नई दिल्लीः गुजरात के एक शख्स की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने 'बुलडोजर जस्टिस' पर सख्त टिप्पणी की। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी शख्स के किसी केस में महज आरोपी होने के चलते उसके घर पर बुलडोजर नहीं चलाया जा सकता। आरोपी पर दोष बनता है या नहीं, ये तय करना कोर्ट का काम है। कानून के शासन वाले इस देश में एक शख्स की ग़लती की सज़ा उसके परिजनों के खिलाफ कार्रवाई करके या उसके घर को ढहाकर नहीं दी जा सकती।
सुप्रीम कोर्ट ने की सख्त टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अदालत इस तरह की बुलडोजर कार्रवाई को नज़रंदाज़ नहीं कर सकता। ऐसी कार्रवाई को होने देना क़ानून के शासन पर बुलडोजर चलाने जैसा होगा। जस्टिस ऋषिकेश रॉय, जस्टिस सुधाशु धूलिया और जस्टिस एसवीएन भट्टी की कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए ये टिप्पणी की।
जावेद अली ने दाखिल की है याचिका
दरअसल, गुजरात के जावेद अली नाम के शख्स ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कहा कि परिवार के एक सदस्य के खिलाफ एफआईआर होने के चलते उन्हें म्युनिसिपल कॉरपोरेशन (नगर निगम) की तरफ से घर गिराने के लिए नोटिस दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट घर गिराने पर स्टे लगा दिया। कोर्ट ने फिलहाल यथास्थिति बनाये रखने का आदेश देते हुए सरकार और नगर निगम को नोटिस जारी किया है।
सुप्रीम कोर्ट की पहले भी आ चुकी है इस तरह की टिप्पणी
बता दें कि अभी हाल में भी सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर से घरों को ध्वस्त करने को गलत ठहराया था। न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन की पीठ ने कहा था कि किसी का मकान सिर्फ इसलिए कैसे गिराया जा सकता है कि वह एक आरोपी है? भले ही वह दोषी हो, फिर भी कानून द्वारा निर्धारित प्रक्रिया का पालन किए बिना ऐसा नहीं किया जा सकता। कोर्ट की इस टिप्पणी का विपक्षी दलों ने स्वागत किया था।