ISIS के सज़ा-ए-मौत के 10 क्रूर तरीके, देखें तो कांप जाए रुह
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ISIS आज दुनिया में आतंक और क्रूरता का पर्याय बन चुका है। देश विदेश में जहां उसके बेख़ौफ़ आतंकवादी खुद को बम से उड़ाकर बेगुनाहों की की जान लेते हैं वहीं उनसे ग़द्दारी करने वाले या जासूसी करने वालों को ऐसी मौत देते हैं कि देखना तो दूर की बात, सुनकर कर ही रुह कांप जाती है। ISIS न सिर्फ़ इनकी बेरहमी से जान लेता है बल्कि इनका वीडियो या तस्वीरें भी प्रचारित करता है ताकि उसका ख़ौफ़ बना रहे। ISIS के सज़ा-ए-मौत देने के तरीकों में गले में विस्फोटक बांधकर उड़ाना, पिंजरे में बंदकर पानी में डुबोना, कार में बिठाकर ग्रेनेड से दागना आदि तरीके शामिल हैं। आइये एक नज़र डालते हैं ISIS के सज़ा-ए-मौत देने के 10 तरीकों पर।
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24 अक्टूबर 2015 में ISIS ने सीरिया के एक 19 साल के सैनिक फ़ादी अम्मार ज़िदान को टैंक के नीचे कुचलकर सज़ा-ए-मौत दी।
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31 अगस्त 2015 में चार इराक़ियों को रस्सी से उल्टा लटकाकक ज़िंदा जलाया। इन पर जासूसी का आरोप था।
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4 दिसंबर 2015 में यमन में चार विद्रोहियों के गले में मार्टार बांधा और डिटोनेट करके उनके परख़चे उड़ा दिए।
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10 जून 2015 में मिस्र में एक इस्राइली से पहले उसी से क़ब्र खुदवाई फिर सिर में गोली मार दी। इस पर ख़ुफ़िया एजेंट होने का आरोप था।
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23 जून 2015 में पांच लोगों को मोसुल में पिंजरे में बंदकर डूबाकर मार डाला। इन पर जासूसी का आरोप था।
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23 जून 2015 में मोसुल में बंधकों के गले में पहले बारुद बांधी और फिर उन्हें उड़ा दिया।
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4 दिसंबर 2015 में यमन में बंधकों को नाव में बैठाया और फिर जब नाव बीच धार में पहुंची तो उसमें लगे टाइम बम से उन्हें उड़ा दिया।
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23 जून 2015 को ही मोसुल में जासूसी के आरोप में बंधकों को कार में बैठाकर रॉकेट लॉंचर से कार को उड़ा दिया।
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15 जनवरी 2015 में इराक में एक युवा को छत से नीचे धक्का देकर मार डाला। युवा पर गे होने का शक़ था।
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3 जनवरी 2015 में सीरिया में जॉर्डन के एक पायलेट को पिंजरे में ज़िंदा जला दिया।