ये हैं भारत के कुछ बलात्कार के मामले जिसने देश को हिला दिया
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बुलंदशहर में 29 जुलाई की आधी रात गैंगरेप की जो शर्मनाक वारदात हुई उसने प्रदेश में महिलाओं की सुरक्षा पर सवालिया निशान लगा दिया है। हाईवे के हैवानों ने पूरे परिवार के सामने तेरह साल की बच्ची और उसकी मां की इज्जत तार-तार कर दी। बदमाश अपनी हैवानियत को अंजाम देने के बाद पैसे और जेवर लूटकर फरार हो गए। इसी प्रकार बहुत से गैंगरेप केस देश में हो चुके है, जिनकी सुनवाई अब तक चल रही है और कितने केस फाइनल हो गये है। आइऐ ऐसे ही कुछ केसों पर नजर डालते है।
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निर्भया कांड:- नई दिल्ली में एक लड़की के साथ चलती बस में सामूहिक बलात्कार किया गया। यह घटना उस वक्त हुई जब लड़की फिल्म देखने के बाद अपने पुरुष मित्र के साथ बस में सवार होकर मुनीरका से द्वारका जा रही थी। लड़की के बस में बैठते ही लगभग पांच से सात यात्रियों ने उसके साथ छेड़छाड़ शुरू कर दी। उस बस में और यात्री नहीं थे। लड़की के मित्र ने उसे बचाने की कोशिश की, लेकिन उन लोगों ने उसके साथ भी मारपीट की और लड़की के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया। उन्होंने पहले तो उससे बेहोशी की हालत में बलात्कार करने की कोशिश की। परन्तु सफल न होने पर उसके यौनांग में व्हील जैक की रॉड घुसाकर उसके अन्तरंगों को बुरी तरह घायल कर दिया। बाद में इन लोगों ने लड़की और उसके मित्र को दक्षिण दिल्ली के महिपालपुर के नजदीक वसंत विहार इलाके में बस से फेंक दिया। लड़की की हालत में कोई सुधार न होता देख उसे 26 दिसम्बर 2012 को सिंगापुर के माउन्ट एलिजाबेथ अस्पताल ले जाया गया। जहां लड़की की 29 दिसम्बर 2012 को मृत्यु हो गई।
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अरूणा शानबाग का मामला:- बलात्कार के सबसे पुराने मामलों में से एक मीडिया द्वारा कवर किया गया नर्स अरुणा शानबाग का केस था। जो 1973 में हुआ था। अरुणा शानबाग मुंबई के KEM हॉस्पिटल की वह नर्स थीं, जिनके साथ आज से 43 साल पहले क्रूर तरीके से यौन हिंसा की गई थी। जिसके बाद से वह कोमा में थीं। अरुणा उस समय 26 साल की थीं। केईएम हॉस्पिटल के स्पेशल वार्ड में नर्स रहीं अरुणा के साथ उसी हॉस्पिटल के वार्ड ब्वॉय ने यौन हिंसा की थी। इस घटना के बाद से वह कोमा में थीं। सोहनलाल ने उनके साथ अप्राकृतिक यौनाचार किया था। अरुणा के साथ की गई हिंसा के बाद उनके दिमाग को ऑक्सीजन की सप्लाई रुक गई थी। 11 घंटे बाद वह बेसमेंट में बुरी हालत में पाई गई थीं। उनके गले में कुत्ते को बांधने वाली चेन बंधी हुई थी और वह कुछ देख भी नहीं पा रही थीं। 18 मई 2015 में अरूणा की मृत्यु हो गई।
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मथुरा रेप केस:- महाराष्ट्र के चन्द्रपुर जिले के नवरगाँव में रहने वाली आदिवासी महिला मथुरा वह पीडिता थी। जो भारत में बलात्कार के क़ानून में बदलाव के लिए हुए पहले आन्दोलन का कारण बनी। 1972 में महाराष्ट्र के गढ़चिरोली जिले के देसाईगंज थाने में अपने दोस्त अशोक के खिलाफ अपने भाई के द्वारा दर्ज मामले में बयान के लिए आई 16 वर्ष की मथुरा मडावी के साथ थाने के दो पुलिस कांस्टेबल गणपत और तुकाराम ने थाना परिसर में ही बलात्कार किया था। मथुरा के भाई ने मथुरा के दोस्त पर उसे बहलाने और अपहरण करने की कोशिश का आरोप लगाया था। इस घटना के विरोध में स्थानीय लोगों के हंगामे के बाद थाने में केस तो दर्ज हुआ लेकिन 1974 में निचली अदालत ने दोनो आरोपियों को इस बिना पर छोड़ दिया कि मथुरा ‘सेक्स की आदि’ थी और उसपर चोट के कोई निशान नहीं थे।
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माया रेप केस:- गाजियाबाद निवासी ईश्वर त्यागी अपने दो साथियों और पत्नी माया त्यागी के साथ 18 जून 1980 को बागपत के पास एक शादी में शरीक होने आ रहे थे। बागपत में उनकी कार पंचर हो गई। कार ठीक करने के दौरान बागपत में तैनात एक एसआई नरेंद्र सिंह के साथ ईश्वर त्यागी और उनके साथियों की कहासुनी हो गई। नरेंद्र सिंह उस समय तो वहां से चला गया और कुछ ही देर बाद अपने कुछ साथी पुलिसकर्मियों के साथ वापस लौटा। नरेंद्र सिंह ने ईश्वर त्यागी और उनके दोनों साथियों की गोली मारकर हत्या कर दी और ईश्वर की पत्नी माया त्यागी को पूरे बाजार में निर्वस्त्र घुमाया। बाद में उनके खिलाफ कई मुकदमें दर्ज कर दिए। आरोप था कि पुलिसकर्मियों ने माया के साथ दुष्कर्म भी किया। इस प्रकरण के बाद महिला आन्दोलन का गुस्सा फूटा, जनांदोलन तेज हुआ।
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प्रियंका कांड:- महाराष्ट्र के भंडारा के खैरलांजी में सन् 2006 सिंतबर में करीब 50 लोगों ने दलित किसान भैयालाल भोतमांगे की पत्नी और उनके तीन बच्चों की गला काट कर निर्मम तरीके से हत्या कर दी थी। ह्त्या के पूर्व भैया लाल की बेटी प्रियंका पर यौन हिंसा भी की गई थी। उसके गुप्तांगों में रॉड डालने का आरोप भी है। इसके बाद दलितों ने व्यापक विरोध प्रदर्शन किया था। राज्य सरकार ने मामला तूल पकड़ता देख पूरे मामले की छानबीन सीबीआई से कराने का आदेश दिया था।यह घटना जातीय हिंसा और बदले का उदहारण है।
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इमराना रेप केस:- उत्तरप्रदेश के मुजफ्फरनगर की इमराना के साथ उसके 69 वर्षीय ससुर ने बलात्कार किया था। इसके बाद धार्मिक पंचायत ने उसके पति को उसका बेटा करार दिया और पति के साथ उसके निकाह को अवैध घोषित कर दिया। दारूल उलूम देवबंद ने भी धार्मिक पंचायत के फैसले को जायज ठहराया। जबकि बाद में देवबंद ने ऐसा कोई फतवा घोषित करने से इनकार कर दिया।
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सौम्या कांड:- सौम्या जब केरल में शोर्नूर से एर्नाकुलम की यात्रा कर रही थीं। तो उनके दोषी गोविंदा स्वामी द्वारा लूट की कोशिश की गई। विरोध करने पर उसका सिर ट्रेन की खिड़की से टकराकर उसे घायल कर चलती ट्रेन से नीचे फेंक दिया। उसके बाद खुद भी कूद गया और रेप किया। घायल होने के कारण इलाज के दौरान पीड़िता की मौत हो गई।
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भंवरी देवी कांड:- भंवरी देवी राजस्थान के एक छोटे से गांव भटेरी की रहने वाली थी। वे महिला विकास परियोजना पर काम करने वाली एक जमीनी कार्यकर्ता थी। 1992 में उस समय 5 पुरुषों द्वारा रेप किया गया, जब अपने गांव में बाल विवाह के खिलाफ बोल रही थी। उस समय मीडिया में काफी चर्चा का विषय बना जब लग रहा था कि पीडिता को छोटी जाति और लिंग भेद के कारण न्याय नहीं मिलेगा।
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पत्रकार गैंग रेप यह देश का सबसे चर्चित मामला रहा, मुम्बई के एक फोटो पत्रकार के साथ गैंग रेप हुआ था। महिला पत्रकार अपने एक पुरुष साथी के साथ एक असाइमेंट पर थी। अचानक 5 लड़कों ने उस पर हमला कर दिया। इसके बाद पुरुष साथी से भी गैंग रेप में शामिल होने के लिए कहा गया। उसके मना करने पर उसे भी बांध कर बुरी तरह से पीटा गया।