षणों में पेट फुला हुआ और मुलायम लगता है। 
  5. मूत्र का रंग बदल जाता है - मूत्र का रंग मलिन हो जाता है। क्योंकि पेनक्रियाज लिवर सामान्य पित्त की नली को खोल देता है, जिससे पित्त स्त्रावित नहीं हो पाता और बिलीरुबिन मलिन मूत्र के रूप में बाहर आता है।  
  6. दर्द - पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द हो सकता है। 
  7. डिप्रेशन -  पैंक्रियाटिक कैंसर के मरीज को डिप्रेशन की समस्या भी हो सकती है। 
  8. पीलिया होना  - बार-बार पीलिया की शिकायत होने लग जाती है। 

Cinnamon health Benefits: दालचीनी में छुपा है महिलाओं के सेहतमंद रहने का राज, ऐसे करें सेवन

पैंक्रियाटिक कैंसर से बचाव कैसे करें?

  • पैंक्रियाटिक कैंसर से बचे रहने के लिए ना तो स्मोकिंग करें और ना ही स्मोकिंग एरिया में रहें।
  • नियमित तौर पर योग और एक्सरसाइज करें।
  • हरी सब्जी और फलों का नियमित सेवन करें।
  • रेड मीट खाने से परहेज करें। 
  • पैक्ड फूड प्रोडक्ट का सेवन करने से बचें।
  • वजन को नियंत्रण में रखें। 

 इस तरह छोटी-छोटी बातों को ध्यान में रखकर आप पैंक्रियाटिक कैंसर से खुद को बचा कर रख सकते हैं और अगर इसके शुरुआती कोई लक्षण दिखाई दे तो आप वक्त रहते इलाज करवा सकते हैं। 

World Diabetes Day: बच्चों में बढ़ रही है डायबिटीज की समस्या, जानिए लक्षण और बचाव

Latest Health News