सर्दियों से पहले मौसम में बदलाव के साथ हवा हो सकती है जहरीली, अभी से सतर्क हो जाएं ये 4 लोग!
Air pollution in Delhi-NCR: सर्दियों की आहट अभी हुई नहीं है लेकिन एयर क्वालिटी खराब होने लगी है। साथ ही मौसम का ये बदलाव कमजोर फेफड़ों और इम्यूनिटी वाले इन लोगों के लिए परेशानियों का सबब बन सकता है।
Air pollution in Delhi-NCR: दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए केंद्र की ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) 1 अक्टूबर से लागू हो गई है। ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान, वायु प्रदूषण को कम करने के लिए उपायों का एक सेट है जो दिल्ली-एनसीआर में लागू हुआ है। योजना में एयर क्वालिटी खराब होने पर वाहनों पर प्रतिबंध और कोयले और जलाऊ लकड़ी के उपयोग पर प्रतिबंध शामिल है। बता दें कि इसकी शुरुआत एयर क्वालिटी इंडेक्स के 201 के लेवल को छूते ही शुरू हुई है। इधर, सर्दियों से पहले मौसम में भी बदलाव देखा जा रहा है। ऐसे में जहरीली हवा और मौसम का ये बदलाव कुछ लोगों के गंभीर हो सकता है। ऐसे में इन लोगों को ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है। तो, जानते हैं कौन हैं ये लोग।
जहरीली होती हवा के बीच सतर्क हो जाएं ये 4 लोग-Air pollution seasonal changes health problems
1. अस्थमा के मरीज
जहरीली होती हवा के बीच सबसे ज्यादा अस्थमा के लोगों को सतर्क रहना चाहिए। ऐसा इसलिए कि अस्थमा के मरीजों का फेफड़ा बहुत सेंसिटिव होता है और जहरीली होती हवा के कण अस्थमा अटैक को ट्रिगर कर सकते हैं। इसलिए ऐसे लोग अभी से ब्रीदिंग एक्रसरसाइज शुरू करें। हल्दी का काढ़ा लें और फिर घर के बाहर मास्क लगाकर रहना शुरू करें। ऐसा करना आपको इस बदलते मौसम के बीच बीमार होने से बचा सकता है।
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2. ब्रोंकाइटिस और निमोनिया के मरीज
ब्रोंकाइटिस और निमोनिया के मरीज जहरीली होती हवा के बीच सबसे ज्यादा परेशान हो सकते हैं। ये दोनों ही फेफड़ों में इंफेक्शन का मामला है। इन दोनों के मरीजों को इंफेक्शन की वजह से सांस लेने में दिक्कत होती है और लंबे समय तक सूखी खांसी आ सकती है। तो, जब हवा बदल रही है तो फेफड़ों को इंफेक्शन से बचाने के लिए लौंग की चाय पीना शुरू करें। ये आपको इंफेक्शन से बचाव में मदद करेगी।
3. बुजुर्ग लोग
बुजुर्ग लोग कमजोर इम्यूनिटी वाले लोगों की लिस्ट में आते हैं। दरअसल, 60 की उम्र के बाद के लोग पहले से ही किसी न किसी बीमारी के मरीज होते हैं। बदलती हवा और मौसम के प्रति वो सेंसिटिव होते हैं और इसलिए आसानी से बीमार पड़ जाते हैं। तो, ऐसे लोगों को सतर्क रहने की जरूरत है क्योंकि बुजुर्गों के लिए किसी भी बीमारी से उभरना आसान नहीं होता।
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4. शिशु और छोटे बच्चे
शिशुओं के फेफड़े और बाकी अंग अभी विकसित हो रहे होते हैं। इसलिए वो किसी भी छोटे मौसमी बदलाव के प्रति सेंसिटिव होते हैं। साथ ही छोटे बच्चों की भी इम्यूनिटी कमजोर होती है जिस वजह से उन्हें सर्दी, जुकाम, निमोनिया और अस्थमा जैसी समस्याएं आसानी से ट्रिगर कर सकती हैं। इसलिए माता-पिता को सतर्क रहना चाहिए और अपने बच्चों का बीमारियों से बचाव करना चाहिए।