अहमदाबाद कोविड अस्पताल अग्नि कांड: CM रूपाणी ने दिए जांच के आदेश, 3 दिनों के भीतर देनी होगी रिपोर्ट
गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने गुरुवार (6 अगस्त) को अहमदाबाद के कोविड समर्पित निजी अस्पताल में आग लगने की घटना की जांच के आदेश दिए हैं।
गांधीनगर। गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने गुरुवार (6 अगस्त) को अहमदाबाद के कोविड समर्पित निजी अस्पताल में आग लगने की घटना की जांच के आदेश दिए हैं। इस दर्दनाक घटना में आठ लोगों की मौत हो गई है। मुख्यमंत्री ने गृह विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव (एसीएस) संगीता सिंह और शहरी विकास के एसीएस मुकेश पुरी को 3 दिनों के भीतर रिपोर्ट देने का आदेश दिया है।
मुख्यमंत्री ने सीएम राहत कोष से मृतकों के परिजनों को 4 लाख रुपये और घायलों को 50 हजार रुपये की सहायता देने की भी घोषणा की है। अहमदाबाद के नवरंगपुरा इलाके में स्थित श्रेय हॉस्पिटल में गुरुवार तड़के आईसीयू वार्ड में आग लगने से 5 पुरुषों और 3 महिलाओं सहित आठ मरीजों की मौत हो गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस दुखद घटना को लेकर अपनी संवेदना व्यक्त की है। उन्होंने गुजरात के मुख्यमंत्री और अहमदाबाद के महापौर से टेलीफोन पर बातचीत की।
प्रधानमंत्री ने ट्वीट किया, "अहमदाबाद के अस्पताल में आग लगने की घटना से दुखी हूं। शोक संतप्त परिवारों के प्रति संवेदना। घायल लोग जल्द स्वस्थ हों। स्थिति को लेकर मुख्यमंत्री विजय रूपाणी और और महापौर से बात की। प्रशासन प्रभावितों को हर संभव सहायता प्रदान कर रहा है।" प्रधानमंत्री कार्यालय ने भी पीड़ित परिवारों के लिए 2 लाख रुपये और घायलों के लिए 50 हजार रुपये के मुआवजे की घोषणा की है।
बहादुर परिचारक ने तीन बुजुर्ग रोगियों को बचाया
अहमदाबाद के एक अस्पताल में गुरुवार की सुबह लगी आग के दौरान 25 वर्षीय एक परिचारक ने साहस और बुद्धिमत्ता का परिचय देते हुए तीन बुजुर्ग रोगियों के जीवन की रक्षा की। अग्निशमन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि आठ अन्य रोगियों की शहर के नवरंगपुरा इलाके में कोविड-19 उपचार के लिए आरक्षित श्रेय अस्पताल में लगी आग में मौत हो गई। आठ रोगियों में पांच पुरुष और तीन महिलाएं थीं, जिनका इलाज आईसीयू वार्ड में चल रहा था। आग चार मंजिला अस्पताल के चौथे तल पर सुबह करीब साढ़े तीन बजे लगी। अहमदाबाद नगर निगम ने कोरोना वायरस से पीड़ित लोगों के इलाज के लिए जिन तीन निजी अस्पतालों को अधिकृत किया है, उसमें 60 बिस्तरों वाला यह अस्पताल भी शामिल है। जब आग लगी तब चौथे तल पर 11 रोगी मौजूद थे। पुलिस के मुताबिक, कोविड-19 से गंभीर रूप से पीड़ित लोगों के इलाज के लिए चौथे तल पर एक विशेष आईसीयू चैंबर बनाया गया था।
अस्पताल के परिचारक चिराग पटेल ने अपने जीवन को खतरे में डालते हुए तीन बुजुर्ग रोगियों को आग से बचाया। उन्होंने कहा कि एक अन्य परिचारक ने चौथे तल पर सुबह करीब तीन बजे पहली बार आग देखी। पटेल ने पुलिस को बयान देने के बाद संवाददाताओं से कहा, 'इसके बाद जब मैं चौथे तल पर गया तो मैंने एक रोगी के बिस्तर के पास लगे मेडिकल उपकरण से आग निकलते देखा। तुरंत उस रोगी के बाल में आग लग गई। मैंने इसे तुरंत बुझा दिया।' उन्होंने कहा, 'जब मैंने वहां से बिस्तर हटाया तो एक अन्य परिचारक के पीपीई सूट में आग लग गई। संयोग से एक चिकित्सक पानी की बाल्टी के साथ ऊपर आए और परिचारक पर पानी डालकर उसे बचा लिया।' उन्होंने कहा, 'अचानक आईसीयू वार्ड में विस्फोट हो गया। हालांकि, हम रोगियों को बचाने के लिए फिर गए लेकिन धुआं भरा होने और काफी कम दृश्यता की वजह से ऐसा संभव नहीं हो सका।'
पटेल के मुताबिक, चूंकि अन्य परिचारक और चिकित्सक धुएं के कारण असहज महसूस कर रहे थे इसलिए उन्होंने वहां रूकने का फैसला किया और दूसरों को नीचे जाने के लिए कहा। इस बीच अस्पताल के कर्मियों ने अग्निशमन दल को सूचित किया। पटेल ने बताया कि चौथे तल पर उन्होंने सबसे पहले एक बुजुर्ग महिला को बाहर निकाला और फिर एक बुजुर्ग महिला एवं पुरुष रोगी को वहां से बाहर निकाला गया। उन्होंने कहा कि धुआं काफी बढ़ जाने के कारण फिर वह अंदर नहीं जा सके। उन्होंने कहा, 'मुझे खुशी है कि मैं तीन गंभीर रोगियों को बचा सका। मेरे लिए अपनी जिंदगी से ज्यादा महत्वपूर्ण रोगी की जिंदगी है।'
(इनपुट-IANS/PTI)