गुजरात में कोरोना वायरस मामलों में वृद्धि के बीच शमशानों में लगीं लंबी कतारें
कोरोना वायरस एक बार फिर कहर बरपा रहा है। हालात यह हो गए हैं कि कोविड-19 से मरने वालों को रीति रिवाजों और समय पर अंतिम संस्कार तक नसीब नहीं हो रहा है। ऐसा ही हाल गुजरात का है। यहां बीते एक सप्ताह से श्मशानों में भारी भीड़ देखने को मिल रही है।
अहमदाबाद: कोरोना वायरस एक बार फिर कहर बरपा रहा है। हालात यह हो गए हैं कि कोविड-19 से मरने वालों को रीति रिवाजों और समय पर अंतिम संस्कार तक नसीब नहीं हो रहा है। ऐसा ही हाल गुजरात का है। यहां बीते एक सप्ताह से श्मशानों में भारी भीड़ देखने को मिल रही है, जिसके चलते कोविड-19 या अन्य रोगों के कारण जान गंवाने वाले लोगों के संबंधियों को उनके अंतिम संस्कार के लिये घंटों इंतजार करना पड़ रहा है। अधिकारियों ने बृहस्पतिवार को बताया कि हिंदू धर्म में आमतौर पर सूरज ढलने के बाद अंतिम संस्कार नहीं किया जाता लेकिन इन दिनों शमशानों में शवों की भारी संख्या के चलते लोगों को रात में भी अंतिम संस्कार करना पड़ रहा है।
सूरत शहर के उमरा इलाके के एक श्मशान में दो दिन पहले रात के समय एक साथ 25 शवों का लकड़ियों से बनी चिताओं पर अंतिम संस्कार किया गया। वडोदरा में भी श्मशानों में भीड़ बढ़ने के कारण लोगों को रात में ही अंतिम संस्कार करने के लिये मजबूर होना पड़ रहा है। वडोदरा नगर निगम की स्थायी समिति के अध्यक्ष हितेन्द्र पटेल ने यह जानकारी दी। हालात से निपटने और इंतजार के घंटे कम करने के लिये अधिकारियों ने कुछ श्मशानों में लोहे की चिताओं का भी इंतजाम किया है। साथ ही जिन श्मशानों में अंतिम संस्कार नहीं किया जा रहा था, उन्हें भी खोल दिया गया है।
अहमदाबाद शहर में कुछ मृतकों के परिजनों ने दावा किया कि उन्हें श्मशान में आठ घंटे से अधिक समय तक इंतजार करना पड़ा। यहां दो मुख्य श्मशानों वाडाज और दुधेश्वर में बीते कुछ दिन में भारी भीड़ देखने को मिली है। वाडाज श्मशान में मंगलवार को अपने संबंधी के अंतिम संस्कार के लिये कतार में खड़े एक व्यक्ति ने पत्रकारों से कहा कि सुबह आठ बजे से दोपहर तक सात शव लाए जा चुके हैं। उसने कहा कि हमें अपनी बारी की प्रतीक्षा करनी पड़ी। हम अपने संबंधी के अंतिम संस्कार के लिये सुबह जल्दी आ गए थे, जिसके चलते शाम हमारी बारी आ सकी।
अहमदाबाद के दुधेश्वर इलाके के श्मशान में भी लोग ऐसी ही समस्याओं का सामना कर रहे हैं। कोविड-19 से जान गंवाने वाले एक व्यक्ति के संबंधी जयदीपसिंह परमार ने कहा कि पहले तो उन्हें शव को शमशान लाने के लिये एंबुलेंस का इंतजार करना पड़ा और उसके बाद अंतिम संस्कार के लिये आठ घंटे तक प्रतीक्षा करनी पड़ी। उन्होंने कहा, ''एक व्यक्ति को औसतन आठ से नौ घंटे प्रतीक्षा करनी पड़ रही है।''
इस समस्या के समाधान के लिये वडोदरा नगर निगम ने हाल ही में और अधिक शवों के अंतिम संस्कार के लिये धातु की बनी 35 नयी चिताएं लगाई हैं। नगर निकाय की स्थायी समिति के प्रमुख हितेन्द्र पटेल ने यह जानकारी दी। उन्होंने कहा, ''पहले हमने कोविड-19 से जान गंवाने वालों के अंतिम संस्कार के लिये वडोदरा शहर में चार श्मशानों को अनुमति दी थी। भीड़ को देखते हुए हमने दो दिन पहले आठ अन्य श्मशानों को भी अनुमति दे दी।''
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