भारत के पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल हों या गुजरात की मुख्यमंत्री रहीं और वर्तमान में उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल हों या फिर रिलायंस ग्रुप के फाउंडर धीरूभाई अंबानी, इन सभी के नाम में भाई और बेन लगा है। गुजरात में महिला और पुरुष के नाम के पीछे भाई और बेन जोड़ने की परंपरा है। हालांकि, इन दिनों गुजरात के लोग अपने नाम से भाई और बेन हटवाने को लेकर पासपोर्ट ऑफिसों के चक्कर काट रहे हैं।
कहीं भाई या बेन, तो कहीं पर सिर्फ नाम दर्ज
वजह यह है कि उनके बर्थ सर्टिफिकेट से लेकर स्कूल, कॉलेज, आधार कार्ड और अन्य दस्तावेजों में कहीं भाई या बेन लिखा है, तो कहीं पर सिर्फ नाम दर्ज है। ऐसे में जब उनके दस्तावेज वीजा चरण के लिए लगते हैं, तो वीजा मिलने में मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। बता दें कि गुजरात में नाम के पीछे भाई या बेन लगाना इतना सामान्य है कि हर दूसरे व्यक्ति के नाम के साथ यह जुड़ा हुआ है, लेकिन कई बार कुछ दस्तावेजों में लोग इसे नहीं लिखवाते हैं। इस तरह दस्तावेजों में नाम अलग-अलग हो जाते हैं, जिसकी वजह से विदेश जाने की प्रक्रिया में बहुत दिक्कत आती है।
हर दिन 4000 से ज्यादा आवेदन
एक रिपोर्ट के मुताबिक, गुजरात के क्षेत्रीय पासपोर्ट अधिकारी बताते हैं कि उनके पास हर दिन 4000 से ज्यादा आवेदन आते हैं, जिनमें से करीब एक चौथाई यानी 1000 से ज्यादा नाम बदलने, जन्म स्थान या जन्म तिथि में बदलाव से जुड़े होते हैं। इनमें से करीब 800 भाई-बेन को हटाने या जोड़ने से जुड़े होते हैं। क्षेत्रीय पासपोर्ट कार्यालय के अधिकारी भी कहते हैं कि यहां आम बोलचाल में इस तरह संबोधित करना एक स्वभाव है। हालांकि, लोगों के इसे नाम के साथ जोड़ देने से तब बाधाएं पैदा होती हैं, जब पासपोर्ट और वीजा के लिए आवश्यक दस्तावेजों में समानता नहीं होती है।
अर्ध शहरी और ग्रामीण इलाकों से ज्यादा मामले
अब गुजरात में इस तरह के मामले में बेतहाशा बढ़ोतरी देखी जा रही है। नाम में बदलाव का अधिकार अहमदाबाद, वडोदरा और राजकोट के पासपोर्ट ऑफिस को भी दिया गया है। इससे पहले इसका अधिकार सिर्फ मुख्य कार्यालय के पास ही था। रिपोर्ट में सामने आया है कि भाई-बेन से जुड़े मामलों में शहरों की तुलना में अर्ध शहरी और ग्रामीण इलाकों से ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं।