बिगड़ती लाइफस्टाइल और डाइट के कारण हार्ट की बीमारियों का खतरा तेजी से बढ़ रहा है। खासतौर से कोरोना के बाद हार्ट अटैक के मामले काफी बढ़ते जा रहे हैं। पहले 50 साल के बाद हार्ट अटैक या उससे जुड़ी बीमारियों के केस आते थे, लेकिन अब युवाओं में हार्ट अटैक के मामले सबसे ज्यादा देखे जा रहे हैं। हार्ट अटैक के लक्षण को ठीक से नहीं समझ पाने की वजह से स्थिति जानलेवा साबित होती है। सीने में दर्द, घबराहट और तेज पसीना आना हार्ट अटैक आने से पहले के संकेत हैं। गर्मियों में सभी को पसीना आता है, लेकिन तेजी से पसीना आना और साथ में असहज महसूस करना हार्ट अटैक के लक्षण हो सकते हैं। डॉक्टर से जानते हैं हार्ट अटैक से पहले कैसे और क्यों पसीना छोड़ती है हमारी बॉडी?
हार्ट अटैक से पहले आता है तेज पसीना आना
शारदा हॉस्पिटल के इंटरनल मेडिसिन डिपार्टमेंट के प्रोफेसर डॉ भुमेश त्यागी की मानें तो जब दिल तक ठीक तरीके से खून पहुंचाने में कोरोनरी यानि रक्त वाहिकाओं को परेशानी होती है, तो तेजी से पसीना आने लगता है। कोरोनरी में कोलेस्ट्रॉल के जमा होने की वजह से ब्लॉकेज हो जाती है और हार्ट तक ब्लड की सप्लाई कम होने लगती है। ऐसी स्थिति में हमारे हार्ट को ब्लड पंप करने के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ती है। जिससे दिल पर दबाव पड़ने लगता है। इस कंडीशन में बॉडी टेंपरेचर को नॉर्मल करने की कोशिश करती है और तेजी से पसीना निकालती है। अगर बिना किसी कारण के तेजी से पसीना आए तो ये हार्ट अटैक आने से पहले के संकेत हो सकते हैं।
हार्ट अटैक के लक्षण
- सीने में दर्द और घबराहट
- सीने में तेज जलन होना
- तेजी से पसीना आना
- थकान और चक्कर आना
- सांस लेने में परेशानी होना
- हार्ट बीट तेज या कम होना
- हाथ या कंधे में दर्द होना
- जबड़ या दांत में दर्द होना
- सिर में दर्द की शिकायत
हार्ट अटैक क्यों आता है?
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हार्ट अटैक आने के कई अलग-अलग कारण हो सकते हैं, जैसे तनाव और आपकी खराब लाइफस्टाइल।
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बहुत ज्यादा ड्रिंक करना या ड्रग्स जैसे नशा की आदत लगना। इससे हार्ट और ब्रेन पर असर पड़ता है।
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हाई कोलेस्ट्रॉल की वजह से धमनियों में ब्लॉकेज बढ़ जाती है जिससे हार्ट अटैक का खतरा बढ़ता है।
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डायबिटीज या किडनी से जुड़ी बीमारी होने पर भी हार्ट का स्वास्थ्य प्रभावित होता है।
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हार्ट अटैक का एक कारण बढ़ता प्रदूषण भी है। जहरीली हवा में सांस लेने से फेफड़े और हार्ट प्रभावित होते हैं।
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बढ़ता मोटापा भी हार्ट अटैक का कारण बन सकता है। जिन लोगों का वजन ज्यादा है वो रिस्क में रहते हैं।
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