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गुजरात में ब्लैक फंगस कितना फैला, कितनों की मौत हुई, किसे कितना खतरा और सरकार क्या कर रही है? जानिए

गुजरात में ब्लैक फंगस (म्युकरमाइकोसिस) के मामले महिलाओं के मुकाबले पुरुषो में ज्यादा देखने को मिले हैं।

गुजरात में ब्लैक फंगस कितना फैला, कितनों की मौत हुई, किसे कितना खतरा और सरकार क्या कर रही है? जानिए- India TV Hindi गुजरात में ब्लैक फंगस कितना फैला, कितनों की मौत हुई, किसे कितना खतरा और सरकार क्या कर रही है? जानिए

अहमदाबाद: गुजरात में ब्लैक फंगस (म्युकरमाइकोसिस) के मामले महिलाओं के मुकाबले पुरुषो में ज्यादा देखने को मिले हैं। अभी तक दर्ज कुल मरीजों में से 67.1% पुरुष और 32.9% महिला मरीज़ हैं। इस बीमारी के मरीजों में से सिर्फ 0.5% मरीज़ ही 18 साल से कम उम्र के हैं जबकि 28.4% मरीज़ 18 से 45 साल की उम्र के, 46.3% मरीज़ 45 से 60 साल की उम्र के और 24.9% मरीज़ 60 से ज्यादा उम्र के हैं। यह आंकड़े राज्य के आरोग्य विभाग द्वारा दिए गए हैं।

आरोग्य विभाग विभाग के अनुसार, कुल मरीजों में से 59% मरीज डायबिटिक, 22.1% मरीज इम्यूनो कोम्प्रोमाइज्ड और 15.2% मरीज़ कोमोर्बिड कन्डीशन वाले हैं। इस बिमारी में सिर्फ 33.5% मरीजों को कोरोना ट्रीटमेंट के दौरान ऑक्सीजन की जरूरत पड़ी थी जबकि 66.5% मरीजों को ऑक्सीजन की ज़रूरत नहीं पड़ी थी। 49.5% मरीजों को कोरोना ट्रीटमेंट के दौरान स्टेरॉयड थेरेपी दी गई थी जबकि 50.5% को इसकी जरूरत नहीं पड़ी थी।

विभाग के अनुसार, राज्य में म्युकरमाइकोसिस के अभी तक दर्ज कुल मरीजों में से 81.6% मरीज़ राज्य की विविध अस्पतालों में ट्रीटमेंट ले रहे हैं जबकि 14.3% मरीज़ ठीक हो चुके हैं और 4.1% मरीजों की मृत्यु हो चुकी है। गौरतलब है कि फिलहाल चल रही महामारी के दौरान राज्यभर में ब्लैक फंगस के केस सामने आ रहे हैं। भारत सरकार और राज्य सरकार द्वारा एपेडेमिक एक्ट 1897 के तहत इस बिमारी को महामारी घोषित किया गया है। 

मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने म्युकरमाइकोसिस को देखते हुए 11 विशेषज्ञ डॉक्टर्स की एक टास्क फ़ोर्स बनने का निर्णय किया है। इस टास्क फ़ोर्स द्वारा लगातार परामर्श कर ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल और मार्गदर्शिका तय की जाएगी। इस टीम सरकारी अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों के डेंटल, ई.एन.टी, एप्थोल्मोलोजी, मेडिसिन विभाग डॉक्टर्स शामिल हैं।

गुजरात की 'टीम 11'

  • डॉ गिरीश परमार- अहमदाबाद के सरकारी डेंटल कॉलेज के एडिशनल डायरेक्टर और डीन
  • डॉ कमलेश उपाध्याय- बी.जे. मेडिकल कॉलेज, सिविल अस्पताल (मेडिसिन विभाग)
  • डॉ बेला प्रजापति- बी.जे. मेडिकल कॉलेज (ई.एन.टी विभाग)
  • डॉ हंसा ठक्कर- एम एंड जे इंस्टिट्यूट ऑफ़ एप्थोल्मोलोजी, अहमदाबाद
  • डॉ अश्विन वसावा- सरकारी मेडिकल कॉलेज, सूरत (मेडिसिन विभाग)
  • डॉ आनंद चौधरी- सरकारी मेडिकल कॉलेज, सूरत (ई.एन.टी विभाग)
  • डॉ बी.आई. गोस्वामी- एम.पी. शाह मेडिकल कॉलेज, जामनगर (मेडिसिन विभाग)
  • डॉ सजल मिस्त्री- पी.डी.यू मेडिकल कॉलेज, राजकोट (ई.एन.टी विभाग)
  • डॉ नीति शेठ- पी.डी.यू मेडिकल कॉलेज, राजकोट (एप्थोल्मोलोजी विभाग)
  • डॉ सुनील झा- सरकारी मेडिकल कॉलेज, भावनगर (ई.एन.टी विभाग)
  • डॉ निलेश पारेख- सरकारी मेडिकल कॉलेज, भावनगर (एप्थोल्मोलोजी विभाग)

मुख्यमंत्री के मार्गदर्शन में राज्य सरकार द्वारा सभी सिविल अस्पतालों में, ख़ासकर अहमदाबाद, वड़ोदरा, सूरत, राजकोट, भावनगर और जामनगर में इस बीमारी के संक्रमितों के लिए अलग वार्ड्स शुरू किये गए हैं। जिन्हें भी यह बिमारी हुई है, उन्हें तुरंत ट्रीटमेंट मिले ऐसी व्यवस्था आरोग्य विभाग द्वारा की जा रही है। 

मुख्यमंत्री ने आरोग्य तंत्र, शहरी और ज़िला स्तर पर विशेष रूप से ध्यान देने की बात पर भी जोर दिया है। साथ ही इस बीमारी के ट्रीटमेंट के लिए ज़रूरी इन्जेक्शन्स की हर जगह कमी होने के बावजूद राज्य सरकार ने अग्रिम रूप से ऐसी व्यवस्था करके रखी हैं, जिससे राज्य में म्युकरमाइकोसिस बीमारी को फैलने से रोका जा सके।