आइए उरी के शहीदों की शहादत को करें सलाम, जानिए उनकी कहानी...

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    रविवार की सुबह जब देश के ज्यादातर लोग नींद की आगोश में थे उस वक्त सरहद पर भारतीय सेना के वीर जवान आतंकियों से लोहा ले रहे थे। देश सेवा और उसकी रक्षा की शपथ लेनेवाले शूरवीर आतंकियों की गोलियों और ग्रेनेड का सामना कर रहे थे। उरी में 17 से ज्यादा जवानों ने देश के लिए अपनी जिंदगी का बलिदान दिया।

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    शहीद अशोक कुमार सिंह- बिहार के भोजपुर जिले के हवलदार अशोक कुमार सिंह के बड़े भाई कामता प्रसाद भी भारतीय सेना में थे। 1989 में हुए एक आतंकवादी हमले में हवलदार अशोक सिंह के बड़े कामता प्रसाद शहीद हो गए। अशोक को उन्हीं से सेना में जाने की प्रेरणा मिली। पिता जम्मू-कश्मीर में शहीद हो गए। आतंकियों से लोहा लेते हुए देश की आन-बान और शान के लिए मर मिटे बावजूद इसके इस परिवार की देशभक्ति देखने लायक है।

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    शहीद विश्वजीत गोराई- उरी में आतंकियों की कायराना हरकतों में शहीद हुए पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना के विश्वजीत गोराई के परिवार तो मुसीबतों का पहाड़ ही टूट पड़ा है। 20 साल के गोराई के पिता दैनिक मजदूरी कर के अपना घर चलाते रहे हैं। विश्वजीत की यह पहली ही पोस्टिंग थी। उसके बाद अब मजदूरी करने वाले पिता ही एक मात्र कमाने वाले शख्स उसके परिवार में बचे हैं।

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    सिपाही गणेश शंकर- ये यूपी के संत कबीर नगर के रहने वाले थे

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    शहीद गंगाधर दलाई- हावड़ा के रहने वाले गंगाधर महज 22 साल की उम्र में देश के लिए मर मिटे। गरीब परिवार में जन्मे गंगाधर के घर में सालभर पहले उस वक्त खुशियां आई जब गंगाधर को सेना में नौकरी मिली लेकिन एक साल भी नहीं बिता कि ये दुखभरी खबर आ गई।

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    शहीद हरेंद्र यादव- यूपी के गाजीपुर के रहने वाले हरेंद्र यादव 2007 में बिहार रेजिमेंट में ट्रेड मैन भर्ती हुए थे हरेंद्र 6 भाइयो में पांचवे नंबर पर है। इनके 4 बड़े भाई प्राइवेट सर्विस में है जबकि छोटा भाई भी सेना भर्ती की तैयारी में जुटा है।

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    शहीद करनैल सिंह- 10 डोगरा रेजीमेंट के शहीद करनैल सिंह 27 सालों से देश की सेवा कर रहे थे। अब नौकरी के सिर्फ डेढ़ साल बचे थे। उम्र और नौकरी के इस पड़ाव पर देश के लिए बलिदान देकर करनैल सिंह ने रिटायर होने से पहले शहीद का दर्जा हासिल कर लिया।

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    शहीद नयमन कुजूर- उरी हमले में झारखंड के गुमला के नयमन कुजूर भी शहीद हुए हैं। राज्य के मुख्यमंत्री ने इन जवानों की शहादत को सलाम किया है।

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    हवलदार एनएस रावत- ये राजस्थान के राजसमंद के रहने वाले थे

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    शहीद जावरा मुंडा- उरी हमले में शहीद होने वाले 17 वीर सपूतों में झारखंड के भी दो लाल हैं। खूंटी के जावरा मुंडा भी आतंकियों के कायराना हमले में शहीद हो गए। बेहद गरीब परिवार से आने वाले जावरा के घर में जैसे ही उनके शहीद होने की खबर पहुंची लोगों के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया।

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    शहीद राजेश कुमार सिंह- ये यूपी के जौनपुर के रहने वाले थे

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    शहीद राकेश सिंह- बिहार के कैमूर के रहने वाले राकेश सिंह पांच भाई बहनों में सबसे छोटे थे। राकेश की शुरू से ही सेना में जाने की इच्छा थी।

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    शहीद हवलदार रवि पाल- एक साल पहले जम्मू के सांबा के रवि पाल ने अपने परिवार को पठानकोट में शिफ्ट करवा दिया था क्योंकि उनका ट्रांसफर अपने घर के पास उरी में हो गया था। उनके बच्चे पठानकोट में रहकर पढ़ रहे थे और उरी में रवि पाल देश की रक्षा कर रहे थे लेकिन इस हमले के बाद सबकुछ धरा का धरा रह गया।

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    शहीद संदीप सोमनाथ- नासिक के रहने वाले शहीद संदीप सोमनाथ ठोक बिहार रेजीमेंट में थे। 25 साल के संदीप के शहीद होने की सूचना जब वहां पहुंची तो सभी सन्न थे। वे नासिक के सिन्नर तहसील के खडांगली गांव के रहने वाले थे। उनकी शादी नहीं हुई थी लेकिन उसके लिए परिजन तैयारियों में जरूर लगे थे। पर, मातम वाली इस खबर ने न सिर्फ उनके परिवार को बल्कि पूरे इलाके को गमगीन कर दिया।

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    शहीद सुनील कुमार विद्यार्थी- नायक एसके विद्यार्थी बिहार के गया जिले के रहने वाले थे। वो यहां के बोकनरी गांव के थे। चार भाईयों में नायक एसके विद्यार्थी दूसरे नंबर पर थे। उनके परिवार में बूढ़े मां-पिता, तीन बेटी और एक बेटा है।

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    शहीद उइकी जनराव- अमरावती में उइकी जनराव की शहादत की खबर मिलते ही पूरा गांव में शोक में डूब गया। 26 साल के उइकी ने 2009 में भारतीय सेना ज्वॉइन की थी। एक महीने पहले ही उरी में शहीद उइकी का ट्रांसफर हुआ था।

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    लांस नायक जी शंकर- सतारा के माण तहसील के जाशी गाव के रहने वाले शहीद लान्सनायक चंद्रकांत शंकर गलांडे की उम्र अभी 27 साल थी। उनकी पत्नी के अलावा घर में दो बच्चें भी हैं। बच्चों की उम्र काफी छोटी है और उनके सामने एक बड़ी मुसीबत है।

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    लांस नायक आरके यादव- यूपी के बलिया के रहने वाले थे