अहमदाबाद: ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन गुरुवार को गांधीनगर के प्रसिद्ध अक्षरधाम मंदिर गए। इसके साथ ही उन्होंने गांधीनगर के समीप गुजरात जैव प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के नवनिर्मित परिसर का भी दौरा किया। ब्रिटिश प्रधानमंत्री ने अक्षरधाम मंदिर में थोड़ा वक्त गुजारा और प्रार्थना भी की। बता दें कि जॉनसन अपनी दो दिवसीय यात्रा के तहत सुबह अहमदाबाद पहुंचे थे। इससे पहले जॉनसन साबरमती आश्रम का दौरा करने वाले ब्रिटेन के पहले प्रधानमंत्री बने थे।
सीएम भूपेंद्र पटेल भी थे साथ
अक्षरधाम मंदिर की यात्रा के दौरान गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल भी उनके साथ थे। जॉनसन की यात्रा के बाद गुजरात के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री जीतू वघानी ने एक बयान में कहा कि हाल में गुजरात सरकार द्वारा स्थापित स्नातकोत्तर जीबीयू देश में जैव प्रौद्योगिकी पर विशेष बल देने वाला पहला विश्वविद्यालय है। ब्रिटेन के एडिनबर्ग विश्वविद्यालय के साथ मिकर इस विश्वविद्यालय की स्थापना की गयी थी। विश्वविद्यालय में पटेल द्वारा स्वागत किये जाने के बाद जॉनसन परिसर के विभिन्न हिस्सों में गये और उन्हें विभिन्न विभागों के कामकाज के बारे में बताया गया।
गांधी को जॉनसन ने बताया असाधारण व्यक्ति वहीं,
जॉनसन ने साबरमती आश्रम पहुंचने के बाद महात्मा गांधी को 'असाधारण व्यक्ति' बताया, जिन्होंने दुनिया को बेहतर बनाने के लिए सत्य और अहिंसा के सिद्धांतों पर बल दिया। साबरमती आश्रम से महात्मा गांधी ने एक दशक से अधिक समय तक ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन से स्वतंत्रता के लिए भारत के आंदोलन का नेतृत्व किया था। जॉनसन ने गांधी आश्रम में आगंतुक-पुस्तिका में लिखा, 'इस असाधारण व्यक्ति के आश्रम में आना और यह समझना कि उन्होंने दुनिया को बेहतर बनाने के लिए किस प्रकार सत्य और अहिंसा के सरल सिद्धांतों पर बल दिया, यह बहुत बड़ा सौभाग्य है।'
जॉनसन ने की चरखे पर सूत काटने की कोशिश ब्रिटिश प्रधानमंत्री ने महात्मा गांधी की प्रशंसा की लेकिन स्वतंत्रता संग्राम के दौरान ब्रिटेन के शासक वर्ग से गांधी के लिए ऐसी प्रशंसा दुर्लभ थी। अपनी यात्रा के दौरान, जॉनसन ‘हृदय कुंज’ गए जहां महात्मा गांधी रहते थे। ब्रिटिश प्रधानमंत्री ने चरखे पर सूत कातने की भी कोशिश की। उन्हें चरखे की प्रतिकृति भी भेंट की गई। साबरमती आश्रम संरक्षण और स्मारक न्यास की ओर से जॉनसन को दो किताबें भेंट की गई हैं। इसमें एक ‘गाइड टू लंदन’ है जो अप्रकाशित है और इसमें लंदन में कैसे रहा जाए, इसको लेकर महात्मा गांधी के सुझाव हैं। दूसरी किताब मीराबेन की आत्मकथा ‘द स्प्रिट्स पिल्ग्रिम्ज’ है।