क्या अल-बग़दादी वाक़ई मारा गया...? जाने दरिंदे से जुड़ी 7 बातें
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ख़बरें हैं कि आधुनिक युग का कुख्यात आतंकवादी आतंकी संघटन इस्लामिक स्टेट का चीफ कमांडर अबु-बकर-अल-बग़दादी एक हमले में मारा गया है हालाँकि अभी तक किसी भी देश ने इस बात की पुष्टि नहीं की है। यह चौथ मौका है जब अल-बगदादी की मरने की खबर आई है। खबरों के मुताबिक पांच जून को सीरिया और रूस के अल-बगदादी के काफिले पर किये गए हवाई हमले में अल-बग़दादी सहित कई ख़तरनाक आतंकी मारे गये और इस्लामिक स्टेट से ही जुड़ी न्यूज़ एजेंसी अल-अमाक ने भी दावा किया कि हवाई हमले में घायल बग़दादी ने दम तोड़ दिया। उधर इराक सहित अमेरिकी की अगुआई वाली गठजोड़ सेना ने इस मुद्दे पर पूरी तरह चुप्पी साध रखी है। यहां तक कि अमेरिकी और ब्रिटिश मीडिया भी ख़ामोश है। बहरहाल हम आपको बता रहे हैं बग़दादी से जुड़े 7 अजीब-ओ-ग़रीब क़िस्से।
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इतिहास गवाह है कि दुनियां में जब भी कोई तानाशाह या सिरफ़िरा दहशतगर्द आया उसने किसी न किसी रुप में धर्म का सहारा लिया, वो धर्म जो एक आम इंसान की सबसे बड़ी कमज़ोरी होती और यही कमज़ोरी तानाशाह या दहशतगर्द की सबसे बड़ी ताक़त बन जाती है। शायद यही वजह है कि आईएसआईएस के सरग़ने अबु बकर अल बग़दादी ने भी ख़ुद को पैग़ंबर के क़रीब बता दिया था। उसने कहा था, “मैं पैगंबर के सबसे करीब हूं। इसीलिए आपके भी सबसे क़रीब हूं। मैं ऐसे कुरैशी कबीले से आता हूं जो पैगंबर के सबसे ज्यादा करीब था।”
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बग़दादी 1971 में बग़दाद के पास समारा में पैदा हुआ था। उसने ओसामा बिन लादेन के अल-कायदा में ट्रेनिंग ली थी लेकिन वह अल-कायदा समेत सभी आतंकवादी संगठन पर अपनी बादशाहत जमाने का मंसूबा देखता था यानी आतंक की दुनियां का ख़लीफा बनना चाहता था।
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कोई भी आतंकी संगठन धन के बग़ैर अपनी पैट नहीं जमा सकता। बग़दादी के बैंक की ताकत उसकी करेंसी भी है। बग़दादी न सिर्फ़ आईएसआईएस की जड़े फ़ैला रहा था बल्कि उसका रुतबा भी बढ़ाने की कोशिश कर रहा था। इसी कोशिश में उसने अपना सिक्का तक डिजाइन करवाया था। उसने 2014 से ही इराक़ के सरकारी बैंकों पर कब्जा जमाकर उनका पैसा भी उसने अपनी जेब में डालने की तैयारी कर ली थी।
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अमेरिका के वित्त मंत्रालय के अनुसार ISIS ने 2014 में ही उत्तरी और पश्चिमी इराक के सरकारी बैंकों को जब्त कर लिया था और उन बैंकों में पड़े 50 लाख डॉलर डकार गया था। अमेरिकी खुफिया विभाग के सूत्रों ने अंग्रेजी अखबार गार्जियन को बताया है कि मोसुल पर कब्जे से पहले तक आईएसआईएस के पास कैश और संपत्तियों के तौर पर 875 मिलियन डॉलर थे। बाद में बैंक लूट कर और सैनिक साजोसामान बेच कर उन्होंने करीब डेढ़ अरब डॉलर और उगाह लिए थे।
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बग़दादी तालिबान की तरह प्राचीन धरोहरों को तोड़ता नही है बल्कि उन्हें ऊंची कीमत पर बेचता था। इसीलिये आईएसआईएस ने पुराने म्यूज़ियम, पुरातत्व के लिहाज से बेशकीमती चीजों पर भी कब्जा जमा लिया था। वह इतिहास से भी पैसा कमा रहा है। मिसाल के तौर पर 9वीं शताब्दी के असरियन राजा अश्रुनासृपल-2 का महल इनके कब्जे में आ गया था। वहां लगी बेशकीमती कलाकृतियां बेची गईं हैं।
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पेरिस स्थित फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स के मुताबिक बग़दादी के लड़ाकों के कब्जे में कम से कम 4500 ऐसी बेशकीमती जगहें हैं जहां के सामान तुर्की और जॉर्डन के काले बाजार में ऊंची कीमत पर बिक रहे हैं। वॉशिंगटन इंस्टीट्यूट फॉर नियर ईस्ट पॉलिसी की रिपोर्ट के मुताबिक ऐसी प्राचीन कलाकृतियों की बिक्री से बगदादी को तेल के बाद सबसे ज्यादा पैसा मिल रहा था। बताया जा रहा है कि इसके जरिए बगदादी एक साल में कम से कम 100 मिलियन डॉलर कमाता था।
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बगदादी के आतंकवादी इराक के इलाकों पर कब्जा कर अमेरिका के छोड़े गए वाहन, हथियार और गोला बारूद हथिया लेते थे। बग़दादी का इरादा इन्हें बेचकर मोटी कमाई करने का था। उसने मकान बनाने के उपकरण, जेनरेटर, बिजली के तार, कारें, पशु, फर्नीचर और दूसरे सामान भी बेचकर पैसे कमाए थे। बगदादी को कमाई का चस्का ऐसा लगा हुआ है कि उसके लिए उसने यजीदी लड़कियों को भी नहीं बख्शा। इराक और सीरिया में बसी अनगिनत यजीदी औरतों और शिया-तुकोमन अल्पसंख्यक समुदाय के महिलाओं को बेचने के लिए बाकायदा मंडी लगाई जाती थी।