पंचकर्म: स्वामी रामदेव से जानिए वामन, नस्य क्रिया और रक्त मोक्षण क्रिया की विधि और स्वास्थ्य लाभ
पंचकर्म एक ऐसी तकनीक है। जिसके द्वारा शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकाला जाता है। इसी क्रम में आज स्वामी रामदेव से जानिए वामन, नस्य और रक्त मोक्षण क्रिया के बारे में।
आयुर्वेद में कई ऐसे उपाय बताए गए हैं जिनसे आप अपने तन के साथ-साथ मन को भी हेल्दी रख सकते हैं। इन्हीं में से एक 'पंचकर्म' का काफी महत्व है। जिससे आप कई बीमारियों से छुटकारा पा सकते हैं। जानिए स्वामी रामदेव से इस पंचकर्म के बारे में विस्तार से।
क्या है पंचकर्म?
आयुर्वेद के अनुसार हमारा शरीर 5 तत्वों पृथ्वी, जल, अग्नि, आकाश और वायु से मिलकर बना है। जब शरीर में इन 5 तत्वों के अनुपात में गड़बड़ी होती है तो कई बीमारियों उत्पन्न होने लगती हैं। जिन्हें आयुर्वेद के द्वारा फिर से स्थिर किया जाता है। स्वामी रामदेव के अनुसार पंचकर्म से आप जोड़ों के दर्द, अर्थराइटिस, पेट से जुड़े रोग, साइनस, माइग्रेन, साइटिका, बीपी, डायबिटीज जैसी समस्याओं से निजात पा सकते हैं।
पंचकर्म के प्रकार
स्वामी रामदेव के अनुसार पंचकर्म 5 तरीकों से किया जाता है।
1. वामन- यह उल्टी द्वारा शरीर से विषाक्त पदार्थों को निकालता है। मस्तिष्क से हानिकारक विषाक्त पदार्थों को भी इस प्रक्रिया के माध्यम से हटा दिया जाता है। यह आपके शरीर को फिट बनाता है, तनाव को दूर करता है, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है, शरीर को आराम देता है और पाचन में सुधार करता है।
2. विरेचन- यह मल त्याग से विषाक्त पदार्थों को हटाने में मदद करता है।
3. नस्य क्रिया- यह नाक से दवा डालकर मस्तिष्क से विषाक्त पदार्थों को निकालती है। यह उन लोगों की मदद करता है, जो माइग्रेन से पीड़ित हैं।
4. अनुनासववती- यह गैस्ट्रिक समस्याओं, गठिया के इलाज, प्रजनन प्रणाली को स्वस्थ बनाने और पुरानी बीमारियों से छुटकारा दिलाने में मदद करती है।
5. रक्तमोक्षन- औषधीय जोंक आपके शरीर के प्रभावित हिस्सों पर लगाई जाती है, जो रक्त परिसंचरण में मदद करते हैं और रक्त को शुद्ध करते हैं।
स्वामी रामदेव पंचकर्मों में विरेचन और अनुनासववती के बारे में पहले ही बता चुके हैं। इसी क्रिया में आज जाने वामन, नस्य क्रिया और रक्त मोक्षण क्रिया के बारे में।
रक्त मोक्षण क्रिया
पंचकर्म में चौथा रक्त मोक्षण क्रिया है। इसका मतलब होता है शरीर से खराब को बाहर निकलना। इसमें दो तरह से शरीर से विषाक्त तत्व बाहर निकाल जाते हैं। शरीर से टॉक्सिन और निगेटिव एनर्जी को खत्म करके के लिए जोक (लीच) लगाने और सुई से थोड़ा-थोड़ा चुभाया जाता है।
पहला उपाय
इस क्रिया में पहले कमर को आयुर्वेदिक तेल से साफ किया जाता है। इसके बाद एक निडिल को साफ करके कमर में चुभाया जाता है। जिससे कि खून निकलने के लिए छिद्र बन जाएं। इसके बाद उस जगह पर एक आटा की लोई रखी जाती हैं। जिसके ऊपर कपूर रखकर जलाया जाता है। जिसके बाद वाष्पन क्रिया के लिए गिलास से इसे बंद कर देते हैं। जिसमें भाप बनकर विषाक्त खून निकालने में मदद करती हैं। गिलास वैक्यूम का काम करता हैं। थोड़ी देर विषाक्त खून निकलने के बाद धीरे से गिलास और आटा को हटा लिया जाता है। इसके बाद कॉटन की मदद से मूलेठी का तेल लगाते है जिससे घाव आसानी से भर जाएं। इसके बाद तेल और कॉटन लगातर टेप लगा देते हैं।
दूसरा उपाय
इस क्रिया में सबसे पहले जोंक को साफ करने के लिए हल्दी वाले पानी में डालते हैं। इसके बाद इसे जोड़ों के दर्द से निजात पाने के लिए घुटने आदि में लगाते हैं। लीच के जरिए ब्लड को प्यूरीफाई किया जाता है। लीच शरीर से खराब खून को चूस लेते हैं। जिसके बाद इसे छुड़ाने के लिए हल्दी डालते हैं। इसके बाद लीच को हल्दी के पानी में डालकर वोमन कराया जाता है। जिससे कि इनके शरीर से विषाक्त रक्त बाहर निकल जाए। इस क्रिया को करने से जोडों के दर्द, कमर के दर्द, अर्थराइटिस आदि समस्या से निजात मिल जाता है।
दुबलेपन के चलते परेशान हैं तो ये योगासन और घरेलू उपाय करेंगे मदद, जल्द दिखेगा असर
नस्य क्रिया
इस क्रिया में सिर में मौजूद विषाक्त तत्वों को बाहर निकालते हैं। इसके लिए सबसे पहले चेहरे की मसाज करते हैं। इसके बाद एक नाक को बंद करके दूसरी नाक से अणु तेल या कोई दूसरा तेल डालते हैं। इसी तरह दूसरी ओर करते हैं। इसके बाद धीरे-धीरे अंदर खींचते हैं। इस क्रिया के बाद धूमपान कराते हैं। इसके लिए हल्दी का धुंआ नाक में कोन की मदद से प्रवेश कराते हैं। इस क्रिया को करने से माइग्रेन, डिप्रेशन, सर्दी-जुकाम, बालों के झड़ने की समस्या से निजात मिल जाता है।
वामन क्रिया
इस क्रिया में वोमेटिंग के जरिए पेट में जमा टॉक्सिन को बाहर निकालते है। इसके लिए सबसे पहले गाय का दूध पिलाते हैं। फिर मुंह में अंगुली डालकर उल्टी कराते हैं। इसके बाद मदन फल, वचा चूर्ण, मुलेठी नीम, खांड, शहद और सेंधा नमक को एक साथ अच्छे से मिक्स कर गाढ़ा पेस्ट बनाते हैं। इसके बाद इसे सेवन करने वाले व्यक्ति को एक श्लोक को पढ़ने के बाद खाने के देते हैं। वह व्यक्ति इस दवा को खाता है। इसके बाद एक गिलास दूध पीता हैं। फिर थोड़ी देर इंतजार करने के बाद उसे उल्टी हो जाती है। ठीक ढंग से उल्टी करने के बाद आर्युवेदिक मुलेठी पानी पीने को देते हैं। इस मुलेठी पानी को बनाने के लिए इसे रात को भिगोकर रख देते हैं और सुबह इसका पानी बना लेते हैं।