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Hindi News हरियाणा हरियाणा में बढ़ते प्रदूषण के चलते 5वीं तक के स्कूल बंद, ऑनलाइन होगी पढ़ाई

हरियाणा में बढ़ते प्रदूषण के चलते 5वीं तक के स्कूल बंद, ऑनलाइन होगी पढ़ाई

स्कूल शिक्षा निदेशालय की ओर से सभी जिलों के डिप्टी कमिश्नर को इस संबंध में चिट्ठी भेजी गई है। हरियाणा सरकार ने यह फैसला प्रदूषण का स्तर बढ़ने और ग्रैप-3 लागू होने के बाद लिया है।

हरियाणा में स्कूल बंद- India TV Hindi Image Source : FILE हरियाणा में स्कूल बंद

चंडीगढ़: हरियाणा में प्रदूषण का स्तर बढ़ने के कारण नायब सिंह सैनी की सरकार ने पांचवीं क्लास तक के स्कूलों को स्थाई तौर पर बंद करने का आदेश जारी किया है। इस संबंध में स्कूल शिक्षा निदेशालय की ओर से सभी जिलों के डिप्टी कमिश्नर को चिट्ठी भेजकर जानकारी दी गई है। हरियाणा सरकार ने यह फैसला प्रदूषण का स्तर बढ़ने और ग्रैप-3 लागू होने के बाद लिया है।

एयर क्वालिटी इंडेक्स गंभीर 

स्कूल शिक्षा निदेशालय की चिट्ठी के मुताबिक दिल्ली और आसपास के इलाकों में एयर क्वालिटी इंडेक्स गंभीर हो चुका है। सभी संबंधित डिप्टी कमिश्नर एयर क्वालिटी इंडेक्स की मौजूदा स्थित का आकलन करते हुए फिजिकल क्लासेज को बंद कर सकते हैं। प्राइवेट और सरकारी स्कूलों में पांचवीं तक की ऑनलाइन क्लास केलिए जरूरी निर्देश जारी करें। यह बच्चों की सेहत और उनकी सुरक्षा के हित में है।

बता दें कि केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ और हरियाणा के कई स्थानों पर वायु गुणवत्ता ‘बेहद खराब’ हो चुकी है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के ‘समीर ऐप’ के मुताबिक चंडीगढ़ में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 327 दर्ज किया गया। गुरुग्राम में एक्यूआई 323, भिवानी में 346, बल्लभगढ़ में 318, जींद में 318, करनाल में 313, कैथल में 334 और सोनीपत में 304 था। पंजाब के अमृतसर में एक्यूआई 225, लुधियाना में 178, मंडी गोबिंदगढ़ में 203, रूपनगर में 228 और जालंधर में 241 दर्ज किया गया।

पराली जलाना वायु प्रदूषण की बड़ी वजह

बता दें कि एक्यूआई 0-50 के बीच ‘अच्छा’, 51-100 के बीच ‘संतोषजनक’, 101-200 के बीच ‘मध्यम’, 201-300 के बीच ‘खराब’, 301-400 के बीच ‘बेहद खराब’ और 401-500 के बीच रहने पर ‘गंभीर’ श्रेणी में माना जाता है। अक्टूबर और नवंबर में धान की फसल की कटाई के बाद पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने को अक्सर दिल्ली में वायु प्रदूषण बढ़ने का कारण माना जाता है। चूंकि धान की कटाई के बाद रबी की फसल, गेहूं, की बुवाई का समय बहुत कम होता है, इसलिए कुछ किसान खेत को जल्द से जल्द साफ करने के लिए पराली यानी फसल के अवशेष जला देते हैं।