राजकोट के राजाओं का विशाखापत्तनम में यूं हुआ पतन
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बांग्लादेश में जिस तरह स्पिनरों ने इंग्लैंड को नचाया उसे देखकर लगा था कि भारत-दौरे पर इंग्लिश नृत्य जारी रहेगा लेकिन पांच टेस्ट मैचों की सिरीज़ के पहले मैच में राजकोट में जिस तरह से इंग्लैंड ने भारतीय स्पिनरों को बेअसर कर दिखाया, उससे आशंकाएं बढ़ने लगीं। मैच के बाद कप्तान विराट कोहली ने पिच को कोसा और कहा कि विकेट पर ज़रुरत से ज़्यादा घास थी जो नहीं होनी चाहिये थी। भारक की ताक़त उसके स्पिनर्स हैं और वो भी ऐसे विकेट पर जहां बॉल पहले दिन न सही तो कम से कम दूसरे दिन से तो घूमें। विशाखापत्त्नम में भारत को मुंह मांगी मुराद मिली और सोने पर सुहागा तब हो गया जब सिक्का भी कोहली के पाले में गिर गया। पहले दिन बेजान विकेट पर कप्तान और चेतेश्वर पुजारा के शतक और अगले दिन कुछ और बल्लेबाज़ों के महत्वपूर्ण योगदान से भारत ने 455 का स्कोर खड़ा कर दिया। इस दौर तक पहुंचते-पहुंचते विकेट रंग दिखाना लगा था और अश्विन, जडेजा और जयंत का ख़ौफ़ तारी होने लगा था। दूसरे दिन का खेल ख़त्म होने तक इंग्लैंड की आधी टीम 103 के स्कोर पर पवैलियन में लौट गई। आईये देखते हैं राजकोट के राजाओं का विशाखापत्तनम में कैसे हुआ पतन।
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इंग्लैंड का पहला विकेट कप्तान एलिस्टर कुक (2) के रूप में पहली पारी के तीसरे ओवर में गिरा। कुक का भारत में बहुत अच्छा रिकॉर्ड रहा है और उन्होंने राजकोट टेस्ट में भी दूसरी पारी में शतक लगाया था। कुक को मोहम्मद शमी ने बोल्ड आउट कर पवेलियन भेजा। टीम के लिए यह एक बड़ा झटका था और भारत के लिए एक बड़ी राहत।
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4 के स्कोर पर एक विकेट गिरने के बाद हमीद और जो रुट ने पारी संभाली और लगा कि रुट का जुझारुपन और हमीद की नैसर्गिक क्षमता इंग्लैंड को उबार लेगी लेकिन तभी रुट के एक ग़लत फ़ैसले ने सारी मेहनत पर पानी फैर दिया। रुट ने दूसरे रन के लिए पहले तो हमीद को बुलाया और फिर वापस भेज दिया लेकिन तब तक गेंद साहा के दस्तानों में पहुंच चुकी थी और हमीद क्रीज़ की जीवन रेखा से दूर रह गए। हमीद ने अपने जीवन के पहले टेस्ट में दोनों ही पारियों में शानदार बल्लेबाज़ी कर संकेत दिया था कि वह एक असाधरण बल्लेबाज़ हैं। यहां भी वह जिस आत्मविश्वास से खेल रहे थे, लगा था कि वह एक बार फिर बड़ी पारी खेलेंगे लेकिन नियति कुछ और ही थी। हमीद 82 बॉलों पर 13 रन बनाकर आउट हो गए। उन्होंने रुट के साथ 47 रन की साझेदारी की।
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बेन डकेट ने पिछले कुछ हफ़्तों में सीखा होगा कि काउंटी क्रिकेट और अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में क्या फ़र्क होता है। बांग्लादेश में पहले टेस्ट की पहली सुबह जब ऑफ़ स्पिनर मेहदी हसन ने उन्हें बोल्ड किया तो सारी दुनियां को समझ आ गया कि ऑफ़ स्पिन खेलना डकेट के बस की बात नहीं है। वह अब तक छह पारियों में चार बार ऑफ़ स्पिनरों के ग्रास बन चुके हैं। यहां अश्विन उन्हें दो बार सस्ते में आउट कर चुके हैं।
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मोईन अली विश्व क्रिकेट में एक ज़िम्मेदार बल्लेबाज़ की तरह उभर रहे हैं। स्पिनरों को खेलने में उनकी महारथ बताई जाती है। राजकोट टेस्ट में शतक लगाकर उन्होंने अपनी छवि को सही भी साबित किया लेकिन विशाखापत्तनम में, जब इंग्लैंड को उनसे बहुत उम्मीदें थी, वह नाकाम रहे। उन्हें अपना पहला टेस्ट खेल रहे जयंत यादव ने LBW कर दिया वो भी सिर्फ एक रन के स्कोर पर।
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जो रुट का क्रीज़ पर रहना टीम को भरोसा दिलाता है कि अभी सब कुछ ख़त्म नहीं हुआ है और जिस तरह से उन्होंने हमीद को रन आउट करवाया था, उसे देखकर लगा कि वह इसकी भरपाई करेंगे लेकिन स्कोर में अभी सात रन ही जुड़े थे कि अश्विन ने उन्हें कैच आउट करवा दिया। रुट ने 53 रन बनाए। राजकोट टेस्ट में रुट ने भी सेंचुरी लगाई थी।
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80 रन पर पांच विकेट गिरने के बाद राजकोट में सेंचुरी लगाने वाले बेन स्टोक्स (12) और विकेट कीपर बैरस्टो (12) ने 23 रन जोड़े और मैच के यथा संभावित नतीजे को कुछ घंटों के लिए टाल दिया।