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Hindi News हेल्थ भीषण गर्मी से हो सकती है प्रीमैच्योर डिलीवरी, इस उम्र में मां बनने वाली महिलाओं को है खतरा, रिसर्च में खुलासा

भीषण गर्मी से हो सकती है प्रीमैच्योर डिलीवरी, इस उम्र में मां बनने वाली महिलाओं को है खतरा, रिसर्च में खुलासा

Heatwaves Increasing Premature Birth: तेज गर्मी, लू और हाई टेंपरेचर का असर न सिर्फ इंसानों पर पड़ रहा है बल्कि इसका असर गर्भ में पल रहे शिशु पर भी हो रहा है। एक रिसर्च में पाया गया है कि लंबे समय लू और उच्च तापमान के कारण प्रीमैच्योर डिलीवरी का खतरा बढ़ जाता है।

Pregnancy - India TV Hindi Image Source : FREEPIK Pregnancy

प्रचंड गर्मी ने लोगों का जानी मुश्किल कर दिया है। जिसे देखो गर्मी को लेकर परेशान है। इस असहनीय गर्म तापमान में लोगों के लिए अपने रुटीन के दैनिक काम-काज कर पाना भी मुश्किल हो रहा है। बढ़ते तापमान और भीषण गर्मी का असर स्वास्थ्य पर भी पड़ रहा है। अब एक नए रिसर्च में पता चला है कि गर्म मौसम, लू और हाई टेंपरेचर के मौसम में समय से पहले जन्म में वृद्धि हो रही है। यानि भीषण गर्मी के कारण प्रीमैच्योर डिलीवरी का खतरा बढ़ रहा है। 

गर्भ में पल रहे बच्चों पर गर्मी का असर

अमेरिका की नेवादा यूनिवर्सिटी के इस रिसर्च में वैज्ञानिकों ने 25 साल तक (1993-2017) अमेरिका के 50 सबसे बड़े मेट्रोपॉलिटन शहर में समय से पहले जन्म लेने वाले बच्चों पर ये रिसर्च किया है। इस रिसर्च में करीब 5.3 करोड़ बच्चों के जन्म की परिस्थितियों का  विश्लेषण किया गया है जिनका जन्म किसी कारणवश जल्दी हुआ है। रिसर्च में पाया गया है कि हीट वेक की वजह से प्रीमैच्योर डिलीवरी और समय से पहले जन्म लेने वाले बच्चों की संख्या में काफी बदलाव दिखा।

हीटवेव से हो रही है प्रीमैच्योर डिलीवरी 

एक फुल मैच्योर बेबी के होने का समय करीब 40 सप्ताह का होता है। 37 सप्ताह से पहले पैदा होने वाले बच्चे प्रीमैच्योर होते हैं। वहीं प्रेगनेंसी के 37 से 39 सप्ताह के बीच पैदा होने वाले बच्चे अर्ली टर्म बर्थ वाले कहलाते हैं। रिसर्च  में पाया गया है कि 25 सालों में प्रीमैच्योर बर्थ के मामले 2 प्रतिशत बढ़े वहीं समय से पहले जन्म लेने वाले बच्चों की संख्या 1 प्रतिशत बढ़ी है। इसमें ज्यादा गर्म तापमान में बच्चों के अर्ली बर्थ और प्रीमैच्योर बर्थ की संख्या 2.5 प्रतिशत ज्यादा पाई गई।

30 साल से कम उम्र की मां को है खतरा 

शोधकर्ताओं ने लिखा है, "सीमा से ऊपर औसत तापमान में प्रत्येक 1 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि प्रीमैच्योर और समय से पहले जन्म दोनों की दर में 1 प्रतिशत की वृद्धि के साथ जुड़ी हुई थी।" रिसर्च में ये भी पाया गया है कि हीटवेव के कारण समय से पहले बच्चे होने के मामले 30 साल से कम उम्र में मां बनने वाली महिलाओं में ज्यादा पाए गए।

 

 

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