बढ़ रहा है बोन डेथ का खतरा, अपनाएं ये नेचुरल उपाय मजबूत होंगी हड्डियां
'बोन डेथ' हड्डियों के लिए स्टेज बेहद खतरनाक है, इसमें पहले हड्डियों में ब्लड फ्लो रुकता है, और फिर बोन्स के सेल्स डेड होने लगते हैं। स्वामी रामदेव से जानिए योगासन और आयुर्वेदिक उपाय।
बोन डेथ से कैसे बचें?: वैसे तो इस दुनिया में सात अजूबे हैं, लेकिन इंसान का शरीर भी किसी वंडर से कम नहीं है, आप ह्यूमन बॉडी को समझने की जितनी कोशिश करेंगे, अचरज से भरते जाएंगे, स्ट्रक्चर से लेकर बॉडी फंक्शन तक हर चीज अजूबा ही लगेगी। हड्डियों को ही ले लीजिए, जिन पर शरीर टिका होता है, जिन हड्डियों के ढांचे से हमारी कद-काठी तय होती है, जिसके दम पर हम चलते-फिरते,उठते-बैठते हैं। माना जाता है वो स्टील से भी छह गुणा ज्यादा मजबूत है।
सबसे मजबूत जांघ की हड्डियां होती हैं, जो हर क्यूबिक इंच पर 7800 किलो वजन झेल सकती हैं। लेकिन ताज्जुब की बात ये कि इसके बावजूद भी हड्डियां कमजोर हो जाती हैं, टूट जाती है, ज्वाइंट्स में दिक्कत आने लगती है। आपको जानकर हैरानी होगी कि स्टील से 6 गुना मजबूत इंसानी हड्डियां सिर्फ कमजोर ही नहीं होती, उनकी मौत भी होती है, मेडिकल की भाषा में इसे 'बोन डेथ' कहते हैं। हड्डियों के लिए ये स्टेज बेहद खतरनाक है, इसमें पहले हड्डियों में ब्लड फ्लो रुकता है, और फिर बोन्स के सेल्स डेड होने लगते हैं। हड्डियां गलने लगती हैं। कई बार इसके सिग्नल शुरुआत से ही मिलने लगते हैं, लेकिन अगर उन्हें नजरअंदाज किया जाए तो फिर ऑपरेशन तक की नौबत आ जाती है। इसकी शुरुआत होती है खराब पॉश्चर से, हड्डियां मजबूत कैसे रहें? पॉश्चर परफेक्ट कैसे रहे? जोड़ों की परेशानी कभी ना हो, ये तभी संभव है जब वक्त रहते योग को जीवन में शामिल कर लिया जाए।
आपकी बोन्स कितनी स्ट्रॉन्ग ?
स्टील से छह गुना ज्यादा मजबूत
सबसे मजबूत जांघ की हड्डियां
क्या है बोन डेथ ?
हड्डियों में ब्लड फ्लो रुक जाता है
बोन सेल्स डेड होने लगते हैं
हड्डियां गलने लगती हैं
बोन डेथ के लक्षण
- हड्डियों में दर्द
- जोड़ों में दर्द
न करें ये गलती
- वजन न बढ़ने दें
- स्मोकिंग से बचें
- पॉश्चर सही रखें
जोड़ों में दर्द है तो करें परहेज
- प्रोसेस्ड फूड
- ग्लूटेन फूड
- अल्कोहल
- ज्यादा चीनी-नमक
गठिया में कारगर
- एलोवेरा
- अश्वगंधा
- गिलोय
- हल्दी
- लहसुन
- अदरक
गठिया में फायदेमंद
- एलोवेरा जूस
- हरसिंगार का जूस
- निर्गुंडी का जूस
- मसाज थेरेपी
- पीड़ांतक तेल
- पिपरमिंट-नारियल तेल
- यूकेलिप्टस ऑयल
- तिल का तेल
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