Girl Procession on Elephant: सालों पहले सवर्णों की प्रतिक्रिया के डर से गुजरात के सुरेंद्रनगर के नटू परमार अपनी शादी में घोड़े पर नहीं बैठ पाए थे, लेकिन आज उन्होंने बारात में अपनी बेटी को हाथी पर बिठा कर कन्या सशक्तिकरण का एक उत्तम उदहारण पेश किया है। जहां आज भी दलित व्यक्ति द्वारा निकाले जाने वाले प्री वेडिंग जुलूस को लेकर हर महीने एक एफआईआर दर्ज होती हो वहां दो दशक पहले की स्थिति क्या होगी? नटू परमार को उनकी शादी के वक्त बड़ों ने जुलूस निकालने से माना कर दिया था और उन्होंने इसे दिल पर पत्थर रख कर स्वीकार भी कर लिया था। लेकिन उन्होंने तभी तय कर लिया था कि वह अपने बच्चों के साथ ये नहीं होने देंगे।
क्यों खास है ये जुलूस
इस शुक्रवार नटु ने अपना वादा तो पूरा किया ही और यूं कहें कि उससे भी ज्यादा कुछ कर दिखाया। उन्होंने अपनी 23 वर्षीय बेटी भारती को हाथी पर बिठाकर उसका प्री वेडिंग जुलूस निकाला। नटू के समुदाय में कभी बेटियों के जुलूस नहीं निकलते हैं लेकिन ये जुलूस सिर्फ एक जुलूस नहीं था बल्कि समाज के लिए एक पावरफुल मेसेज था।
रंगों से सजा हाथी अहमदाबाद से बुलाया गया था। इस हाथी पर "बेटी को पढ़ायें, बेटी को अधिकार दें" के मेसेज के साथ दो फ्लेक्स भी लगाये गए थे। साथ में बाबा साहेब आम्बेडकर की फोटो भी रखी गई थी। इसके जरिए ये संदेश दिया गया कि जेंडर और कास्ट से ऊपर सब को एक समान आधिकार है।
पहले भी बटोरी हैं सुर्खियां
नटू परमार पहले भी गाय के शव के साथ 2016 उना फ्लोग्गिंग इंसिडेंट का विरोध करने के कारण सुर्खियों में छाये थे। उनका नवनिर्माण ट्रस्ट के नाम से एक NGO भी है जो दलितों के मुद्दों और बीमार गायों की सेवा के लिए काम करता है। नटू के ट्रस्ट में एक म्यूजियम भी है जिसमे गायों द्वारा खाए गए प्लास्टिक को रखा गया है। जिससे प्लास्टिक के उपयोग को कम करके गायों की रक्षा का मेसेज दिया जा सके।
बच्चों ने भी दिया बड़ा संदेश
तीनों भाई-बहनों में सबसे बड़ी भारती नर्सिंग और मिडवाइफरी की डिग्री के साथ अभी लिमडी जनरल हॉस्पिटल में बतौर स्टाफ नर्स काम कर रही हैं। नटू परमार के 19 और 21 साल के दो बेटें है जो की नर्सिंग का कोर्स कर रहे हैं। जिन्होंने महिला सशक्तिकरण का मेसेज देने के लिए अपने स्कूल रिकार्ड्स में अपने पिता के बदले अपनी माता का नाम लिखवाया है।
भारती के ससुराल वालों को भी भारती के प्रति परमार के प्यार और उनके व्यापक स्टेटमेंट के बारे में पता है। हाथी का उपयोग करने के लिए पुलिस परमिशन लगती है लेकिन इस इवेंट में कोई पुलिस प्रोटेक्शन नहीं ली गई थी। परमार अपने दलित समाज को मेसेज देना चाहते हैं कि किसी से डरें नहीं, हम सब एक समान है और कानून हमारी रक्षा के लिए हैं।