अहमदाबाद: सूरत लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस उम्मीदवार नीलेश कुंभानी का नामांकन खारिज करने के निर्वाचन अधिकारी के फैसले की वैधता को चुनौती देने वाली एक याचिका सोमवार को गुजरात उच्च न्यायालय में दायर की गई। कुंभानी का नामांकन खारिज होने और अन्य उम्मीदवारों के चुनाव से हटने के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के उम्मीदवार मुकेश दलाल को निर्विरोध विजेता घोषित किया गया।
'जीतने वाले उम्मीदवार को समन जारी कर सकती है कोर्ट'
याचिकाकर्ताओं के वकील पी. एस. चंपानेरी ने बताया कि चुनाव याचिका सूरत संसदीय क्षेत्र के तीन मतदाताओं ने दायर की है और नामांकन फॉर्म की जांच से संबंधित जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 36 के तहत निर्वाचन अधिकारी के फैसले पर सवाल उठाया है। उन्होंने कहा, ‘‘जनप्रतिनिधित्व अधिनियम में प्रावधान है कि जब भी कोई चुनाव याचिका दायर की जाती है, तो कार्यालय मामले को सुनवाई के लिए उच्च न्यायालय के किसी भी न्यायाधीश को सौंपने के लिए इसे मुख्य न्यायाधीश के समक्ष रखेगा। इसके बाद सुनवाई शुरू होगी और अदालत जीतने वाले उम्मीदवार को समन जारी कर सकती है।’’
मुख्य न्यायाधीश सुनीता अग्रवाल और न्यायमूर्ति अनुरुद्ध पी. माई की खंडपीठ ने एक मई को दलाल की निर्विरोध जीत से संबंधित जनहित याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया था और याचिकाकर्ता के वकील को निर्देश दिया था कि वह इस मामले को जनहित याचिका के बजाय चुनाव याचिका के माध्यम से चुनौती दें।
सूरत सीट पर हुआ था हाईवोल्टेज ड्रामा
बता दें कि सूरत सीट से कांग्रेस उम्मीदवार नीलेश कुम्भानी का नामांकन फॉर्म रद्द हो गया था। कुंभानी के समर्थकों ने शपथ पत्र में दावा किया था कि नामांकन पत्र में समर्थक के तौर पर कुंभानी ने जो हस्ताक्षर किये हैं, वह उनके नहीं हैं। इसके बाद सूरत सीट पर हाईवोल्टेज ड्रामा शुरू हो गया था। गुजरात में कांग्रेस प्रत्याशी नीलेश कुम्भानी का नामांकन पत्र अमान्य होने के बाद अब वो सूरत लोकसभा सीट से चुनाव नहीं लड़ सकते। बीजेपी ने प्रस्तावकों के साइन को लेकर सवाल खड़े किए थे। (भाषा इनपुट्स के साथ)