जानें तस्वीरों में लालू यादव का सर्वेंट क्वॉर्टर से सीएम हाउस तक का सफ़र
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वो गरीबी में जीता था, वो गरीबों का मसीहा बन गया। वो सर्वेंट क्वॉर्टर में रहता था, वो एक स्टेट का सीएम बन गया । वो किंग भी बना और हिंदुस्तान की सियासत में किंग मेकर भी । गुरबत की जिंदगी से सत्ता के शिखर तक और फिर सत्ता के शिखर से भ्रष्टाचार की खाई तक। आज हम एक ऐसी सियासी शख्सियत की कहानी दिखाने जा रहे हैं, जिन्हें लालू प्रसाद यादव कहते हैं। कौड़ियों की जिंदगी से करोड़ों तक का ऐसा सफर, जिसमें कई मोड़ आए। और हर मोड़ पर एक सवाल है कि करीब तीन दशक के इस सियासी सफर ने लालू यादव को हजारों करोड़ की संपत्ति का मालिक कैसे बना दिया।
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लालू यादव की गुरबत की जो जिंदगी एक कमरे के सर्वेंट क्वॉर्टर से शुरू हुई थी, वो आज की तारीख में ना जाने कितने एकड़ जमीन की मिल्कियत में बदल गई है। लालू का ये चैप्टर बड़ा ही दिलचस्प और हैरतअंगेज है। जब ईडी और इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने लालू यादव, उनके बच्चों, रिश्तेदारों और करीबियों के ठिकानों पर छापे मारे तो एक साथ कई खुलासे हुए। बेनामी संपत्ति के दस्तावेजों का एक ऐसा पुलिंदा मिला, जिसमें लालू की करप्शन कथा का हर अध्याय साफ-साफ लिखा था।
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लालू प्रसाद यादव के कारनामों का दस्तावेज़ में आपको कुछ ऐसे किरदारों के नाम हैं, जिनकी वजह से कभी एक चारपाई पर पूरी फैमिली के साथ जीने वाले लालू आज कानून की नजर में बेशुमार जमीन के मालिक बन गए। लालू यादव के एक हाथ दे, दूसरे से ले वाले फॉर्मूले ने करोड़ों की इस काली कमाई की स्क्रिप्ट तैयार हुई है। दस्तावेजों में दर्ज है कि लालू ने कई लोगों के फायदे करवाए और बदले में उनके परिवार को जमीन का दान मिला।
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रमा देवी ने लालू के बेटे तेज प्रताप को 13.12 एकड़ ज़मीन दी थी। ये दान लालू के बड़े बेटे को तब की गई, जब वो महज 3 साल के थे। जमीन की कीमत रमा देवी के पति ब्रज बिहारी प्रसाद को मंत्री बनाकर अदा की गई। लालू ने कांति देवी को न सिर्फ सांसद बनवाया बल्कि यूपीए वन में मंत्री की कुर्सी भी दिलाई। बदले में कांति देवी ने पटना शहर में लालू परिवार को तीन मंज़िला मकान गिफ्ट किया।
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लालू यादव ने रघुनाथ झा को 2004 में बेतिया से आरजेडी का सांसद बनाया और फिर यूपीए वन सरकार में केंद्रीय मंत्री के ओहदे पर पहुंचाया। बदले में रघुनाथ झा ने 2005 में गोपालगंज का अपना तीन मंज़िला घर लालू के बेटों के नाम कर दिया। 6 कट्ठा ज़मीन भी लालू के बेटों को गिफ्ट की गई
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लालू यादव के लेन-देन वाले अर्थशास्त्र में कई गणित हैं। जिनके पास जमीन थी, उन्होंने जमीन दे दी। इसमें कुछ लोगों को हैरानी नहीं भी हो सकती है। लेकिन, जिनके पास सौ-हजार की हैसियत नहीं, वो लालू और उनके परिवार को अगर लाखों करोड़ों के गिफ्ट दें तो हिसाब में घोटाला साफ नजर आने लगता है। गरीबों के मसीहा के अमीर बनने की इस काली कहानी का ये ऐसा पहलू है, जो एक साथ कई बड़े सवाल खड़े करता है
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लालू यादव एंड फैमिली की मालगाड़ी में कुछ ऐसे मुसाफिर भी सवार है, जिनकी हैसियत चंद हजार रुपए की थी। लेकिन इन्होंने लालू यादव और उनके परिवार को लाखों के गिफ्ट पकड़ा दिए। हृदयानंद चौधरी रेलवे के क्लास फोर कर्मचारी हैं, फिलहाल पटना के राजेंद्र नगर रेलवे स्टेशन पर तैनात हैं। इसी तरह ललन चौधरी बिहार विधान परिषद में क्लर्क हैं। इन दोनों के तार लालू परिवार से जुड़े हैं। दोनों ने लालू परिवार को लाखों की ज़मीन गिफ्ट की है। इस राज का खुलासा तब हुआ, जब लालू की 1000 करोड़ की मिल्कियत को खंगाला जाने लगा। परत दर परत पड़ताल में इन दोनों का नाम सामने आए।
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2005 में लालू के रेल मंत्री रहते हुए हृदयानंद की रेलवे में नौकरी लगी थी। 2008 में हृदयानंद चौधरी ने लालू की बेटी हेमा को 7.75 लाख की ज़मीन दान की उस जमीन की कीमत तब ही 62 लाख 10 हज़ार रुपए थी। आज की तारीख़ में ये ज़मीन 1 करोड़ 15 लाख रुपये की है। दान पत्र में हृदयानंद चौधरी का पता तब राबड़ी देवी का पता 10 सर्कुलर रोड पटना था। 2014 में ललन चौधरी ने अपनी पटना की जमीन राबड़ी देवी को दान दी। ज़मीन की मौजूदा कीमत 5 करोड़ रुपये से ज़्यादा है। दान डीड में लिखा है कि राबड़ी के मदद के बदले ज़मीन गिफ्ट की गई।
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रेल मंत्री रहते हुए लालू यादव ने खूब वाहवाही लूटी थी लेकिन आज उस दौर पर काले दाग लग रहे हैं। सीबीआई ने करप्शन के जो नए केस दर्ज किए हैं, उनमें आरोप हैं कि लालू ने रेल मंत्री रहते हुए एक निजी कंपनी को फायदा पहुंचाया। मामला 2006 का है और सीबीआई ने इस मामले में कुल 12 जगहों पर छापे मारे हैं। लालू की इस करप्शन कथा में कई और भी किरदार हैं। और इस फेहरिस्त में पी के गोयल जैसे रेलवे ऑफिसर से लेकर उनके साथ साए की तरह रहने वाले उद्योगपति प्रेम गुप्ता तक के नाम हैं।