अहमदाबादः सूरत नगर निगम की जमीन पर 'अतिक्रमण' करने वाले एक पार्किंग सुविधा संचालक का अनुबंध रद्द होने से रुकवाने के लिए उससे 10 लाख रुपये की रिश्वत मांगने के आरोप में आम आदमी पार्टी के दो पार्षदों के खिलाफ मामला दर्ज कर उनमें से एक को गिरफ्तार कर लिया गया है। एसीबी ने मंगलवार को यह जानकारी दी। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने एक विज्ञप्ति में कहा कि आरोपियों ने शिकायतकर्ता के साथ मोबाइल फोन पर बातचीत के दौरान पैसे के लिए 'दस्तावेज' जैसे कोड शब्दों का इस्तेमाल किया। उनके खिलाफ मामला 'फोरेंसिक वॉयस स्पेक्ट्रोग्राफी टेस्ट' सहित सबूतों पर आधारित था।
वार्ड नंबर 17 के पार्षद विपुल सुहागिया गिरफ्तार
एसीबी ने नगर निगम वार्ड नंबर 17 के पार्षद विपुल सुहागिया को उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज होने के बाद गिरफ्तार कर लिया। सुहागिया के सहयोगी और वार्ड 16 से पार्षद जितेन्द्र कछाड़िया के खिलाफ सोमवार को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया। एसीबी के पुलिस उपाधीक्षक जीवी पढेरिया ने बताया कि कछाड़िया का पता लगाया जा रहा है।
ठेकेदार ने एसीबी से की थी शिकायत
बताया जा रहा है कि यह घटना तब सामने आई जब मल्टी-लेवल पे-एंड-पार्क सुविधा के प्रबंधन के लिए जिम्मेदार ठेकेदार ने एसीबी को रिश्वत की मांग की सूचना दी। पुलिस के अनुसार, सूरत के दोनों आप पार्षदों ने पे-एंड-पार्क सुविधा का दौरा किया था और ठेकेदार पर सब्जी बाजार के लिए निर्दिष्ट भूमि के एक हिस्से पर अवैध रूप से कब्जा करने का आरोप लगाया था। उन्होंने धमकी दी कि अगर ठेकेदार ने उन्हें 10 लाख का भुगतान नहीं किया तो अनुबंध रद्द कर दिया जाएगा और कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
जांच का नेतृत्व कर रहे सहायक पुलिस आयुक्त (एसीपी) आरआर चौधरी ने पुष्टि की कि एसीबी ने पार्षदों के खिलाफ पर्याप्त सबूत एकत्र किए हैं। चौधरी ने कहा, “पुलिस इंस्पेक्टर कल्पेश धादुके के नेतृत्व में की गई जांच से पता चला है कि आरोपी ने कथित अवैध कब्जे के मुद्दे को सुलझाने के बहाने रिश्वत की मांग की थी।
इनपुट-भाषा