Malaria Vaccine: मलेरिया पर रोकथाम लगाने में कारगर होगी ये वैक्सीन, ट्रांसमिशन भी होगा कम
Malaria Vaccine: हर साल पूरे विश्व में 627,000 से ज्यादा लोग इस बीमारी के शिकार हो जाते हैं। ऐसे में मलेरिया का ये नया टीका लोगों के लिए एक बड़ी उम्मीद बन सकता है।
Malaria Vaccine: मलेरिया (Malaria), एनाफिलीज नामक मादा मच्छर के काटने से होने वाली बीमारी है। हर साल, मलेरिया दुनिया भर के 90 से अधिक देशों में फैलता है और 241 मिलियन से ज्यादा लोगों को अपना शिकार बनाता है। इसके अलावा दुनियाभर में मलेरिया के कारण होने वाली अनुमानित मौतें 627,000 हैं। ऐसे में George Washington University के वैज्ञानिकों द्वारा तैयार ये मलेरिया वैक्सीन ( mRNA vaccines for malaria infection in hindi), इसकी रोकथाम के लिए कारगर तरीके से काम कर सकती है। कैसे, आइए जानते हैं इस वैक्सीन के बारे में विस्तार से।
मलेरिया के रोकथाम में कैसे कारगर है ये वैक्सीन?
मलेरिया के रोकथाम के लिए जॉर्ज वाशिंगटन विश्वविद्याल (George Washington University) के वैज्ञानिकों ने एक mRNA वैक्सीन तैयार की है जो कि इस घातक बीमारी को खत्म करने में मदद कर सकता है। इस वैक्सीन को बनाने के लिए सार्स-सीओवी2 ( SARS-CoV2) की मदद ली गई है और एमआरएनए टीके की एक नई पीढ़ी तैयार की गई है।
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मलेरिया संक्रमण और संचरण दोनों को रोकने में कारगर
जॉर्ज वाशिंगटन विश्वविद्यालय के नेतृत्व में एक शोध दल ने दो mRNA वैक्सीन विकसित किए हैं जो मलेरिया संक्रमण और संचरण दोनों को कम करने में अत्यधिक प्रभावी हैं। टीम ने यह भी पाया कि ये टीके मलेरिया के मच्छरों के खिलास इम्यूनिटी बिल्डअप करने में कारगर हैं।
कैसे काम करती है ये वैक्सीन
शोध दल ने इस वैक्सीन को बनाने के लिए परजीवी प्लाज्मोडियम फाल्सीपेरम पर ध्यान केंद्रित किया, जो चार परजीवी प्रजातियों में से एक है जो मलेरिया और मनुष्यों के लिए सबसे घातक है। एनोफिलीज मच्छर के काटने से फैलता है, पी. विवैक्स के साथ पी. फाल्सीपेरम वैश्विक स्तर पर मलेरिया के 90% से अधिक मामलों और मलेरिया से होने वाली 95% मौतों के लिए जिम्मेदार है। ये वैक्सीन मच्छरों के जीवन चक्र के विभिन्न हिस्सों को बाधित करती है और उस प्रोटीन को रोकती है, जिसके कारण इंसानों में मलेरिया हो जाता है।
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फिलहाल इस वैक्सीन को चूहों पर प्रयोग किया गया है जहां ये कारगर साबित हुआ है। आगे इस वैक्सीन को इंसानों पर भी प्रयोग करके टेस्टिंग की जाएगी। ये अध्ययन एनपीजे वैक्सीन (npj Vaccines) में प्रकाशित हुआ है, जो एक ओपन-एक्सेस वैज्ञानिक पत्रिका है जो नेचर पोर्टफोलियो का हिस्सा है।