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अहमदाबाद श्रृंखलाबद्ध विस्फोट मामला: 13 साल बाद सुनवाई पूरी, अदालत ने फैसला सुरक्षित रखा

अहमदाबाद शहर में 26 जुलाई, 2008 को 70 मिनट के भीतर 21 बम विस्फोटों में कम से कम 56 लोग मारे गए थे और 200 से अधिक घायल हुए थे। पुलिस ने दावा किया था कि आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिदीन (आईएम) से जुड़े लोग विस्फोटों में शामिल थे और यह प्रतिबंधित स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) के कट्टरपंथियों का एक धड़ा था। 

अहमदाबाद श्रृंखलाबद्ध विस्फोट मामला: 13 साल बाद सुनवाई पूरी, अदालत ने फैसला सुरक्षित रखा- India TV Hindi Image Source : PIXABAY अहमदाबाद श्रृंखलाबद्ध विस्फोट मामला: 13 साल बाद सुनवाई पूरी, अदालत ने फैसला सुरक्षित रखा

अहमदाबाद: गुजरात के अहमदाबाद में हुए श्रृंखलाबद्ध बम धमाकों के 13 साल बाद यहां की एक विशेष अदालत ने इस मामले में 77 आरोपियों के खिलाफ सुनवाई पूरी कर ली और अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। उस घटना में 56 लोगों की मौत हो गयी थी। अभियोजन पक्ष ने बम धमाकों के एक साल बाद दिसंबर 2009 में शुरू हुए लंबे मुकदमे में 1,100 से अधिक गवाहों को पेश किया। विशेष न्यायाधीश ए आर पटेल ने गुरुवार को सुनवाई पूरी करने की घोषणा की और फैसला सुरक्षित रख लिया। 

बता दें कि, अहमदाबाद शहर में 26 जुलाई, 2008 को 70 मिनट के भीतर 21 बम विस्फोटों में कम से कम 56 लोग मारे गए थे और 200 से अधिक घायल हुए थे। पुलिस ने दावा किया था कि आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिदीन (आईएम) से जुड़े लोग विस्फोटों में शामिल थे और यह प्रतिबंधित स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) के कट्टरपंथियों का एक धड़ा था। 

यह आरोप लगाया गया था कि आईएम आतंकवादियों ने 2002 के गोधरा दंगों का बदला लेने के लिए इन विस्फोटों की योजना बनाई थी। इन धमाकों के कुछ दिनों बाद, पुलिस ने सूरत के विभिन्न हिस्सों से बम बरामद किए और उसके बाद अहमदाबाद में 20 और सूरत में 15 प्राथमिकी दर्ज की गईं। अदालत द्वारा सभी 35 प्राथमिकी को एकसाथ कर दिए जाने के बाद सुनवाई की गयी। 

गुजरात पुलिस द्वारा विभिन्न समय पर गिरफ्तार किए गए 85 आरोपियों में से 78 लोगों के खिलाफ सुनवाई शुरू हुयी और एक आरोपी के सरकारी गवाह बनने के बाद यह संख्या घटकर 77 रह गई। इस मामले में कम से कम आठ से नौ आरोपी अब भी फरार हैं। आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता के साथ ही गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) कानून के प्रासंगिक प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया है। 

विशेष अदालत शुरू में साबरमती केंद्रीय कारागार में मामले की सुनवाई करती थी। बाद में ज्यादातर कार्यवाही वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए की जाती थी। सुनवाई जारी रहने के दौरान ही कुछ आरोपियों ने 2013 में जेल में 213 फुट लंबी सुरंग खोदकर कथित रूप से भागने की कोशिश की थी। जेल से भागने के प्रयास का मुकदमा अभी लंबित है।