WOMEN'S DAY SPECIAL: भारत की 10 महिलाएं जो रही प्रेरणास्त्रोत
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निर्भया जिसे हर भारतीय उसे साहस के लिे जानता है वह इस देश की सबसे बहादुर महिला थी। 16 दिसंबर 2012 को 23 वर्षीय मेडिकल छात्रा का 6 लोगों ने मिलकर बेहद ही क्रूरता के साथ रेप किया था।
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डॉ. लक्ष्मी गौतम वृंदावन में विधवा महिलाओं के लिए काम करती हैं। पिछले कईं सालों से लक्ष्मी गौतम 100 से भी ज्यादा विधवा औरतों की मदद करती है।
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के एस सरोजअम्मा जिन्होंने सिल्क माफिया के गैंग से 3000 बच्चों को छुड़ाया था। जहां पर इस बच्चों से सिल्क की इंडस्ट्री में बाल मजदूरी कराई जाती थी।
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भंवरी भारत के राजस्थान राज्य के भटेरी गांव की निवासी और एक दलित सामाजिक कार्यकर्ता थीं। देवी ने 1992 में बाल विवाह पर रोक लगाने की कोशिश की थी लेकिन कुछ उच्च वर्ग के लोगों ने सामूहिक दुष्कर्म किया था।
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सुनीता क्रिश्नन एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं साथ ही यह एक प्रज्वला नामक केंद्र की को- फाउंडर भी है जहां पर बेची गई महिलाओं और लड़कियों की आश्रय पाने में मदद की जाती है। सुनीता क्रिश्नन स्वंय भी एक रेप पीड़िता रह चुकी हैं।
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प्रीति पाटकर मुंबई में 3 सेंटर चलाती हैं जहां पर सेक्स वर्कर बच्चों का ख्याल रखा जाता है। प्रीति इस काम को सन् 1986 से करती हुई आ रही हैं। इनके सेंटर पर बच्चों को काना सोने के लिए जगह और साथ ही मेडिकल सुविधाएं दी जाती है।
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कश्मीर के आंतकवादी क्षेत्र में सब्बाह हाजी ने ब्रिसवाना में एक स्कूल खोला है। सब्बाह पहले बेंगलुरू में काम करती थी बाद में उन्होंने अपनी नौकरी को छोड़ दिया और कश्मीर जाकर स्कूल खोला जहां पर लगभग 200 बच्चे पढ़ते हैं।
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भाबनी मुंडा वेस्ट बंगाल के दोआर क्षेत्र की लाइफ कोच हैं दोआर क्षेत्र में महिलाओं की शादी कम उम्र में ही कर दी जाती है, और लड़कियों को खोलने की आजादी नहीं होती। भाबनी ने अपने घरवालों को मनाया कि उन्हें खेलने दिया जाए।
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लक्ष्मी पर उसके दोस्त के भाई ने एसिड एटैक किया था। जब लक्ष्मी पर यह एटैक किया गया तब उसकी उम्र मात्र 16 साल की थी। दोस्ती के प्रस्ताव को ना मानने के लिए लड़के ने लक्षमी पर एसिड फैंका था। लेकिन लक्ष्मी ने हार नहीं मानी।
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सरोजिनी नायडू ने भारत की आजादी में बहुत महत्वपूर्ण योगदान दिया था। संकटों से न घबराते हुए वे एक धीर वीरांगना की भाँति गाँव-गाँव घूमकर ये देश-प्रेम का अलख जगाती रहीं और देशवासियों को उनके कर्तव्य की याद दिलाती रहीं।