ॐ केवल शब्द नहीं, ये है रहस्य, जिसे वेद-पुराणों ने ही नहीं, बल्कि दुनिया ने माना
ॐ के उच्चारण से शारीरिक, मानसिक और आत्मिक लाभ प्राप्त होते हैं। दुनिया में जितने भी मंत्र हैं उन सभी का केंद्र ॐ को ही माना जाता है। इसके उच्चारण से शरीर में सकारात्मक ऊर्जा की उत्पत्ति होती है।
पूजा पाठ, धार्मिक गतिविधियों, शुभ कार्यों, योगाभ्यास और विभिन्न मंत्र के उच्चारण में अक्सर ॐ का प्रयोग भी किया जाता है। दरअसल ॐ का ज्ञान ही सबसे बड़ा ज्ञान है। सभी ईश्वर की उपासना का मंत्र ॐ से ही प्रारंभ होते हैं। ॐ तीन अक्षरों से बना हुआ है; अ, उ और म। अ से आदि कर्ता ब्रह्म का बोध होता है, उ से विष्णु भगवान का बोध होता है जबकि म से महेश का बोध होता है। यानी ॐ सम्पूर्ण जगत का नेतृत्व करता है।
ॐ के उच्चारण का शारीरिक लाभ
ॐ बोलने से गले में कंपन उत्पन्न होता है, इससे थायराइड ग्रंथि पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। घबराहट को दूर करने में भी ॐ के उच्चारण सहयोग करते हैं। शरीर के सभी आंतरिक अंग ॐ के उच्चारण से विषमुक्त होने लगते हैं। इसके कारण तनाव भी दूर होता है।
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पूरा शरीर स्वच्छ और स्वस्थ होता है
ॐ में प्रयुक्त होने वाले अक्षर अ बोलने से शरीर के निचले हिस्से यानी पेट के आसपास कंपन होता है। उ बोलने से शरीर के मध्य हिस्से यानी छाती के आसपास कंपन होता है। म बोलने से शरीर के ऊपरी हिस्से यानी मस्तिष्क में कंपन होता है। कुल मिलाकर ॐ के उच्चारण से सम्पूर्ण शरीर कंपित होता है। इससे हमें शारीरिक, मानसिक और आत्मिक लाभ पहुंचता है।
ॐ में छिपा है जीवन का सार
ॐ में प्रयुक्त होने वाले अक्षरों अ, उ और म का आशय कुछ विद्वानों ने अलग लगाए हैं; अ से आशय उत्पन्न होना, उ से आशय उठना और म से आशय मौन हो जाना है। इस प्रकार ॐ में जीवन का सार छिपा हुआ है।
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तनाव और अनिद्रा से मिलती है मुक्ति
ॐ के उच्चारण से एकाग्रता बढ़ती है। रचनात्मक कार्यों में लगे हुए व्यक्ति के लिए ॐ का जाप करना रामबाण साबित होता है। इससे स्मरण शक्ति बढ़ती है जबकि तनाव और अनिद्रा जैसी समस्याओं से मुक्ति भी मिलती है। हमेशा सकारात्मक बने रहने के लिए ॐ का उच्चारण कारगर साबित होता है।
बीमारियां होती हैं दूर
ॐ की ध्वनि से गलत मानसिक विचार दूर होते हैं। वेदों के निष्कर्ष, ऋषि मुनियों की तपस्या और विद्वानों के ज्ञान ॐ में समाहित हैं। इसके उच्चारण से मन में एकाग्रता और ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है। ॐ के जाप से कार्य क्षमता और कार्य दक्षता दोनों सकारात्मक ढंग से प्रभावित होते हैं।