कोरोना वायरस की दो स्वदेशी वैक्सीन पर ह्यूमन क्लिनिकल ट्रायल शुरू : स्वास्थ्य मंत्रालय
स्वास्थ्य मंत्रालय ने ट्वीट करके सूचना दी है कि कोरोना की दोनों स्वदेशी वैक्सीन का पहले और दूसरे चरण का ह्यूमन क्लिनिकल ट्रायल शुरू हो गया है।
कोरोना से जंग को लेकर भारत के लिए एक अच्छी खबर आ रही है। भारतीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोरोना वायरस की वैक्सीन को लेकर कहा है पूर्ण रूप से स्वदेशी कोविड-19 वैक्सीन के पहले और दूसरे चरण का ह्यूमन ट्रायल शुरू हो गया है। स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से किए गए आधिकारिक ट्वीट में इस बात की सूचना दी गई है।
आपको बता दें कि भारत के साथ साथ विश्व के कई देश कोविड 19 वैक्सीन विकसित करने के प्रयास में जुटे हुए है। भारत में स्वदेशी रूप से विकसित दोनों वैक्सीन का क्लिनिकल ट्रायल तो हो चुका है और अब इंसानों पर इसका ट्रायल शुरू हो रहा है।
कोविड-19 का टीका तैयार करने में जुटी हैं ये सात भारतीय दवा कंपनियां
आपको बता दें कि कम से कम सात भारतीय दवा कंपनियां कोरोना वायरस संक्रमण का टीका तैयार करने में जुटी हैं। वैश्विक स्तर पर इस जानलेवा महामारी के प्रसार को रोकने के लिए टीका बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं।
घरेलू फार्मा कंपनियों की बात की जाए, तो भारत बायोटेक, सीरम इंस्टिट्यूट, जायडस कैडिला, पैनेशिया बायोटेक, इंडियन इम्यूनोलॉजिकस, मायनवैक्स और बायोलॉजिकल ई कोविड-19 का टीका तैयार करने का प्रयास कर रही है। हालांकि, कोई टीका या वैक्सीन बनाने के लिए कई साल परीक्षण और उसके बाद उत्पादन के लिए अतिरिक्त समय की जरूरत होती है। लेकिन इस महामारी की वजह से वैज्ञानिक कुछ महीनों में इसका टीका बनाने की उम्मीद कर रहे हैं।
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भारत बायोटेक को वैक्सीन ‘कैंडिडेट’ कोवैक्सीन के पहले और दूसरे चरण के क्लिनिकल परीक्षण की अनुमति मिली है। इसका विनिर्माण कंपनी के हैदराबाद कारखाने में किया जाएगा। कंपनी ने पिछले सप्ताह मानव क्लिनिकल परीक्षण शुरू किया है। हैदराबाद की कंपनी भारत बायोटेक ने पिछले सप्ताह रोहतक के परास्नातक चिकित्सा विज्ञान संस्थान में अपने टीके कोवैक्सीन का मानव परीक्षण शुरू कर दिया है।
एक अन्य कंपनी सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया को उम्मीद है कि वह इस साल के अंत तक कोविड-19 का टीका तैयार कर लेगी। सीरम इंस्टिट्यूट के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) अदर पूनावाला ने कहा, ‘‘फिलहाल हम एस्ट्रजेनेका ऑक्सफोर्ड वैक्सीन पर काम कर रहे हैं, जिसका तीसरे चरण का क्लिनिकल परीक्षण चल रहा है। हम अगस्त, 2020 में भारत में मानव परीक्षण शुरू करेंगे। अभी तक क्लिनिकल परीक्षण को लेकर जो सूचना उपलब्ध है उसके आधार पर हमें उम्मीद है कि एस्ट्राजेनेका ऑक्सफोर्ड वैक्सीन इस साल के अंत तक उपलब्ध होगी।’’
फार्मा क्षेत्र की एक अन्य कंपनी जायडस कैडिला ने कहा कि वह कोविड-19 के वैक्सीन ‘कैंडिडेट’ जाइकोव-डी का क्लिनिकल परीक्षण सात माह में पूरा करने की उम्मीद कर रही है। जायडस कैडिला के चेयरमैन पंकज आर पटेल ने बयान में कहा, ‘‘अध्ययन के नतीजों के बाद यदि डाटा उत्साहवर्धक रहता है और परीक्षण के दौरान टीका प्रभावी साबित होता है तो परीक्षण पूरा करने और टीका उतारने में सात माह लगेंगे।’’
भारतीय औषधि नियामक से कंपनी को सार्स-कोव-2 वैक्सीन के पहले और दूसरे चरण क्लिनिकल परीक्षण की मंजूरी मिली है। कंपनी ने यह टीका भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) और राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थन (एनआईवी) के साथ सहयोग से विकसित किया है।
पैनेशिया बायोटेक ने जून में कहा था कि वह कोविड-19 का टीका विकसित करने के लिए अमेरिका की रेफैना के साथ मिलकर आयरलैंड में संयुक्त उद्यम लगा रही है। राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) की अनुषंगी इंडियन इम्यूनोलॉजिकल्स ने कोरोना वायरस का टीका विकसित करने के लिए ऑस्ट्रेलिया के ग्रिफिथ विश्वविद्यालय के साथ करार किया है। इसके अलावा मायनवैक्स और बायोलॉजिकल ई भी कोविड-19 का टीका तैयार करने के लिए काम कर रही हैं।
कोरोना को रोकने में Moderna की वैक्सीन को मिली बड़ी कामयाबी
अमेरिका की बायोटेक कंपनी मॉडर्ना की कोरोना वायरस की वैक्सीन (Coronavirus vaccine) बंदरों पर हुए ट्रायल में पूरी तरह असरदार रही है। Moderna और नेशनल इंस्टीट्यूट्स फॉर हेल्थ (NIH) की वैक्सीन पर न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में मंगलवार को एक नई स्टडी प्रकाशित हुई है। इसके मुताबिक, मॉडर्ना की कोरोना वैक्सीन ने बंदरों में सफलतापूर्वक तगड़ा इम्यून रेस्पांस विकसित किया है। यह वैक्सीन बंदरों की नाक और फेफड़ों में कोरोना को अपनी कॉपी बनाने से रोकने में भी सफल रही है।
इनपुट आईएएनएस