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Hindi News गुजरात अहमदाबाद में निकली भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा, CM भूपेंद्र पटेल ने सोने की झाड़ू से साफ किया रास्ता

अहमदाबाद में निकली भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा, CM भूपेंद्र पटेल ने सोने की झाड़ू से साफ किया रास्ता

गुजरात के अहमदाबाद स्थित जगन्नाथ मंदिर से भगवान जगन्नाथ की 147वीं रथयात्रा निकाली गई। मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने मंदिर पहुंचकर भगवान की आरती की और सोने की झाड़ू से सफाई का यात्रा का मार्ग प्रस्थान करवाया।

जगन्नाथ मंदिर में यात्रा से पहले पूजा - India TV Hindi Image Source : ANI जगन्नाथ मंदिर में यात्रा से पहले पूजा

गुजरात के अहमदाबाद स्थित जगन्नाथ मंदिर से भगवान जगन्नाथ की 147वीं रथयात्रा निकाली। लाखों श्रद्धालु जुटे हैं। जगन्नाथ मंदिर में रथयात्रा शुरू होने से पहले के अनुष्ठान किए गए। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी जगन्नाथ मंदिर पहुंचे। उन्होंने रथ यात्रा से पहले तड़के मंगलवार को जगन्नाथ मंदिर में मंगला आरती की और मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने मंदिर पहुंचकर भगवान की आरती की। सीएम भूपेंद्र पटेल ने सोने के झाड़ू से रास्ता साफ कर रस्म पूरी की। 

वहीं, रथयात्रा की पूर्व संध्या पर हमेशा की तरह इस साल भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जगन्नाथ मंदिर में प्रसाद भेजा। पीएम मोदी की ओर से भेजे गए अनार, जामुन, मूंग और चॉकलेट का प्रसाद भगवान को चढ़ाया गया। हर साल की तरह इस साल भी रथयात्रा की पूर्व संध्या पर गुजरात के सीएम भूपेंद्र पटेल भगवान की आरती में मौजूद रहे। 

15000 से ज्यादा पुलिसकर्मी तैनात

जगन्नाथ रथ यात्रा की तैयारी को लेकर अहमदाबाद पुलिस के जेसीपी नीरज बडगुजर ने कहा कि आज भगवान जगन्नाथ की 147वीं रथयात्रा निकलेगी। इस रथयात्रा के लिए पुलिस की ओर से रिहर्सल की जा चुकी है। 15000 से ज्यादा पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं। निगरानी के लिए सीसीटीवी और ड्रोन जैसी तकनीक की मदद ली जाएगी। श्रद्धालुओं को कोई परेशानी न हो इसकी भी व्यवस्था की गई है।

CM ने रथयात्रा का प्रस्थान करवाया

बता दें कि 7 जुलाई को यानी अषाढ़ी द्वितीया के दिन अहमदाबाद के जगन्नाथ मंदिर से 147वीं भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा निकाली गई है। मंगलवार सुबह सीएम भूपेंद्र पटेल ने सोने की झाड़ू से सफाई कर रथयात्रा का प्रस्थान करवाया। जगन्नाथ रथ यात्रा उत्सव की शुरुआत 12वीं से 16वीं शताब्दी के बीच हुई थी। इसकी शुरुआत के बारे में कई कहानियां और मान्यताएं हैं। कुछ लोग कहते हैं कि यह भगवान कृष्ण की अपनी मां की जन्मभूमि की यात्रा को दर्शाता है। दूसरों का मानना ​​है कि इसकी शुरुआत राजा इंद्रद्युम्न से हुई थी, जिन्होंने कथित तौर पर अनुष्ठान शुरू किए थे। 

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