सूरत डायमंड बोर्स शुरू होने से पहले ही विवादो में आ गया है। खबर है कि हीरा बोर्स के प्रसाशकों ने निर्माण के लिए 538 करोड़ रुपये का भुगतान नहीं किया है। इस मामले में अब सूरत की जिला अदालत ने हीरा बोर्स के प्रशासकों को 100 करोड़ रुपये की बैंक गारंटी जमा करने का आदेश दिया है। दरअसल, दुनिया के सबसे बड़े कार्यालय भवन की निर्माता पीएसपी लिमिटेड कंपनी को हीरा बोर्स के प्रशंसकों द्वारा निर्माण भुगतान ना करने के बाद विवाद का विषय बन गया है। इतना ही नहीं काम पूरा होने के काफी समय बाद तक पैसों का भुगतान नहीं करने पर कंपनी ने कोर्ट से न्याय की गुहार लगाई है, जिसकी अगली सुनवाई 16 दिसंबर को होगी। बता दें कि सूरत डायमंड बोर्स का 17 दिसंबर को पीएम नरेंद्र मोदी उद्घाटन करने वाले हैं।
ब्याज सहित कुल 631 करोड़ रुपये का दावा
डायमंड बोर्स मामले की यह जानकारी कंपनी ने शेयर धारकों की जानकारी के लिए अपनी वेबसाइट पर रखी है। पीएसआइ लिमिटेड कंपनी ने हीराबोर्स पर 538 करोड़ रुपये के केस दर्ज होने की तारीख तक ब्याज सहित कुल 631 करोड़ रुपये का दावा किया है। यह भी चर्चा है कि हीरा बोर्स ने शुरुआत में ₹5000 वर्ग फुट की कीमत पर कार्यालय बेचा था। बाद में उसने कुल 6 नीलामी करके कीमत बढ़ा दी और अन्य कार्यालय को 35000 रुपए वर्गफुट की ऊंची कीमत पर बेच दिया और भारी मुनाफा कमाया। यह भी आरोप लगाया गया है कि जिस पीएससी कंपनी ने हीराबोर्स का निर्माण किया और देश दुनिया में हीराबोर्स का नाम किया उसे भुगतान नहीं किया गया है। इसके बाद कंपनी को मजबूरन कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा है।
"कभी भी पेमेंट का लेट भुगतान नहीं हुआ"
इस मामले पर सूरत डायमंड बोर्स निर्माण समिति के कन्वीनर लालजी पटेल ने एक वीडियो मैसेज द्वारा प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि डायमंड बोर्स का निर्माण पीएससी कंपनी को दिया गया था। निर्माण शुरू किया तभी टर्म्स एंड कंडीशन के तहत जैसे-जैसे निर्माण के लिए सर्टिफाइड बिल मिलते गए, वैसे-वैसे समय पर पैसों का भुगतान किया गया है। कभी भी पेमेंट का लेट भुगतान नहीं हुआ। जब जरुरत पड़ी तो पीएसी कंपनी की रिक्वेस्ट पर एडवांस भुगतान भी किया गया है। कोरोना समय के दौरान उनकी रिक्वेस्ट थी कि अधिक चार्ज दिया जाए, मगर कोरोना काल के दौरान सभी मजदूरों को फूड पैकेट, अनाज पानी, सभी डायमंड बोर्स की तरफ से दिया गया था। कंपनी की एक्स्ट्रा चार्ज की मांग पर हम कभी भी राजी नहीं हुए, उनकी मांग सरासर गलत है।
"98% पैसों का हो चुका है भुगतान"
पटेल ने कहा कि कानूनी तौर पर देने योग्य एक भी रुपया बकाया नहीं है। उनके कानूनी तौर पर प्राप्त सर्टिफिकेट बिल के सामने 98% पैसों का भुगतान हो चुका है। थोड़ा काम बाकी है, उसका 2 प्रतिशत राशि सर्टिफाइड होने के बाद हीरा बोर्स उनका भुगतान कर देगी। अब पीएससी कंपनी ने कोर्ट में शिकायत दर्ज की है तो उसका जवाब हमारे लीगल टीम द्वारा दिया जाएगा।
(रिपोर्ट- शिलेष चंपानेरिया)
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