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Hindi News हेल्थ Balance Disorder: सिर के चकराने और घबराहट से हैं परेशान? हो सकता है बैलेंस डिसऑर्डर, जानिए कैसे करें ठीक

Balance Disorder: सिर के चकराने और घबराहट से हैं परेशान? हो सकता है बैलेंस डिसऑर्डर, जानिए कैसे करें ठीक

Balance Disorder: बैलेंस डिसऑर्डर में पीड़ित व्यक्ति बैठी, खड़ी या लेटी अवस्था में भी चक्कर आने या संतुलन बिगड़ने का अहसास करता है।

 Balance Disorder- India TV Hindi Image Source : INDIA TV Balance Disorder

Balance Disorder:  इंसान दो पैरों के सहारे चलता है। इन दो पैरों पर चलने के लिए उस शक्ति के बाद यदि किसी चीज की सबसे ज्यादा जरूरत पड़ती है तो वह है 'संतुलन या बैलेंस' की। इस संतुलन के न होने पर उसका खड़ा होना भी मुश्किल है। संतुलन उसके चलने, गंतव्य तक पहुंचने एवं अपने रोजमर्रा के काम निपटाने के लिए बेहद जरूरी है। ऐसे में जाने माने आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ अबरार मुल्तानी से जानिए आखिर यह संतुलन कैसे बनता है, कौन-कौन से अंग इसमें सहायक हैं और कैसे यह संतुलन बिगड़ जाता है तथा कैसे इसकी चिकित्सा की जाती है।

जानिए शरीर संतुलन कैसे बनाता है?

हमारा शरीर बाइलेटरली सिमेट्रिकल है यानि यदि इसे दो भागों में काटा जाए तो इसके दोनों हिस्सों का भार बिलकुल बराबर होगा। अर्थात प्रकृति ने हमारे शरीर को संतुलित रखने के लिए पूरा इंतज़ाम किया है। अगर शरीर के किसी एक हिस्से का भार बढ़ जाए या कम हो जाए तो भी हमारा शरीर गिरता नहीं है वह अपना संतुलन बना लेता है क्योंकि इसके लिए हमारे शरीर का विशेष तंत्र कार्य करता है जो विजुअल सिस्टम (आंख) वेस्टिबुलर सिस्टम (कान) प्रोप्रियोसेप्शन (शरीर का स्थिति बताने वाला तंत्र) से मिलकर बना होता है। जब यह तंत्र मिलकर सही तरीके से अपना कार्य करता रहता है तो हमारा शरीर संतुलित रहता है लेकिन इस तंत्र में कहीं भी विकार उत्पन्न होने पर हमारा शरीर संतुलन नहीं बना पाता। इसी अवस्था को बैलेंस डिसऑर्डर कहते हैं, जो आज एक आम समस्या बनती जा रही है। 

 बैलेंस डिसऑर्डर के लक्षणः

  • चक्कर आना और घबराहट होना।
  • ऐसा लगना मानो सर का वज़न या भार खत्म हो गया हो।
  • पढ़ने और देखने में समस्या।
  • खड़े होने में असमर्थता।
  • ध्यान जमाने में असमर्थता।
  • रोगी का जमीन पर गिरना या लड़खड़ाना।
  • चलने में असमर्थता या सहारे के साथ चलना।
  • कुछ रोगियों में उल्टी या जी मिचलाना, दस्त लगना, बेहोशी, धड़कनों का बढ़ना या कम होना, डर और बैचेनी जैसे भी होते हैं।

 कारण

कान से संबंधितः 

कान में इन्फ्लामेशन, कान में आघात या चोट, मैनिअर डिजीज, कान के लिए हानिकारक दवाएं जैसे- एस्प्रिन, जेन्टामायसिन, एमिकासिन, कीमोथेरेपी आदि के साइड इफेक्ट से, बार-बार सर्दी जुकाम होना जिससे गले में सूजन आना और यूस्टेचियन ट्यूब पर दबाव पड़ना।

दिमाग से या नर्वस सिस्टम से संबंधित कारण

सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस ब्रेन इंफेक्शन जैसे-  मेनिनजाइटिस, एन्सेफलाइटिस, ब्रेन टीबी आदि। विटामिन B-12 की कमी भी तंत्रिकातंत्र के कार्यों को ठीक से ना कर पाने के लिए उत्तरदायी होती है। ब्रेन ट्यूमर तथा कुछ रोग जैसेः मल्टिपल स्क्लेरोसिस, पारकिनसन्स डिजीज, कोगन सिंड्रोम, हाइड्रोसेफेलस भी बैलेंस डिसऑर्डर की प्रमुख वजह है। नशीले पदार्थों को लेने के कारण भी बैलेंस बनाने में परेशानी आती है।

इलाज

बैलेंस डिसऑर्डर एक ऐसा बीमारी है जिसका आयुर्वेद में बेहद ही सरल और सटीक इलाज मौजूद है। किसी योग्य आयुर्वेद चिकित्सक से यह इलाज लिया जाए तो इस समस्या से आसानी से मुक्ति पाई जा सकती है। ऐसे में कुछ आसान उपाय आप खूद भी कर सकते हैं। आइए जानते हैं उन उपायों के बारे में। 

बैलेंस डिसऑर्डर यदि कान के कारण हो तो-

  • कान का पर्दा न फटा हो और कान में छेद न हो तो बिल्व तेल को दो-बूंद अपने कान में डालें। 
  • बादाम का तेल या गाय का घी नाक में दो बूंद डालें।
  • गर्म पानी का गरारा नियमित रूप से करें। 
  • प्राणायाम करें।

(ये आर्टिकल केवल जानकारी के उद्देश्य से है, किसी भी उपाय को अपनाने से पहले डॉक्टर से संपर्क करें।)

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