इन लोगों को होता है निमोनिया से सबसे ज़्यादा खतरा, डॉक्टर्स से जानिए इसके लक्षण और बचाव के उपाय
World Pneumonia Day 2023:निमोनिया एक प्रकार का संक्रमण है जो फेफड़ों के इन्फेक्टेड होने की वजह से होता है। चलिए आपको बताते हैं इस बीमारी की चपेट में सबसे ज़्यादा कौन लोग आते हैं।
सर्दी का मौसम आ गया है इस मौसम में सर्दी-खांसी की समस्याएं ज़्यादा होने लगती है। लेकिन अगर यह समस्या आपको ज़्यादा समय तक रहे तो आपको सावधान होने की ज़रूरत है। कुछ स्थितियों में खांसी और सांस की समस्या निमोनिया की वजह से भी हो सकता है। निमोनिया एक फेफड़ों का संक्रमण से जुड़ी बीमारी है। जो खांसने, छींकने, छूने या कीटाणु युक्त हवा में सांस लेने से फैलती है। अगर सही समय पर इस बीमारी का इलाज़ न किया जाए तो इसके परिणाम गंभीर हो सकते हैं। निमोनिया बच्चों से लेकर बूढ़े किसी को भी हो सकता है। लेकिन यह छोटे बच्चों और 65 साल से ऊपर के लोगों के लिए ज़्यादा खतरनाक होता है। लोगों में इस बीमारी को लेकर जागरुकता फैले इसलिए हर साल 12 नवंबर को निमोनिया दिवस मनाया जाता है। पल्मोनोलॉजी क्रिटिकल केयर की और स्लीप मेडिसिन पीएसआरआई अस्पताल में वरिष्ठ सलाहकार डॉ.नीतू जैन बता रही हैं कि निमोनिया किन लोगों में ज़्यादा होता है साथ ही इसके क्या लक्षण हैं और इससे अपना बचाव कैसे किया जाए।
निमोनिया क्या होता है?
निमोनिया एक प्रकार का संक्रमण है जो फेफड़ों के इन्फेक्टेड होने की वजह से होता है। जिससे खांसी, बुखार के साथ ठंड लगती है और सांस लेने में समस्या होती है। इसमें छाती में इंफेक्शन हो जाता है, इसके कीटाणु हवा में होते हैं। निमोनिया वायरल इंफेक्शन से भी हो सकता है और बैक्टीरियल इंफेक्शन से भी हो सकता है। निमोनिया बच्चों से लेकर बूढ़े किसी को भी हो सकता है। लेकिन यह छोटे बच्चों और 65 साल से ऊपर के लोगों के लिए ज़्यादा खतरनाक होता है।
निमोनिया के लक्षण
- सांस लेने या खांसी आने पर सीने में दर्द होना
- खांसी के साथ बहुत ज्यादा कफ आना
- सांस लेने में तकलीफ होना
- लगतारा थकान-बुखार और कंपकंपी लगना
- उल्टी या दस्त की समस्या होना
इन बीमारियों के मरीज रहें सावधान
जो लोग पहले से से किसी बीमारी या समस्या से पीड़ित होते हैं जैसे, डायबिटीज या फिर दिल या फेफड़े से जुड़ी कोई बीमारी जैसी अस्थमा, सीओपीडी (सीओपीडी, यानी की क्रोनिक ऑबस्ट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीस, फेफड़ों की एक क्रॉनिक बीमारी है जो फेफड़ों में हवा के प्रवाह को रोकता है) या आरएलडी (आरएलडी में सांस फूलने लगता है)। दरअसल जिनको अस्थमा होता है वो इस बीमारी की चपेट में ज़्यादा नहीं आते हैं लेकिन सीओपीडी या आरएलडी जैसी समस्याओं से ग्रसित मरीजों को निमोनिया होने की संभावना बढ़ जाती है। साथ ही जिन लोगों की इम्युनिटी कमजोर होती है उन लोगों को भी यह बीमारी बहुत जल्द अपने चपेट में लेती है।
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निमोनिया से बचने के उपाय
अगर आपको वायरल और फ्लू से जुड़ा निमोनिया हुआ है तो उससे बचाव के लिए एक फ्लू इंजेक्शन लगवाया जाता है, इसे साल में एक बार लगवाना चाहिए। इसके अलाव लोगों को निमोनिया से बचने के लिए निमोकोकल वैक्सीन ऑटो है जो लोगों को ज़रूर लगवानी चाहिए।