अर्थराइटिस, गठिया से पीड़ित हैं तो जानें डॉक्टर से सर्दियों में क्या करें और क्या नहीं?
सर्दियों का मौसम अर्थराइटिस और गठिया के मरीजों के लिए किसी डरावने सपने से कम नहीं होता है। इस मौसम में उनका जोड़ों का दर्द बहुत ज़्यादा बढ़ा जाता है। ऐसे में अगर आप भी इस बीमारी के शिकार हैं तो डॉक्टर रमाकांत यादव द्वारा बताए गए इन उपायों को ज़रूर आज़माएं।
सर्दियों का मौसम शुरू होते ही जोड़ों का दर्द बढ़ जाता है। जॉइंट्स और उँगलियों में दर्द की समस्या ज़्यादातर महिलाओं और बुजुर्गों में होती है। इस मौसम में अर्थराइटिस,गठिया के रोगियों की मुश्किलें इतनी ज़्यादा बढ़ जाती हैं कि उनका उठना बैठना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में इंडिया टीवी के मनोज पांडेय ने ऑल इंडिया इस्टिट्यूट ऑफ आयुर्वेद (AIIA) के डॉक्टर रमाकांत यादव से बातचीत की और जाना अर्थराइटिस के मरीज सर्दियों में क्या करें और क्या ना करें।
1. क्या सर्दियों में बढ़ने लगता है अर्थराइटिस का दर्द ?
बिल्कुल, सर्दियों में अर्थराइटिस का दर्द तो बढ़ता ही है साथ ही गठिया, अर्थराइटिस के मरीज भी खूब रफ्तार से बढ़ते हैं।
2.अचानक क्यों बढ़ने लगते हैं सर्दियों में गठिया के मरीज ?
खराब लाइफ स्टाइल, सुबह की धूप न सेंकना, हड्डियों का कमजोर होना, शरीर में कैल्सियम की कमी से बढ़ते हैं मामले।साथ ही ठंड का मौसम आते ही मांसपेशियों में अकड़न, नसों का सिकुड़ना, शरीर में खून का प्रवाह धीमा पड़ता है। जिससे शरीर के जोड़ों में रक्त संचार प्रभावित होता है।जिससे सूजन,दर्द,अकड़न बनी रहती है।
3. सर्दियों में अर्थराइटिस के मरीजों को क्या सावधानियां रखनी चाहिए ?
अर्थराइटिस के रोगियों को ठंड के मौसम की तैयारियां करके रखनी चाहिए।।पहनावा गर्म रखें,खानपान में गर्म चीजों का इस्तेमाल ज्यादा हो, कुछ सूक्ष्म व्यायाम रोज करने की आदत डालें,गरिष्ट खाने से बचें।
4. कैसा होना चाहिए सर्दियों में अर्थराइटिस, गठिया के रोगी का खानपान ?
आयुर्वेद विज्ञान में कहा गया है सर्दियों में खाना 'ऊष्ण व स्निग्ध' होना चाहिए यानि गर्म तासीर का खाना+घी। एकदम सूखा खाना खाने से बचें। मेथी, सौठ, अश्वगंधा, गोंद के लड्डू आदि का इस्तेमाल रखेगा आपको फिट।
बथुआ का साग खाते ही जोड़ों और उंगलियों के दर्द से मिलेगा आराम, इन समस्याओं में भी है कारगर
5. रोगियों को एक्सरसाइज कैसे और क्या करनी चाहिए ?
अर्थराइटिस, गठिया के रोगियों को बहुत अधिक व्यायाम करने से भी नुकसान है,बिल्कुल व्यायाम ना करना भी खतरनाक है।सूक्ष्म व्यायाम करें जैसे अपने हाथ-पैर के जोड़ों में हिलाते रहें।लोकल जोड़ों में रक्त संचार बने रहने से अकड़न नहीं होती। ज्वाइंट्स घिसने से भी बचे रहते हैं। 2 किलोमीटर तक रोज चलना-फिरना किया जा सकता है।भुजंगासन, शलभआसन, उत्तानपाद आसन उचित माना जाता है।
6. क्या अर्थराइटिस भी कई तरह की होती है ?
जी हां, आयुर्वेद में 100 से भी अधिक तरह की अर्थराइटिस का जिक्र मिलता है लेकिन मुख्यत: 4 तरह की हैं, इन्फ्लैमेट्री अर्थराइटिस में जोड़, मांसपेशियों में सूजन, रयूमैटोएड अर्थराइटिस (गठिया) 20 से 40 साल के लोगों में ज्यादा मिलती है, ऑस्टियो अर्थराइटिस अधिकतर 50 से ऊपर की उम्र के लोगों में दिखती है, गाउट अर्थराइटिस में शरीर में प्रोटीन की मात्रा ठीक नहीं होने से यूरिक एसिड बढ़ जाता है जो जोड़ों में जमा होते ही दर्द,सूजन,अकड़न का रुप लेता है इसके अलावा चोट लगने से भी अर्थराइटिस होने का खतरा है।
नसों में जमे हाई कोलेस्ट्रॉल को बाहर निकालता है हल्दी, इसकी चाय पीने से दिल की सेहत हो जाएगी दुरुस्त
7. कैसे पहचानें अर्थराइटिस या गठिया ?
लगभग 50 से 60 फीसदी लोगों में देखा गया है पैर के अंगूठे में सूजन होना गाउट अर्थराइटिस का पहला लक्षण है।।।आयुर्वेद की रिपोर्ट बतातीं हैं ऐसे रोगियों का यूरिक एसिड टेस्ट कराने पर बढ़ा हुआ मिलता है।
8. डॉक्टर रमाकांत यादव की सलाह:
मेरे 30 साल के अनुभव से मैं यही कहूंगा कि हर नागरिक अपने स्वास्थ्य के लिए स्वार्थी बने। रोजाना 30 मिनट तक व्यायाम करें, खानपान पौष्टिक और घर का रखें, समय से सोना-जगना करें।रुटीन चैक अप साल में एक बार जरूर कराएं।