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Hindi News हेल्थ आंखों से उतर जाएगा चश्मा अगर अपनाएंगे बाबा रामदेव के ये टिप्स, नहीं होगी मायोपिया और ड्राई आई की समस्या

आंखों से उतर जाएगा चश्मा अगर अपनाएंगे बाबा रामदेव के ये टिप्स, नहीं होगी मायोपिया और ड्राई आई की समस्या

आजकल आंखों की समस्याएं लगातार बढ़ती जा रही हैं। ऐसे में स्वामी रामदेव के ये टिप्स इन समस्याओं से बचाव में मदद कर सकते हैं।

baba_ramdev- India TV Hindi Image Source : FREEPIK baba_ramdev

कहते हैं आंखें सबकुछ बयां कर देती हैं..चाहे मामला दिल का हो या फिर सेहत का। कुदरत की देन इन खूबसूरत आंखों में प्यार गुस्से और नफरत के साथ साथ कई बीमारियों के लक्षण भी नज़र आ जाते हैं। जब लोग डॉक्टर के पास जाते हैं तो बीमारी का पता लगाने के लिए डॉक्टर सबसे पहले आंखें चेक करता है क्योंकि सिर्फ रेटिना की जांच से हार्ट प्रॉब्लम, कैंसर, डायबिटीज़ जैसी कई गंभीर बीमारियों के लक्षण नज़र आ जाते हैं। डायबिटीज़ तो वैसे भी ऐसी बीमारी है जो आंखों के लिए खतरनाक है। सिर्फ शुगर ही नहीं, आंखों के कई दुश्मन हैं जैसे आजकल चल रही सर्द हवा से आंखों में सूखेपन की दिक्कत होती है। पॉल्यूशन से फेफड़ों के साथ साथ आंखों में एलर्जी-इंफेक्शन हो जाता है तो, ऑनलाइन क्लास और वर्क फ्रॉम होम की वजह से बढ़े स्क्रीन टाइम ने भी लोगों की नज़र कमज़ोर कर दी है। जानलेवा कोरोना ने भी आंखों को नहीं बख्शा, कोविड से रिकवरी के बाद लोग ड्राई आई सिंड्रोम से जूझते नज़र आए। 

इतना ही नहीं, कैटरेक्ट-ग्लूकोमा-मायोपिया के अटैक ने अलग सिरदर्द किया हुआ है सिर्फ ग्लूकोमा की बात करें तो देश के 7 करोड़ से ज़्यादा लोग इस खतरनाक बीमारी के शिकार हैं जिसकी, वक्त पर रोकथाम ना की जाए तो आंखों की रोशनी तक जा सकती है। मायोपिया भी कम खतरनाक नहीं है। जिस तेज़ी से ये बीमारी बढ़ रही है उसे देखकर तो लगता है जल्द ही ये हेल्थ क्राइसिस बन जाएगा। एशिया के कुछ देश तो ऐसे हैं जिनमें करीब 90% लोगों की दूर की नज़र कमज़ोर हैं। 

मायोपिया का इलाज ना हो तो मोतियाबिंद, मैक्युलर डिजनरेशन, रेटिनल डिटैचमेंट जैसी परेशानियां भी हो सकती हैं। देश के लोगों की सिर्फ दूर की नज़र ही कमज़ोर नहीं है। भारत में पिछले 30 साल में 'नियर विज़न लॉस' के मामले भी दोगुने हो गए हैं। आंखों की बीमारी चाहे कोई भी हो ज़रूरी ये है कि उस पर तुरंत ध्यान दिया जाए क्योंकि स्टडी तो ये भी कहती है कि eye disease की वजह से 61% तक याद्दाश्त घटने का खतरा भी बढ़ जाता है। लेकिन, चिंता करने की बात नहीं है क्योंकि हमारे साथ स्वामी रामदेव जुड़ चुके हैं जो आंखों को सेहतमंद रखने के तरीके सिखाएंगे और आंखों के रोगों से कैसे मुक्ति पाएं, ये भी बताएंगे

मायोपिया क्या है?

मायोपिया आखों की बीमारी है जिसमें दूर की नजर कमजोर हो जाती है। पिछले दो सालों से इसके केस लगातार बढ़ रहे हैं। इस बीमारी की वजह से मोतियाबिंद, मैक्युलर डिजनरेशन, रेटिनल डिटैचमेंट और ग्लूकोमा जैसी परेशानियां भी हो सकती हैं। डॉक्टरों का कहना है कि कोरोना (Corona) की वजह से आंखों की इस बीमारी के मामले करीब दोगुना तक बढ़ गए हैं। मायोपिया सबसे ज्यादा फैलने वाला और बहुत सामान्य आई डिसऑर्डर है। इससे विश्व की 20 फीसदी आबादी प्रभावित है, जिनमें लगभग 45 फीसदी वयस्क और 25 फीसदी बच्चे शामिल हैं. इस बीमारी पर पर ध्यान न देना या इलाज न कराना ही अंधेपन का सबसे मुख्य कारण बनता है। इसकी वजह से मोतियाबिंद, मैक्युलर डिजनरेशन, रेटिनल डिटैचमेंट या ग्लूकोमा जैसी बीमारियां हो जाती हैं।

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कोरोना के बाद ड्राई आई सिंड्रोम बढ़ा

ड्राई आई सिंड्रोम की परेशानी संक्रमण से ठीक हुए उन लोगों में ज्यादा मिली, जो मधुमेह, थॉयरायड और उच्च रक्तचाप के मरीज हैं और दवाएं भी ले रहे हैं। लॉकडाउन के दौरान घर से ही करना पड़ा है। अभी भी ज्‍यादातर ऑफिस बंद हैं, जिसके कारण लोग कई कई घंटे लगातार लैपटॉप पर बैठकर काम कर रहे हैं. बच्चों की क्लास भी पिछले एक साल से ऑनलाइन चल रही हैं। इन सबका असर भी आंखों पर पड़ता दिखाई दे रहा है। दुर्भाग्य से, कोविड की पहली और दूसरी लहर के दौरान खराब फॉलो-अप के कारण 90 प्रतिशत रोगियों ने कुछ हद तक देखने की क्षमता दी है। ऐसा इसलिए क्योंकि उनमें से अधिकांश ने महामारी के बाद लगने वाले लॉकडाउन के दौरान नियमित तौर पर कराई जाने वाली अपनी आंखों की जांच और इसके फॉलो-अप को छोड़ दिया है। 

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खबर के मुताबिक, आपको बता दें कि ग्लूकोमा (Glaucoma) ऑप्टिक सिस्टम की एक बीमारी है, जिससे कि दुनियाभर में 7.96 करोड़ लोग प्रभावित हैं। ग्लूकोमा के ज्यादातर मामलों में सही इलाज और नियंत्रण से अंधेपन को रोका जा सकता है डिमेंशिया के हाई रिस्क का ताल्लुक उम्र संबंधी मैक्यूलर डीजेनरेशन, मोतियाबिंद और डायबिटीज से जुड़े आंख रोग से हो सकता है। यूरोप और अमरीका के लगभग 30-40 प्रतिशत लोगों को चश्मे की ज़रूरत है और कुछ एशियाई देशों में यह आंकड़ा 90 प्रतिशत तक पहुँच गया है

भारत में 'नियर विजन लॉस' या presbyopia (पास की चीजों पर फोकस न कर पाना) के मामले पिछले 30 साल में दोगुने से भी ज्‍यादा हो गए हैं। 1990 में जहां 5.77 करोड़ लोगों को यह समस्‍या थी। वहीं, 2019 में 13.76 करोड़ भारतीय 'नियर विजन लॉस' के शिकार थे। भारत में 7.9 करोड़ लोग ऐसे हैं जिनकी नजर कमजोर है। पिछले 30 साल में ऐसे लोगों की संख्‍या लगभग दोगुनी हो गई है जिनके नेत्रहीन होने का खतरा है

आंखों के दुश्मन सर्द हवा 

आंखों में ड्राईनेस

आंखों के दुश्मन पॉल्यूशन 

आंखे लाल होना
जलन-पानी आना
ड्राईनेस
इंफेक्शन

आंखों के दुश्मन स्क्रीन टाइम 

नजर कमजोर
आंखों में दर्द
कैटरेक्ट 

आंखों की रोशनी बढ़ाएं 

सुबह-शाम 30 मिनट 
प्राणायाम करें
अनुलोम-विलोम करें
7 बार भ्रामरी करें

आंखों की रोशनी बढ़ाएं

'महात्रिफला घृत'पीएं 1 चम्मच दूध के साथ लें, दिन में दो बार खाने के बाद लें।
आंखों की रोशनी बढ़ाएं
एलोवेरा-आंवला का जूस पीएं
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नजर होगी शार्प 

गुलाब जल में त्रिफला का पानी मिलाएं
मुंह में नॉर्मल पानी भरें
त्रिफला-गुलाब जल से आंखें धोएं

नजर होगी शार्प, क्या खाएं? 
किशमिश और अंजीर खाएं
7-8 बादाम पानी में भिगोकर खाएं

चश्मा नहीं लगेगा अगर खाएंगे ये फूड्स

गाजर
पालक
ब्रोकली
शकरकंद
स्ट्रॉबेरी 

चश्मा उतरेगा अगर खाएंगे ये चीजें

बादाम, सौंफ और मिश्री लें पीस कर पाउडर बना लें और रात को गर्म दूध के साथ लें। 

होम मेड आई ड्रॉप  

सफेद प्याज
शहद
अदरक
नींबू
कांच का बाउल
1 चम्मच सफेद प्याज का रस निकालें
1 चम्मच अदरक का रस निकालें
1 चम्मच नींबू का रस निकालें
फिर सूखे बाउल में डालें
फिर 3 चम्मच शहद डालें
सभी को अच्छी तरह मिलाएं

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