गुजरात में रेत माफियाओं की खैर नहीं, राज्य के सारे खनन वाहनों को जीपीएस से किया जाएगा टैग
माइनिंग के स्पॉट से 15-20 किमी दूर से रेत चोरी गैंग के इन्फॉर्मर बाइक पर उनके पीछे लग जाते हैं और रेड करने वाली टीम के पहुंचने से पहले ही रेती चोरी करने के सारे वाहनों और इक्विपमेंट्स को नदी में छिपाकर निकल जाते हैं।
गुजरात में खनन माफियाओं द्वारा खनन विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों पर जानलेवा हमले की खबरें आम हो गई हैं। इस परिस्थिति की गंभीरता का अंदाजा भरुच के सांसद मनसुख वसावा के उस बयान से लगाया जा सकता है, जिसमें उन्होंने कहा था कि चोरी की रेती से भरे ट्रक किसी दिन उनकी जान ले लेंगे। राज्य में रेत माफियाओं को अब फिजिकली रोक पाना मुश्किल हो गया है। क्योंकि रेत चोरी को रोकने गए कर्मचारी पर कभी भी जानलेवा हमला हो सकता है। खनन माफिया का इन्फॉर्मेशन सिस्टम इतना पावरफुल होता है कि जैसे ही फ्लाईंग स्कवाड की गाडी सर्च और रेड के लिए निकलती है। माइनिंग के स्पॉट से 15-20 किमी दूर से रेत चोरी गैंग के इन्फॉर्मर बाइक पर उनके पीछे लग जाते हैं और रेड करने वाली टीम के पहुंचने से पहले ही रेती चोरी करने के सारे वाहनों और इक्विपमेंट्स को नदी में छिपाकर निकल जाते हैं।
रेत माफियाओं का प्रकोप
इस बाबत खनिज विभाग ने ड्रोन से भी सर्विलांस का प्लान बनाया और उसे इम्प्लीमेंट किया। बावजूद घटनास्थल पर कर्मचारियों का उपलब्ध रहना जरूरी है। इस कारण उनपर हमले का खतरा तो बना ही रहता है। पुलिस प्रोटेक्शन की भी अपनी मर्यादाएं बनी रहती हैं। इन सभी खतरों से निपटने के लिए पहली बार गुजरात के खनिज विभाग ने नया प्रयोग शुरू किया है। खनन माफिया पर पूरी तरह नकेल कसने के लिए अब खनिज विभाग पूरे राज्य में खनन से जुड़े हर वाहन को VTMS यानि VEHICAL TRACKING & MONITORING SYSTEM के साथ जोड़ा जा रहा है। पिछले कुछ समय से कुछ क्षेत्रों में इसका प्रयोग भी शुरू हो चुका है।
जीपीएस से जोड़े जाएगा सारे वाहन
इस VTMS सिस्टम के इम्प्लीमेंटेशन से बिना ह्यूमन इंटरफेरेंस के रेती चोरी पर रोक लगाना आसान हो जाएगा। इससे सरकार का मिनरल लॉस और रेवेन्यू लॉस तो कम होगा ही साथ में स्टाफ को सेफ्टी की गारंटी भी मिलेगी। क्योंकि VTMS सिस्टम में कुछ ऐसे फीचर लगे हैं जिससे से रेती ले जाने वाले वेहिकल को सोर्स से लेकर फाइनल डेस्टिनेशन तक हर एंगल से मॉनिटर किया जाएगा यानि वाहन को जो रॉयल्टी पास जारी किया गया है वो उसके अनुसार काम कर रहा है या नहीं उसका पूरा ब्यौरा रिकॉर्ड हो जाएगा। बावजूद इसके यदि कोई भी अनियमितता पाई गई तो अगली ट्रिप के लिए रॉयल्टी पास जारी ही नहीं होगा। साथ ही भारी जुर्माना भी लगाया जाएगा।
रेत माफियाओं पर लगेगी नकेल
इस सिस्टम में जहां वाहनों को GPS से टैग किया गया है। वहीं राज्य के सभी मशीनिंग ब्लॉक्स और डीलर्स के लोकेशंस को भी टैग कर दिया गया है। यदि वेहिकल अलॉटेड ब्लॉक के अलावा आस पास से अवैध रूप से रेत से लदा वाहन निकलेगा तो वह भी रिकॉर्ड हो जाएगा। इसके अलावा यदि वेहिकल अलॉटेड डीलर के अलाला कहीं और माल उतरेगा तो वो भी रिकॉर्ड हो जाएगा। इसके अलावा रूट पर बाकी चेक पोस्ट पर एंट्री नहीं करवाएगा तो वो भी रिकॉर्ड होगा। इस सिस्टम में वाहन की स्पीड के साथ साथ रूट वगैरह सभी कुछ रिकॉर्ड होता रहेगा। राज्य में BISAG की मदद से सभी साइट्स की सैटेलाइट से मॉनिटरिंग पहले ही हो रही है।