इन बल्लेबाज़ों के कैच छोड़ना सबसे मंहगा पड़ा है
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क्रिकेट में कहा जाता है catches win matches यानी मैच जीतने के लिए कैच पकड़ना बेहद ज़रुरी है। लेकिन देखा गया है कि कभी कभी ड्रॉप्ड कैच टीम को इतना मंहगा पड़ जाता है कि मैच का नतीजा ही बदल जाता है। लगभग सभी बल्लेबाज़ अपनी लंबी पारी में कभी न कभी कैच के मौक़े देते ही हैं। जैसे जैसे उसकी पारी आगे बढ़ती है कैच की संभावनाएं भी बढ़ने लगती हैं। 72 प्रतिशत बल्लेबाज़ अर्ध शतक तक पहुंचने तक कैच का मौक़ा नही देते लेकिन 100 रन तक पहुंचने वाले 56 प्रतिशत बल्लेबाज़ कैच का मौक़ा देते हैं। जबकि पहले 200 रन बनाने वाले 33 प्रतिशत बल्लेबाज़ कोई मौक़ा नहीं देते। आईये हाल ही के वर्षों पर एक नज़र डालते हैं और देखते हैं कि कैच छूटने से किसको हुआ फ़ायदा किसको हुआ नुकसान।
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इस मामले में माहेला जयवर्दने का रिकॉर्ड कमाल का है। उन्होंने 2006 में कोलंबो टेस्ट में साउथ अफ़्रीका के ख़िलाफ़ 374 रन बनाए थे लेकिन कैच का एक भी मौक़ा नहीं दिया। लारा ने 2004 में इंग्लैंड के ख़िलाफ़ नबादा 400 रन बनाए थे और इस दौरान उन्होंने कैच के मौक़े लगभग न के बराबर दिए थे।
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2000 के शुरु होने के बाद से अब तक का सबस मंहगा कैच पाकिस्तान के इंज़माम-उल-हक़ का रहा है। लाहौर में 2002 में न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफड इंज़माम ने 329 रन बनाए थे लेकिन जब वह 32 के स्कोर पर थे, उनका कैच छूट गया था। मतलब इंज़माम का ये कैच न्यूज़ीलैंड को 297 रनों की चपत लगा गया। वैसे इतिहास में और भी मंहगे कैच साबित हुए हैं। 1998 में पेशावर टेस्ट में सईद अनवर ने मार्क टैलर (नाबाद 334) का 18 रन पर कैच छोड़ा था।
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इस मामले में श्रीलंका के कुमार संगकारा और भारते के सचिन तेंदुलकर सबसे क़िस्मतवाले रहे हैं। 2004 में बुलावायो टेस्ट में संगकारा ने 270 रन बनाए थे लेकिन जब उन्होंने खाता भी नहीं खोला था तब उनका कैच ड्रॉप हुआ था। इसी तरह 2004 में ढाका में सचिन ने अपना सर्वाधिक स्कोर 248 किया था लेकिन उनका भी शून्य पर कैच छोड़ा गया था। ऑस्ट्रेलिया के माइक हुसी ने बी 2010 में गाबा में पहली ही बॉल पर एक मौका दिया था। इसके बाद उन्होंने 195 रन बनाए। 1990 में बारत के विकेट कीपर किरण मोरे ने लॉर्ड्स टेस्ट में ग्राहम गूच का 36 के स्कोर पर कैच छोड़ा था। इसके बाद गूच ने 333 की पारी खेली।
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4 बल्लेबाज़ ऐसे भी हैं जिन्हें एक पारी में 5 बार जीवनदान मिला। 2004 में ज़िंबाब्वे के एंडी ब्लिगनॉट (नाबाद 84) भारत के खिलाफ़ पांच बार जीवन दान मिला था। तीन कैच तो उनके लगातार छूटे थे और बदक़िस्मत बॉलर थे ज़हीर ख़ान। इसके अलावा हाशिम आमला (253, नागपुर, 2010), तौफ़ीक़ उमर (135, सेंट किट्स, 2011) और केन विलियम्सन (नाबाद 242, वेलिंगटन, 2014) पर भी फील्डर मेहरबान रहे हैं। वीरेंद्र सहवाग के सबसे ज़्यादा 68 कैच छोड़े गए हैं। वह संगकारा से बस एक कैच आगे हैं।
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कैच छोड़ने के मामले में बेचारे स्पिनरों को सबसे ज़्यादा नुकसान होता है। स्पिन बॉलरों की बॉलिंग पर 27 प्रतिशत कैच छूट जाते हैं जबकि पेस बॉलरों के मामले में ये नंबर 23 प्रतिशत है। हरभडन सिंह की बॉल पर सबसे ज़्यादा (99) कैच छूटे हैं। इसके बाद पाकिस्तान के दानिश कनेरिया (93) आते हैं।