ज्यादा विटामिन डी भी है सेहत के लिए नुकसानदेह, रह-रहकर परेशान कर सकते हैं ये लक्षण
विटामिन डी सेहत से जुड़ी कई समस्याओं से बचने के लिए बेहद जरूरी है। लेकिन, तब क्या जब ये हमारे शरीर में ज्यादा होने लगे। आइए, जानते हैं Vitamin D toxicity के लक्षण।
अगर आप नर्व्स और दिमागी समस्याओं से बचे रहना चाहते हैं तो आपको अपनी डाइट में विटामिन डी को जरूर शामिल करना चाहिए। दरअसल, ये विटामिन असल में हमारे शरीर के अंदर मैसेजिंग सिस्टम को बेहतर बनाने में मदद करता है। इसे ऐसे समझें कि आपका ब्रेन क्या मैसेज देता है और शरीर तक ये मैसेज कैसे पहुंचता है, ये सभी गतिविधियां विटामिन डी से जुड़ा हुआ है। इसके अलावा आपका हार्मोनल हेल्थ और आपकी नींद भी विटामिन डी से जुड़ी हुआ है। लेकिन, जिस तरह से विटामिन डी की कमी शरीर के लिए सही नहीं है उसी तरह से विटामिन डी की अधिकता (vitamin D toxicity) भी शरीर के लिए सही नहीं है। तो, जानते हैं विटामिन डी के अधिकता के लक्षण (too much vitamin d symptoms)
शरीर में विटामिन डी ज्यादा होने के लक्षण-What happens if your vitamin D is too high in hindi
1. हाइपरकैल्शिया-Hypercalcemia
विटामिन डी जब शरीर में ज्यादा हो जाती है तो इसे हाइपरविटामिनोसिस डी ( hypervitaminosis D) भी कहा जाता है। ये एक दुर्लभ लेकिन संभावित गंभीर स्थिति है जो तब होती है जब आपके शरीर में विटामिन डी की अत्यधिक मात्रा होती है। इससे खून के अंदर कैल्शियम जमा होने लगता है जिससे हाइपरकैल्शिया की स्थिति पैदा होती है। ये स्थिति आपके दिल की सेहत और ब्लड सर्कुलेशन के लिए नुकसानदेह हो सकती है।
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2. उल्टी और कमजोरी-Vomiting and weakness
शरीर में अगर विटामिन डी की मात्रा ज्यादा होती है तो इससे आपको उल्टी हो सकती है या फिर आपको कमजोरी आ सकती है। दरअसल, विटामिन जी आपके पाचन क्रिया को प्रभावित करता है और इससे पाचन गति भी प्रभावित होती है। इससे आपको बार-बार मतली महसूस हो सकती है, उल्टी हो सकती है और आप कमजोरी के भी शिकार हो सकते हैं।
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3. हड्डियों में दर्द और किडनी से जुड़ी समस्याएं-Bone pain and kidney problems
शरीर में विटामिन डी ज्यादा होने से आपकी हड्डियों में तेज दर्द हो सकता है। ये इसलिए कि जब कैल्शियम आपके खून में जमा होने लगता है तो हड्डियों पर इसका घनत्व कम हो जाता है। इसके अलावा ब्लड सर्कुलेशन भी प्रभावित रहता है। जिससे आप हड्डियों में तेज दर्द हो सकता है। साथ ही ये किडनी के फिल्ट्रेशन को भी प्रभावित कर सकता है।