भारत के इन प्राचीन मंदिरों का वर्षों पुराना इतिहास जानकार खुली रह जाएंगी आपकी आंखें, देखें तस्वीरें
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केरल के त्रिशूर जिले में स्थित है प्राचीन त्रिप्रायर श्री राम मंदिर। इस मंदिर में स्थापित भगवान राम की मूर्ति बड़ी ही आलौकिक बताई जाती है। ऐसा कहा जाता है कि इस मूर्ति का प्रयोग भगवान श्रीकृष्ण अपने आराध्य के पूजन के लिए करते थे। ये मूर्ति केरल के एक मछुआरे को समुद्र में से मिली थी। मछुआरे ने मूर्ति को लाकर स्थापित कर दिया लेकिन बाद में यहां के एक शासक को मूर्ति के बारे में पता चला तो उसने त्रिप्रायर का मंदिर बनवा कर यहां इस मूर्ति की प्रतिस्थापना करवा दी। ऐसी मान्यता है कि यहां भगवान के दर्शन करने से सभी बुरी शक्तियों के प्रभाव से मुक्ति मिलती है।
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बिहार की राजधानी पटना में हनुमान जी का एक सिद्ध मंदिर है पटना रेलवे स्टेशन के ठीक सामने बना वीर महावीर का ये मंदिर अति सिद्ध बताया जाता है। हर वर्ष लाखों यात्री इस मंदिर में दर्शन के लिए आते हैं। ये महावीर मंदिर उत्तर भारत में सबसे अधिक दर्शन किए के लिए दूसरे स्थान पर आता है। यहां स्थापित सकंटमोचन की प्रतिमा भक्तों के दिल में विशेष स्थान रखती है। हर मंगलवार और शनिवार के अलावा हर त्योहार पर यहां प्रतिदिन हजारों लोग दर्शन कर अपने संकटों के निवारण की प्रार्थना करते हैं।
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अष्टलक्ष्मी मंदिर चेन्नई में समुद्र किनारे स्थित है। यह मंदिर मां लक्ष्मी के आठ स्वरूपों वंश सफलता समृद्धि धन साहस वीरता भोजन और ज्ञान को समर्पित है। इस मंदिर में मां लक्ष्मी के ये अलग अलग आठ स्वरूप 4 मंजिलों पर बने 8 अलग अलग कक्षों में विराजित हैं। मंदिर में विष्णु जी और उनके अवतार गुरुवायूर, भगवान धनवंतरी, गणेश और आंजनेयर भी विराजित हैं। मंदिर कुल 32 कलशों को बनाया गाया है जिसमें गर्भ गृह के ऊपर 5.5 फीट ऊंचा गोल्ड प्लेटेड कलश भी शमिल है। पूजन की शुरुआत दूसरे तल से शुरु होती है जहां विष्णु जी और लक्ष्मी जी विराजित हैं। यहां कमल का पुष्प चढ़ाने की परंपरा है।
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बिहार के शेखपुरा में विष्णु धाम मंदिर स्थापित है। मंदिर में भगवान विष्णु का मूर्ति 7.5 फीट ऊंची व 3.5 चौड़ा है। खास बात ये है कि विग्रह की वेदी पर देवनागरी लिपि में कुछ लिखा हुआ है। बाताया जाता है कि विग्रह पर लिखी हुई लिपि नवीं शताब्दी की है। भगवान के हाथ में शंख चक्र गदा और पद्म हैं। पुरातनविग्रह साल 1992 में एक तालाब की खुदाई के समय प्राप्त हुए थे। जिसके बाद इन्हें यहां स्थापित कर दिया गया। लोग दूर दूर से भगवान विष्णु के इस अदभुत स्वरूप के दर्शन करने आते हैं।