श्री राम-कॉस्मोलॉजिकल टाइम लाइन पुस्तक का विमोचन, जानिए श्री राम के जीवन का सही समयाकंन
श्री राम- कॉस्मोलॉजिकल टाइम लाइन पुस्तक का विमोचन सोमवार को गुजरात युनिवर्सिटी के मनोविज्ञान भवन में किया गया। इस पुस्तक में रामायण के अनसुझे रहस्यों से, श्री राम के जीवन का सही समयाकंन किया गया है।
श्री राम- कॉस्मोलॉजिकल टाइम लाइन पुस्तक का विमोचन सोमवार को गुजरात युनिवर्सिटी के मनोविज्ञान भवन में किया गया। इस पुस्तक में रामायण के अनसुझे रहस्यों से, श्री राम के जीवन का सही समयाकंन किया गया है। शास्त्र और विज्ञान के समन्वय की श्री राम- कॉस्मोलॉजिकल टाइम लाइन पुस्तक अद्भुत रचना है। पुस्तक में श्री राम का जन्म कितने वर्ष पहले हुआ? वर्तमान कैलेंडर के अनुसार श्री राम की जन्म तारीख कौन सी है? श्री राम और रावण का युद्ध कहब हुआ? आदि के बारे मं बताया गया है।
श्री राम के समयकाल को वर्तमान समय मापन पद्धति (कैलेंडर) के अनुरूप मापकर समग्र घटनाओं को वर्तमान कैलेंडर स्वरूप में अंकित करने से आने वाली पीढ़ियां भारतवर्ष के भव्य और गौरवशाली इतिहास को सरल एवं उत्तम रूप से समझकर उससे जुड़ पाएंगी। वाल्मीकि रामायण की 2000 से अधिक मैन्युस्क्रिप्ट की बारीक जांच द्वारा समीक्षा के बाद तैयार हुई रामायण के शोध संस्करण के आधार पर उस में वर्णित खगोलीय और उस के संबंधित घटनाओं के संदर्भ पर से शोध कार्य कर के श्री राम के जीवन के प्रसंगों का सटीक समय और उस के सटीक दिनांक का निर्णय किया गया है। हमें इस बात का ध्यान रखना है कि इस ग्रंथ के लिए जो भी सन्दर्भ लें वह वास्तविक हों काल्पनिक ना हों या कहीं रूपक की तरह उपयोग में लिया गया ना हो, तभी वह सन्दर्भ वास्तविक हो सकता है।
रामायण काल में भारतीय वैदिक ज्योतिष के सिद्धांत द्वारा खगोलीय घटनाओ का आकलन होता था। आज के भारतीय ज्योतिष के सिद्धांत उन से अलग है। इसलिए सर्व प्रथम भारतीय वैदिक ज्योतिष के अनुसार सिद्धांतों को प्रस्थापित किया गया क्योंकि रामायण में वर्णित प्रत्येक आकाशीय घटना भारतीय वैदिक ज्योतिष के सिद्धांत के अनुसार थीं।
आधुनिक युग के खगोलीय विज्ञान के सिद्धांत के आधार पर तैयार एस्ट्रॉनॉमी सॉफ्टवेर के उपयोग से संबंधित समय की खगोलीय स्थिति का आकलन करने में मदद मिलती है। जिस के लिए नासा जैसी संस्था की मदद से प्राप्त पंचांग (एफेमेरिस) द्वारा एस्ट्रॉनॉमी सॉफ्टवेर तैयार किया जाता है। इस से बहोत सटीक और अच्छे परिणाम मिलतें हैं। किन्तु शोध के दौरान उसमें भी त्रूटियां ध्यान में आईं, उन को भी सुधारना आवश्यक होने के कारण सर्व प्रथम वह त्रूटियों को सुधार के शोध कार्य में मदद में लिया गया।
लेखक ने इतिहास ग्रन्थ, शास्त्रों में से एवं विज्ञानं की अलग-अलग शाखाओं से एक अवधि प्राप्त की, जिससे श्री राम का जन्म कम से कम कितने वर्ष पूर्व हुआ होगा या ज्यादा से ज्यादा कितने वर्ष पूर्व हुआ होगा वह प्राप्त हुआ। इस तरह वाल्मीकि कृत रामायण में दिए गए खगोलीय सन्दर्भ को हमने इकठ्ठा करके पिछले १३००० वर्ष के ग्रहोंकी स्थितिओ को चेक किया। श्री राम के जन्म के दिवस गुरु, सूर्य, शुक्र, मंगल, शनि यह पांच ग्रह अपनी उच्च राशि में बिराजमान थे। यह घटना पिछले १३००० वर्षो में सिर्फ एक बार हो रही हे, अतः निश्चित श्री राम का जन्म उसी दिन हुआ होगा। वर्तमान कैलेंडर के अनुसन्धान में वह तारीख हे २२ फरवरी ७११९ BCE.
रिसर्चर ने श्री राम के जीवन की लगभग सभी महत्वपूर्ण घटना की सटीक तारीख प्राप्त की जैसे के श्री राम का विवाह, श्री राम का वनवास गमन, श्रामसेतु निर्माण, राजा रावण का वध ओर अयोध्या में पुनरागमन इत्यादि। रामायण में ज्यादातर घटनाएं आज हमारे ज्ञात भारतीय तिथियों के अनुरूप है किन्तु वाल्मीकि कृत रामायण में राजा रावण के वध की तिथि का जो वर्णन हे वह फाल्गुन मास की शुक्ल १० है, परन्तु हम रावण दहन अश्विन शुकल १० को करते हैं।
श्री राम- कॉस्मोलॉजिकल टाइम लाइन पुस्तक को ५ वर्ष से ९५ वर्ष के व्यक्ति को आसानी से रामायण के हर प्रसंग से जुड़ सके उस रूप में लिखा गया हे| यह पुस्तक बालक, गृहिणी, जिग्नासु, इतिहास कार, शोध विशेषज्ञ, साहित्य कार सभी को अपने अपने परिपेक्ष में रामायण की घटना से जुडी जानकारी प्रपात हो सकती हे |
यह संशोधन कार्य आने वाले कार्यो के लिए एक आधार बन सकता है।
अभी तक हुए लगभग सभी शोध कार्यों में त्रुटियाँ क्यों प्रतीत होती है?
• ज्यादातर कार्यों में आधुनिक खगोलीय विज्ञान के आधार पर तैयार एस्ट्रोनॉमी सॉफ्टवेयर का उपयोग बिना शुद्धि के करने से आकलन गलत आते है।
• भारतीय वैदिक ज्योतिष के मापन का उपयोग न करके वर्तमान भारतीय ज्योतिष का मापन करने से आकलन गलत आते हैं।
• श्री राम के जीवनकाल के अलग - अलग सभी घटनाओं के समय के ग्रहों की स्थिति सिद्ध न होना।