Angioplasty: जानें क्यों हुई राजू श्रीवास्तव की तीन बार एंजियोप्लास्टी? आप भी हो जाएं सावधान, रखें इन बातों का ध्यान
Angioplasty: हाल ही में कॉमेडियन राजू श्रीवास्तव की तीसरी बार एंजियोप्लास्टी की गयी है। आइए जानते हैं क्या होती है एंजियोप्लास्टी?
Highlights
- एंजियोप्लास्टी एक सर्जिकल प्रोसेस है
- दिल की धमनियां ब्लॉक हाेने पर उसे एंजियोप्लास्टी कर खोला जाता है
- हार्ट अटैक आने पर 1 घंटे के बीच एंजियोप्लास्टी करना चाहिए
Angioplasty: कॉमेडियन राजू श्रीवास्तव की हालत अभी भी नाजुक बनी हुई है। हाल ही में वर्कआउट करने के दौरान राजू श्रीवास्तव को हार्ट अटैक आ गया था। जिसके बाद से वह दिल्ली के एम्स अस्पताल में भर्ती हैं। फैंस, राजू श्रीवास्तव के लिए दुवाएं मांग रहे हैं। हर कोई चाह रहा है कि वो जल्द से जल्द ठीक हो जाएं। राजू पहले से ही हार्ट पेशेंट हैं। पहले भी दो बार उनकी एंजियोप्लास्टी हुई थी और अब तीसरी बार एंजियोप्लास्टी हुई है। चलिए इस आर्टिकल के ज़रिए आपको बताते हैं कि आखिर एंजियोप्लास्टी होती क्या है और इसे कब किया जाता है?
क्या है एंजियोप्लास्टी?
हेल्थ रिसर्च के अनुसार, एंजियोप्लास्टी एक ऐसा सर्जिकल प्रोसेस है, जिसमें दिल की मांसपेशियों तक ब्लड सप्लाई करने वाली रक्त वाहिकाओं को खोला जाता है। इन रक्त वाहिकाओं को कोरोनरी आर्टरीज़ कहते हैं। डॉक्टर अक्सर दिल का दौरा पड़ने पर या स्ट्रोक आने के बाद एंजियोप्लास्टी करते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, दिल का दौरा पड़ने के एक से दो घंटे के भीतर मरीज का इलाज होना ज़रूरी है। तुरंत एंजियोप्लास्टी मिलने से मौत का खतरा कम हो सकता है। इसे जल्दी करने से मरीज के हार्ट फेलियर का खतरा कम हो जाता है। एंजियोप्लास्टी तीन प्रकार की होती है। बैलून एंजियोप्लास्टी, लेजर एंजियोप्लास्टी और एथरेक्टॉमी एंजियोप्ला
बैलून एंजियोप्लास्टी
बैलून एंजियोप्लास्टी करने के दौरान ‘कैथेटर’ नाम की एक पतली सी ट्यूब को बांह या जांघ के पास हल्का सा चीरा लगाकर उसे ब्लॉक हो चुकी धमनी में डाला जाता है। डॉक्टर एक्स-रे या वीडियो की मदद से ट्यूब को मॉनिटर करते हैं। कैथेटर के धमनी में पहुंचने के बाद उसे फुलाया जाता है। ये बैलून प्लाक को दबाकर चपटा कर देता है, जिससे धमनी चौड़ी हो जोती है और मरीज का ब्लड सर्कुलेशन फिर से ठीक हो जाता है।
लेजर एंजियोप्लास्टी
लेजर एंजियोप्लास्टी में भी 'कैथेटर' का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन इसमें बैलून की जगह लेजर की मदद ली जाती है। इसमें लेजर को प्लाक तक लेकर जाते हैं और फिर बंद पड़ी धमनी को खोलने की कोशिश की जाती है।
एथरेक्टॉमी
जब बैलून या लेजर एंजियोप्लास्टी से भी सख्त प्लाक को नहीं हटा पाते, तब ऐसी अवस्था में एथरेक्टॉमी का इस्तेमाल किया जाता है।
एंजियोप्लास्टी करने के फायदे
हेल्थ रिसर्च के अनुसार एंजिप्लास्टी से इंसान को बचाना आसान हो जाता है। ये बंद पड़ी धमनियों में रक्त प्रवाह को फिर से ठीक करने का सबसे बेहतरीन विकल्प है। जितनी जल्दी एंजियोप्लास्टी होगी, दिल की मांसपेशियों को उतना कम नुकसान होगा। हार्ट अटैक की वजह से सांस में तकलीफ या छाती में दर्द के वक्त भी एंजियोप्लास्टी राहत देती है।
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एंजियोप्लास्टी से हो सकते हैं ये नुकसान
एंजियोप्लास्टी से मरीज को एलर्जी हो सकती है। इसके आलावा धमनियों में ब्लीडिंग, क्लॉटिंग या ब्रूसिंक की समस्या हो सकती है। सर्जरी के बाद दिल की धड़कन अनियमित भी हो सकती है। इससे रक्त वाहिकाओं और धमनियों डैमेज हो सकते हैं। इस प्रक्रिया से इंसान की किडनी भी डैमेज हो सकती है। खासतौर से उन लोगों के मामले में ज्यादा सावधानी बरतनी चाहिए, जिन्हें पहले से कोई किडनी से जुडी समस्या हो। इससे शरीर में इंफेक्शन फैलने का खतरा भी बना रहता है।
एंजियोप्लास्टी के बाद लापरवाही से बचें
एंजियोप्लास्टी सफलतापूर्वक होने के बाद अगर धूम्रपान या कोई नशा करते हैं तो इसे आपको पूरी तरह छोड़ना होगा। बेहतरीन डाइट फॉलो करना जरूरी है। ब्लड प्रेशर और कॉलेस्ट्रोल लेवल को घटाने के लिए नियमित रूप से एक्सरसाइज करनी चाहिए।