World Cup 1999: सरहद पर चल रही थी गोलियां और भारत-पाकिस्तान खेल रहे थे मैच
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भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट मैच निर्भर करता है राजनीतिक हालात पर। मौजूदा विश्व टी20 कप में भी दोनों देशों के बीच मैच पर खतरे के बादल मंडराने लगे थे जब धर्मशाला में सुरक्षा को लेकर पाकिस्तान ने केलने से मना कर दिया था। आख़िकरकार ICC को दख़ल देकर मैच कोलकता शिफ़्ट करना पड़ा जहां आद भारत और पाकिस्तान भिड़ेंगे।
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कुछ ऐसे ही हालात 1999 विश्व कप के समय थे जब दोनों के बीच मैनचेस्टर में मैच हो रहा था। मैच के दौरान तीन गिरफ़्तारियां हुई, नौ दर्शकों को मैदान के बाहर करना पड़ा और किसी ने भारत का झंडा भी जलाया।
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ये मैच ऐसे समय हो रहा था जब करगिल में दोनों देशों की सेनाएं एक दूसरे पर गोलियां दाग़ रही थी। ये शायद पहला मौक़ा था जब एक तरफ सरहद पर जंग छिड़ी हुई थी वहीं खेल के मैदान में दोनों देश की टीमें मैच खेल रही थी।
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बहरहाल गोलियों की गूंज के बीच भारत ने टॉस जीता और पहले बैटिंग करने का फ़ैसला किया।
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वसीम अकरम की कसी हुई गेंदबाज़ी के कारण भारत को वो शुरुआत नहीं मिली जो वो चाहता था और खेल के शुरु में पाकिस्तान का दबदबा रहा।
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सचिन ने हमेशा की तरह शानदार बल्लेबाज़ी की और 45 रन बनाए। राहुल द्रविड़ और अज़हरुद्दीन ने भी 50 पार किये. भारत ने पाकिस्तान के सामने 228 का लक्ष्य रखा।
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दोनों देशों के लोग अपने टीवी सेट के चानल बदलकर कभी मैच देख रहे थे तो कभी जंग की ताज़ा ख़बरें सुन रहे थे।
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लेकिन पाकिस्तान की शुरुआत खराब रही और आफ़रीदी, एजाज़ अहमद और सलीम मलिक जल्दी जल्दी आउट हो गए। सईद अनवर ही एकमात्र ऐसा बल्लेबाज़ था जिसने संघर्ष किया। कुल मिलाकर पाकिस्तानी बल्लेबाज़ अपने शॉट सिलैक्शन में उतने ही कंफ़्यूज़ थे जितने लोग कारगिल के हालात को लेकर थे।
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इस मैच के लिए सुरक्षा को लेकर भी काफी मुस्तैदी बरती गई थी।
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आख़िरकार पाकिस्तान की पारी 180 रन पर सिमट गई और भारत ने विश्व कप में पाकिस्तान पर लगातार तीसरी जीत हासिल की। करगिल युद्ध के तनाव के बावजूद 1999 का मैच रद्द नहीं हुआ जो इस अवधारणा को पुख़्ता करता है कि खेल और राजनीति को अलग भी रखा जा सकता है।