Cancer Vaccine: भारत के पहले स्वदेशी रूप से विकसित एचपीवी (ह्यूमन पेपिलोमा वायरस) वैक्सीन के क्लिनिकल परीक्षण डेटा की आज यानी कि बुधवार, 15 जून को विशेषज्ञों द्वारा समीक्षा की जाएगी। यह सर्वाइकल कैंसर से लड़ने की वैक्सीन है, जो महिलाओं के लिए वरदान साबित हो सकती है। भारत में अभी सर्वाइकल कैंसर की विदेशी वैक्सीन उपलब्ध हैं, लेकिन इसकी कीमत 4 हजार रुपये तक है। सर्वाइकल कैंसर को बच्चेदानी के मुंह का कैंसर भी कहते हैं, जो ब्रेस्ट कैंसर के बाद महिलाओं में सबसे ज्यादा होने वाला कैंसर है।
सीरम इंस्टीट्यूट ने इससे पहले कोविड वैक्सीन की कोविशील्ड के रूप में हमें भारत की अपनी वैक्सीन सौंपी थी। आज दवा नियामक के तहत विषय विशेषज्ञ समिति (एसईसी) सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) द्वारा विकसित टीके के परीक्षण डेटा की समीक्षा करेगी, अगर सब ठीक रहा तो इस वैक्सीन को मंजूरी मिल जाएगी।
अगर इस वैक्सीन को राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम में शामिल किया जाता है, तो यह सर्वाइकल कैंसर के खिलाफ देश की महिलाओं के लिए वरदान साबित हो जाएगा। क्योंकि स्तन, फेफड़े और कोलोरेक्टल कैंसर के बाद महिलाओं में चौथा सबसे आम कैंसर है सर्वाइकल कैंसर। भारत में हर साल सर्वाइकल कैंसर के 80,000-90,000 मामले सामने आते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, 100 से अधिक देशों में लड़कियों को ये टीका पहले से ही उपलब्ध कराया जा रहा है।
अगर टीका अप्रूव होता है तो एचपीवी टीकाकरण 9-14 साल की लड़कियों को किया जाएगा। इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल एंड पीडियाट्रिक ऑन्कोलॉजी में प्रकाशित 2012 के एक अध्ययन में पाया गया कि भारत में सभी वैश्विक सर्वाइकल कैंसर से होने वाली मौतों का एक तिहाई हिस्सा है।
विश्व स्तर पर, सर्वाइकल कैंसर महिलाओं में चौथा सबसे अधिक बार होने वाला कैंसर है; डब्ल्यूएचओ के अनुसार, भारतीय महिलाओं में, यह दूसरा सबसे अधिक बार होता है।
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