हाजमा खराब है बचकर खाओ, छोड़ो पकवान अब दलिया बनाओ... सोचिए इन पंक्तियों को लिखने वाला शख्स हर किसी की सलाह से कितना ऊब गया होगा कि मन के गुबार को निकालने के लिए उसे कविता का सहारा लेना पड़ा। अब पेट से जुड़ी परेशानी होती ही ऐसी है कि कोई क्या करे ना कहते बनता है और ना कहे बिना। और ये हाल तब और बुरा हो जाता है जब बीमारों को बढ़ाने वाला मौसम मिल जाए।
बारिश के मौसम में कुदरत बेशक खूबसूरत लगती है। लेकिन सेहत बिगाड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ती। क्योंकि इस मौसम में वायरस-बैक्टीरिया तेजी से पनपता है। जाहिर है इससे वायरल-बैक्टीरियल अटैक का खतरा भी कई गुणा बढ़ जाता है। वायरस..बैक्टीरिया सांस के जरिए घुसपैठ करते हैं और डायजेशन सिस्टम को बीमार बनाते हैं। नतीजा सबसे पहले डायरिया का रिस्क बढ़ जाता है। इतना ही नहीं सीलन भरे मौसम में कॉन्स्टिपेशन प्रॉब्लम भी ट्रिगर हो जाती है।
पैट में बैक्टीरिया और वायरल इंफेक्शन का असर लिवर और पैन्क्रियाज पर भी पड़ता है। नतीजा गैस-एसिडिटी की वजह से चेस्ट पेन, बर्निंग सेंसेशन बढ़ जाती है। वक्त पर इसका इलाज ना हो तो..आंतों में सूजन यानि कोलाइटिस की परेशानी भी आ जाती है। अगर बारिश के मौसम में गले में खराश, सर्दी और फ्लू महसूस हो तो इसके लक्षणों को नजरअंदाज मत कीजिएगा। बरसात के मौसम में खराब हाजमा इसकी बड़ी वजह है।
अगर आप रोजाना योग करते हैं अपने खाने-पाने का सही ख्याल रखते हैं तो शरीर की मजबूत इम्यूनिटी पेट पर हुए बैक्टीरियल-वायरल हमले को फेल कर देती है। आपको बीमार नहीं पड़ने देती और कम खाने..दलिया खाने की सलाह भी हर किसी से नहीं सुननी पड़ती। तो चलिए आज पेट की सफाई और आंतों को मजबूत बनाने के लिए योगिक फॉर्मूला अपनाते हैं और स्वामी रामदेव से जानते हैं इसका कारगर उपाय।
बारिश का मौसम सेहत का दुश्मन
- वायरल बैक्टीरियल अटैक
- सांस के ज़रिए शरीर में घुसपैठ
- डायजेस्टिव सिस्टम पर असर
- डायरिया की परेशानी
- कॉन्स्टिपेशन
बारिश में रखें पेट का ख्याल
- सुबह उठकर गुनगुना पानी पीएं
- एलोवेरा, आंवला गिलोय लें
- बाज़ार की चीज़ें खाने से बचें
- पानी को उबालकर पीएं
- रात में हल्का खाना खाएं
कब्ज़ की करें छुट्टी
- सौंफ और मिश्री चबाएं
- जीरा,धनिया,सौंफ का पानी लें
- खाने के बाद भुना अदरक खाएं
खत्म करें एसिडिटी
- लौकी-तुलसी का जूस पीएं
- बेल का जूस फायदेमंद
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