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Hindi News गुजरात ‘डिजिटल अरेस्ट’ के मामले की जांच करते हुए पुलिस पहुंची बैंक, 4 कर्मचारी गिरफ्तार, 1.15 करोड़ की ठगी में की थी मदद

‘डिजिटल अरेस्ट’ के मामले की जांच करते हुए पुलिस पहुंची बैंक, 4 कर्मचारी गिरफ्तार, 1.15 करोड़ की ठगी में की थी मदद

आरोपियों ने बिना केवाईसी और पते के खाते खोले थे। इन खातों के जरिए 1.12 करोड़ की ठगी की रकम ट्रांसफर की गई थी। पुलिस ने बैंक के चार कर्मचारियों और उनके साथी को गिरफ्तार कर लिया है।

Representative Image- India TV Hindi Image Source : FILE PHOTO प्रतीकात्मक तस्वीर

गुजरात के अहमदाबाद में डिजिटल अरेस्ट के जरिए ठगी के एक मामले की जांच करते हुए पुलिस बैंक तक पहुंच गई। इसके बाद निजी क्षेत्र के बैंक के चार कर्मचारियों और उनके साथी को गिरफ्तार कर लिया गया। आरोप है कि इन लोगों ने अंतरराष्ट्रीय साइबर अपराधियों को बिना केवाईसी के बैंक खाते खोलने और उनके जरिए ठगी के पैसे हस्तांतरित करने में कथित रूप से मदद की है। अहमदाबाद साइबर अपराध शाखा की जांच के दौरान यह धोखाधड़ी सामने आई। 

एसीपी हार्दिक मकडिया ने गुरुवार को बताया कि साजिश के तहत, एक उपप्रबंधक सहित चार बैंक कर्मचारियों द्वारा गुजरात और राजस्थान में येस बैंक की दो शाखाओं में दो बैंक खाते खोले गए और उन्होंने इन खातों का इस्तेमाल एक वरिष्ठ नागरिक से 1.15 करोड़ रुपये की जबरन वसूली के लिए किया। उन्होंने कहा कि गिरफ्तार आरोपियों की पहचान जिगर जोशी, जतिन चोखावाला, दीपक सोनी, मावजी पटेल और राजस्थान निवासी अनिलकुमार मंडा के रूप में हुई है।

येस बैंक में काम करते थे आरोपी

मकडिया ने कहा कि इनमें से चोखावाला और सोनी गुजरात के बनासकांठा जिले के डीसा शहर में येस बैंक की शाखा में 'पर्सनल बैंकर' के रूप में कार्यरत हैं, जबकि पटेल उसी शाखा में उप प्रबंधक के पद पर तैनात है। मंडा राजस्थान में येस बैंक की मेड़ता शाखा में एक ‘पर्सनल बैंकर’ के रूप में कार्यरत है और जोशी ने अपराध की रकम हस्तांतरित करने के लिए अपना बैंक खाता इन आरोपियों को दिया था। 

वरिष्ठ नागरिक से ठगे थे 1.15 करोड़

मकडिया ने बताया, ‘‘सोलह नवंबर को एक वरिष्ठ नागरिक ने हमसे शिकायत की कि कुछ लोगों ने खुद को दिल्ली पुलिस का अधिकारी बताकर उसे 'डिजिटल अरेस्ट' किया और उससे 1.15 करोड़ रुपये ऐंठ लिये। जालसाजों ने शिकायतकर्ता को धमकाते हुए कहा कि उसके आधार कार्ड का इस्तेमाल आपराधिक गतिविधि में किया गया है।’’ उन्होंने बताया कि गिरफ्तार होने के डर से शिकायतकर्ता ने 1.15 करोड़ रुपये एक बैंक खाते में हस्तांतरित कर दिए। उन्होंने बताया कि जालसाजों ने वादा किया था कि वे सत्यापन के बाद पैसे वापस कर देंगे। 

अंतरराष्ट्रीय साइबर अपराधियों के संपर्क में थे आरोपी

मकडिया ने बताया कि जांच के दौरान साइबर अपराध शाखा ने तीन बैंक खातों की पहचान की, जिनका इस्तेमाल साइबर अपराधियों ने 1.15 करोड़ रुपये स्वीकार करने और हस्तांतरित करने के लिए किया था। उन्होंने बताया, ‘‘बालाजी एंटरप्राइज के नाम से एक बैंक खाता राजस्थान की मेड़ता शाखा में खोला गया था, जबकि दूसरा खाता शिवराज के नाम से 13 नवंबर को येस बैंक की डीसा शाखा में खोला गया था, शिवराज पहले से ही गिरफ्तार है। अगले दिन उसी खाते में एक करोड़ रुपये जमा किये गए।’’ उन्होंने बताया कि तीसरा बैंक खाता जिगर जोशी का था, जिसने कुछ कमीशन के लिए साइबर अपराधियों को अपना खाता इस्तेमाल करने देने पर सहमति जताई थी। एसीपी ने कहा, ‘‘येस बैंक के चार कर्मचारी भारत के बाहर से काम कर रहे अंतरराष्ट्रीय साइबर अपराधियों के एजेंटों के संपर्क में थे। 

बिना केवाईसी के खोले थे खाते

मेड़ता और डीसा में दोनों बैंक खाते बिना किसी केवाईसी या पते के प्रमाण के खोले गए थे। आरोपियों को उन खातों में की गई प्रत्येक जमा राशि पर 10 प्रतिशत कमीशन मिलता था।’’ मकडिया ने बताया कि तेरह नवंबर को शिकायतकर्ता द्वारा एक करोड़ रुपये जमा करने के बाद, डीसा के आरोपी कर्मचारियों ने अगले दिन 25 लाख रुपये निकालने में जालसाज के एजेंटों की मदद की। मकडिया ने बताया कि फिर, जोशी के बैंक खाते में 75 लाख रुपये ट्रांसफर किए गए क्योंकि वह भी कमीशन के लिए काम करने के लिए सहमत हुआ था। उन्होंने कहा कि 1.5 करोड़ रुपये में से, पुलिस ने अब तक आरोपियों से 19 लाख रुपये नकद बरामद किए हैं, जबकि विभिन्न बैंक खातों में जमा 63.60 लाख रुपये के लेनदेन पर रोक लगा दी गई है। (इनपुट- पीटीआई भाषा)