बिना सांस की तकलीफ के आखिर क्यों कोरोना वायरस मरीज का घुटता है दम, ये है वजह
कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों का दम घुट रहा है और उन्हें डॉक्टर्स नहीं बचा पा रहे हैं। इसके अलावा वेंटिलेटर भी किसी काम नहीं आ रहे हैं। जानिए आखिर ऐसी क्या समस्या आ रही है।
कोरोना वायरस महामारी तेजी से अपने पांव पसारती जा रही हैं। दुनियाभर में लाखों लोग इस बीमारी संक्रमित हो चुके हैं। ऐसे में खबर आ रही है कि कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों का दम घुट रहा है और उन्हें डॉक्टर्स नहीं बचा पा रहे हैं। इसके अलावा वेंटिलेटर भी किसी काम नहीं आ रहे हैं। जानिए आखिर ऐसी क्या समस्या आ रही है कि संक्रमित मरीजों के लिए लाइफ सपोर्ट भी किसी काम नहीं आ रहे हैं।
डेली मेल में छपी खबर के अनुसार, न्यूयॉर्क सिटी के बेलेउवे हॉस्पिटल के डॉक्टर रिचर्ड लेवितान का इस बारे में कहना है कि मैं कई दशक से मेडिकल के छात्रों को वेंटिलेटर्स के बारे में बता रहा हूं। लेकिन कोरोना वायरस से बीमार मरीजों में दम घोंटू नाम की समस्या आ रही हैं कि यह वेंटिलेटर्स भी किसी काम नहीं आ रहे हैं।
डॉक्टर रिचर्ड लेवितान ने बताया कि हाइपोक्सिया के कारण यह समस्या सामने आ रही हैं। अगर सामान्य भाषा में कहें तो शरीर के अंदर ऑक्सीजन की मात्रा का कम हो जाना। इस महामारी से पीड़ित मरीजों को फेफड़ा कफ या फ्यूड से भरा होता है। सब मरीज की हालत ज्यादा खराब हो जाती हैं तो सांस लेने में समस्या होती है। हाइपोक्सिया के कारण शरीर में ऑक्सीजन कम होने लगती है। जिसके कारण शरीर के अन्य अंग काम करना बंद कर देते हैं। जिसके बाद मरीज की मौत हो जाती है।
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कब होती है हाइपोक्सिया की समस्या
डॉक्टर रिचर्ड लेवितान के अनुसार जब खून में ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है। जिसके कारण नसों के टिश्यू खराब होने लगते हैं। जिसके बाद धीरे-धीरे लिवर, दिमाग आदि काम करना बंद कर देते है। यह एक ऐसी समस्या है जो बिना बताए चली आती है।
डॉक्टर रिचर्ड लेवितान से आगे बताया कि कोरोना से संक्रमित व्यक्ति को सांस लेने में कोई दिक्कत नहीं है लेकिन वह हाइपोक्सिया के शिकार हो रहे थें। जब इनका एक्स रे किया गया तो पता चला कि उन्हें निमोनिया है।
ऐसे कई निमोनिया के केस सामने आए हैं जिन्हें देखकर कहा जा सकता है कि निमोनिया के कारण फेफड़े में मौजूद हवा के लिए जो जगह होती है उने कफ या म्यूकस भर जाता है। जिसके कारण व्यक्ति को सांस लेने में समस्या होने के साथ-साथ सीने में दर्द की दिक्कत होती है।
वहीं दूसरी ओर कोरोना वायरस से संक्रमित व्यक्ति की बात की जाएं तो उसे निमोनिया के समय किसी भी तरह का दर्द नहीं होता है। लेकिन जब दर्द महसूस होता है तो काफी देर हो जाती है ऐसे में मरीज के शरीर में ऑक्सीजन का स्तर बिल्कुल गिर जाता है।
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डॉक्टर रिचर्ड ने आगे कहा कि समुद्र के लेवल पर अधिकांश व्यक्तियों के लिए सामान्य ऑक्सीजन संतृप्ति 94 प्रतिशत से 100 प्रतिशत है। वहीं मैंने देखा कि COVID-19 निमोनिया के रोगियों में ऑक्सीजन की मात्रा 50 प्रतिशत तक कम थी।
वास्तव में, कई ऐसे लोग सामने आए जो अस्पताल में आने से पहले कम से कम एक सप्ताह बुखार, खांसी और सुस्ती से ग्रसित थे।
रिचर्ड आगे लिखते हैं कि COVID निमोनिया के कारण फेफड़ों में हवा की थैली ढह जाती है, जिससे ऑक्सीजन का स्तर गिर जाता है। हालांकि, मरीज अभी भी कार्बन डाइऑक्साइड को बाहर निकाल सकते हैं और क्योंकि यह सामान्य निमोनिया की तरह निर्मित नहीं होता है, रोगियों को सांस लेने में कठिनाई का अनुभव नहीं होता है।
ऑक्सीजन का स्तर कम होने के कारण मरीज गहरी और तेज सांस लेते हैं, लेकिन उन्हें इसका एहसास भी नहीं होता है। जिसके कारण ये तेज सांसें उनके फेफड़ों को और भी ज्यादा नुकसान पहुंचाती हैं।
ऐसे में वेंटिलेटर की कमी के कारण मरीज को सिंपल उपकरण 'पल्स ऑक्सीमीटर' से चेक करते रहना चाहिए। यह छोटा सा उपकरण हैं जिन्हें किसी भी फार्मेसी में खरीदा जा सकता है। वे खून में ऑक्सीजन के स्तर को मापने के लिए एक उंगली पर क्लिप करते हैं।
डॉक्टर रिचर्ड का आगे कहना हैं कि घर पर यह रोगियों को इलाज के लिए फायदेमंद साबित हो सकती हैं क्योंकि पहले कि उनके ऑक्सीजन का स्तर बहुत कम हो।